नवसम्वतसर की पूर्व संध्या पर हुई काव्य-गोष्ठी

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में आज आन लाइन काव्यपाठ एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । साहित्य परिषद के ब्रज प्रांत के अध्यक्ष सुरेश बाबू मिश्रा ने कहा कि भारतीय संस्कृति की काल गणना विश्व में सबसे प्रमाणिक है क्योंकि यह सूर्य और चन्द्रमा दोनों की गति पर आधारित है ।उन्होंने कहा कि नवसम्वतसर का प्रारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारम्भ की थी ।
ब्रज प्रांत के संरक्षक डा एन एल शर्मा ने कहा कि विक्रम संवत ईसा से 57 बर्ष एवं शक संवत ईसा से 78 बर्ष पुराना है ।यह इस तथ्य को दर्शाता है कि भारतीय कालगणना सबसे प्राचीन है ।

प्रमुख गीतकार उमेश गुप्ता जी की सरस्वती वन्दना से गोष्ठी का शुभारंभ हुआ ।गोष्ठी में बरिष्ठ साहित्यकार एवं बरेली कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ एस पी मौर्या वरिष्ठ कवि रोहित राकेश डॉ दीपान्कर गुप्ता प्रमोद अग्रवाल उमेश गुप्ता डॉ रवि प्रकाश शर्मा आराधना तिवारी आदि कवियों ने काव्य पाठ किया ।
गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ एन एल शर्मा ने और संचालन कवि रोहित राकेश ने किया ।बरेली कालेज के प्रोफेसर केतन मौर्या ने सभी का आभार व्यक्त किया ।सभी ने एक दूसरे को नवसम्वतसर की बधाई दी ।
इस अवसर पर ब्रजप्रान्त के कोषाध्यक्ष डा दीपान्कर गुप्ता के सम्पादन में प्रकाशित होने बाली पाक्षिक पत्रिका मेरी बरेली के डा राजेन्द्र सिंह पुण्डीर पर केंद्रित विशेषांक का विमोचन भी किया गया ।

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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