जयंती पर रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य पर प्रकाश डाला

सुरेश शर्मा सभागार में हुए कार्यक्रम का शुभारंभ प्रशासनिक अधिकारी अंजलि शर्मा द्वारा माँ सरस्वती व रानी लक्ष्मीबाई जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया ।

 

गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रशासनिक अधिकारी अंजलि शर्मा ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम की प्रखर नायिका वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जन्म जयंती पर उनके शौर्य को सादर नमन करती हूँ । स्वतंत्र भारत की पीढियां इन स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान के प्रति सदैव कृतज्ञ रहेंगी।शिक्षा आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण के लिए पहला और मूलभूत साधन है। शिक्षा ही वह उपकरण है जिससे महिला समाज में अपनी सशक्त, समान व उपयोगी भूमिका दर्ज करा सकती है।

दुनिया के जो भी देश आज समृद्ध और शक्तिशाली हैं, वे शिक्षा के बल पर ही आगे बढ़े हैं। इसलिए आज समाज की आधी आबादी अर्थात महिलाएं जो कि विकास की मुख्य धारा से बाहर है, उन्हे शिक्षित बनाना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। स्त्रियों के शिक्षित हुए बिना किसी समाज के लोग शिक्षित नहीं हो सकते। यदि सामान्य शिक्षा स्त्रियों या पुरुषों मे से किसी एक को देने की विवशता हो, तो यह अवसर स्त्रियों को ही दिया जाना चाहिए। क्योकि ऐसा होने पर निश्चित रूप से वह शिक्षा उनके द्वारा अगली पीढ़ी तक पहुँच जाएगी ।
नीता शर्मा ने कहा कि जहां नारी की पूजा होती है देवता वही निवास करते है। यह वही पवित्र भूमि है जहां प्राचीन काल में विदुषी महिलाओं ने जन्म लिया। तमाम झंझावातों के बावजूद मध्यकाल में भी महिला वीरांगनाओ ने समाज व देश मे अपनी छाप छोड़ी ।
रजनी आर्य ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वाधीनता संग्राम की वह अमर सेनानी हैं जिनके शौर्य, साहस और पराक्रम को यह देश कभी भुला नहीं सकता। इस अवसर पर यशता शर्मा, पल्लवी मिश्रा, सुमन गुप्ता, शालिनी सक्सेना, अंजली रावत, कोमल गंगवार, सविता वार्ष्णेय, साक्षी, वैशाली शर्मा आदि उपस्थित रहीं।

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