Mumbai : फिल्म लेखक अमित गुप्ता की कहानी से जुड़े विवाद पर हंगामा

मुंबई (अनिल बेदाग): फिल्म “विकी विद्या का वो वाला वीडियो” को लेकर लेखक अमित गुप्ता और निर्माताओं के बीच विवाद लगातार गहराता जा रहा है। हाल ही में एक अन्य फिल्म की प्रेस वार्ता के दौरान जब एक मीडिया प्रतिनिधि ने इस विवाद से जुड़ा सवाल पूछा, तो वहां अफरा-तफरी मच गई। कलाकारों ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार करते हुए पत्रकार को फटकार लगाई, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।
क्या है विवाद? लेखक अमित गुप्ता का आरोप है कि फिल्म “विकी विद्या का वो वाला वीडियो” की कहानी उनकी मूल रचना है, जिसे निर्माताओं ने बिना अनुमति के उपयोग किया है। इस मामले में उन्होंने टी-सीरीज सहित सात अन्य निर्माताओं और नेटफ्लिक्स पर सिविल और आपराधिक मुकदमे दर्ज किए हैं।
अमित गुप्ता का आरोप है कि फिल्म की कहानी उनकी अपनी है, जिसे उन्होंने निर्माताओं को बेचा था, लेकिन निर्माताओं ने उनकी कहानी का उपयोग बिना अनुमति के किया। अमित गुप्ता ने निर्माताओं को लीगल नोटिस भेजकर अपनी कहानी के अधिकारों की मांग की है।
खबरों के अनुसार, अमित गुप्ता के प्रतिनिधि और निर्माताओं के बीच एक गुप्त बैठक हुई, जिसमें समझौते की बातचीत हुई, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। अब सभी मीडिया कर्मी अमित गुप्ता के साथ खड़े हैं और उनकी मांगों का समर्थन कर रहे हैं। मीडिया ने अमित गुप्ता की कहानी को प्रमुखता से दिखाया है और निर्माताओं पर दबाव बनाने की कोशिश की है।
 एक अन्य फिल्म के प्रेस वार्ता के दौरान एक मीडिया प्रतिनिधि ने अमित गुप्ता के विवाद पर सवाल पूछ लिया, जिससे वहां हंगामा खड़ा हो गया। कलाकारों ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया और मीडिया प्रतिनिधि को फटकार लगाई। इस घटना ने विवाद को और भी बढ़ा दिया है। कानूनी लड़ाई शुरू करने के बाद, अमित गुप्ता को जान से मारने की धमकियाँ भी मिलने लगीं। इस वजह से उन्हें लंबे समय तक मानसिक तनाव और असुरक्षा का सामना करना पड़ा। यह घटना यह दिखाती है कि एक लेखक को अपने सर्जनात्मक अधिकारों की रक्षा के लिए किस हद तक संघर्ष करना पड़ता है।
 “विकी विद्या का वो वाला वीडियो” को लेकर विवाद दिन-ब-दिन गंभीर और बहु-स्तरीय होता जा रहा है। लेखक अमित गुप्ता के आरोप, उन्हें मिली धमकियाँ, और राइटर्स एसोसिएशन की निष्क्रियता ने इस मामले को सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि नैतिक और रचनात्मक संघर्ष में भी बदल दिया है। अब यह देखना बाकी है कि निर्माता पक्ष इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं, और क्या एक लेखक को न्याय मिल पाता है या नहीं।

गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन

मुंबई से अनिल बेदाग की रिपोर्ट

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