Lucknow News : खेती के व्यवसाय को प्रतिस्पर्धा बनाकर किसानों की उन्नति के लिए सरकार प्रतिबद्ध

खेती के व्यवसाय को प्रतिस्पर्धात्मक बनाकर किसानों की उन्नति के लिए सरकार प्रतिबद्ध किसानो की आर्थिक उन्नति के लिए न केवल फलोत्पादन बल्कि कृषि विविधीकरण भी आवश्यक उत्पादन के साथ मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण, ग्रेडिंग, पैकिंग, समुचित विपणन और भंडारण पर विशेष ध्यान दिया जाए
सरकार अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने की ओर अग्रसर-कृषि मंत्री
ब्यूरो चीफ राघवेंद्र सिंह लखनऊ
केन्द्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट 2020-21 से किसानों के प्रति सरकार की साफ नीयत का पता चलता है। इस ऐतिहासिक बजट में कृषि, सिंचाई और सम्बद्ध गतिविधियों के लिए रिकॉर्ड 1.60 लाख करोड़ रुपए का प्राविधान किया गया है। खेती के व्यवसाय को प्रतिस्पर्धात्मक बनाकर किसानों की उन्नति के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के संकल्प को पूर्ण करने की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और किसानों की मेहनत से उत्तर प्रदेश ने कृषि उत्पादन और उत्पादकता में नई ऊंचाइयों को छुआ है। यह बातें प्रदेश की कृषि मंत्री  सूर्य प्रताप शाही ने आज यहां योजना भवन में आयोजित ‘‘वैज्ञानिकों की बात-किसानों के साथ’’ कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि हमें उत्पादन के साथ-साथ मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण, ग्रेडिंग, पैकिंग, समुचित विपणन और भंडारण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि छोटी जोत होने के कारण उसके प्रबंधन में कठिनाई के साथ-साथ खेती की लागत अधिक होती है, अतः अब समय की यह मांग है कि हम कलस्टर अप्रोच पर ध्यान दें।
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि मंडियों की कार्य पद्धति में सुधार की ओर विशेष ध्यान दे रही है जिससे किसको को सीधा लाभ पहुंचेगा। ए0पी0एम0सी0 एक्ट में संशोधन करने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य है। प्रधानमंत्री किसान योजना के अंतर्गत धनराशि सीधे किसानों के खातों में देकर सरकार ने आर्थिक संबल प्रदान किया है। अब सरकार अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि इसके लिए कुसुम योजना के अंतर्गत सोलर पंप किसानों को देने के लिए लक्ष्य में अत्यधिक वृद्धि की गई है। बंजर भूमि पर सोलर पावर जनरेशन यूनिट लगाने हेतु किसानों को प्रोत्साहित करने की योजना है, जिससे वह ऊर्जा उत्पादित कर ग्रिड के माध्यम से बेंच भी सकते हैं।
शाही ने कहा कि बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। जैविक उत्पादों की बिक्री की समस्या को दूर करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था को सुदृढ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दूध मांस मछली उद्यानिकी उत्पादों के भंडारण गोल्ड चेन और परिवहन पर सरकार का विशेष ध्यान है, ताकि इन उत्पादों के वेस्टेज से बचा जा सके और सप्लाई चैन को मजबूत करके किसानों को अधिकाधिक लाभ पहुंचाया जा सके। सरकार द्वारा बैकवर्ड लिंकेज के रूप में ग्राम भंडार इसकी सहायता समूह द्वारा चलाए जाने का प्रस्ताव किया है इससे ग्रामीण महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी पहुंचेगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानो की आर्थिक उन्नति के लिए न केवल फलोत्पादन अपितु कृषि विविधीकरण भी आवश्यक है। धान-गेहूं के साथ-साथ सब्जी, फल-फूल, मशरूम, मसाले की खेती, मछली-पालन, मधुमक्खी पालन आदि पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गांव के स्तर पर होने वाले उत्पादन की स्थानीय स्तर पर ही सफाई, छनाई, ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग और पैकिंग द्वारा मूल्य संवर्धन करके निश्चित रूप से किसानों की आय दोगुनी करने का सपना पूरा कर सकते जा सकता है।
कार्यक्रम में डाॅ0 बिजेन्द्र सिंह, महानिदेशक उपकार एवं डाॅ0 सी0एस0 राजन, निदेशक सी0आई0एस0एच0 ने औद्यानिकी फसल प्रबंधन, डाॅ0 सुनील लोंधे, आई0सी0आर0 ए0एफ0 ने कृषि वानिकी, डाॅ0 ए0डी0 पाठक, निदेशक आई0आई0एस0आर0 एवं  वाई0एस0 मलिक, अपर गन्ना आयुक्त ने बसंत कालीन गन्ना एवं उसमें सहफसली खेती की तकनीकी,  एस0आर0 कौशल, निदेशक बीज प्रमाणीकरण संस्थान ने जैविक खेती पर अपने-अपने अनुभव साझा किये। साथ ही किसानों द्वारा इन विषयों पर पूछे गये प्रश्नों का भी जवाब दिया।
इसके अतिरिक्त डाॅ0 शिव प्रसाद मौर्या, प्राध्यापक पंत नगर विश्वविद्यालय, डाॅ0 मुकुल आनंद, पं0 दीनदयाल पशु चिकित्सा वि0वि0 मथुरा एवं  वेद व्यास सिंह, प्रगतिशील कृषक, देवरिया ने पशुधन प्रबंधन के बारे में चर्चा की।  परवेज अहमद, प्रगतिशील कृषक, बाराबंकी ने मत्स्य पालन तकनीकी पर अपने अनुभव साझा किये।

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