Mumbai : झलक दिखला जा” में शिव ठाकरे की परफॉर्मेंस देख बह निकले अरशद वारसी के आंसू

मुंबई (अनिल बेदाग ) : शिव ठाकरे ने इस साल न केवल पहली बार अपने पिता को गले लगाया, बल्कि उन्होंने अपने विरोधी और चुनौती देने वाली अद्रिजा सिन्हा के बराबर मंत्रमुग्ध कर देने वाला प्रदर्शन भी किया।
यह वीकेन्ड झलक दिखला जा सीजन 11 के प्रतियोगियों के लिए बहुत खास था क्योंकि उन्हें अपने प्रदर्शन द्वारा अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा साझा करने का मौका मिला।
शिव ने अपने पिता के साथ प्रदर्शन किया और बताया कि कैसे उनके परिवार को कठिन समय का सामना करना पड़ा जब उनके पिता ओपन हार्ट सर्जरी से गुजर रहे थे।
अपने पिता के साथ उनके डांस ने न केवल उन्हें रुलाया बल्कि झलक दिखला जा के जजों में से एक अरशद वारसी को भी आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया क्योंकि वह इस भावना से खुद को जोड़ सकते थे।
“पारंपरिक महाराष्ट्रीयन परिवार से होने के कारण मैंने कभी अपने पिता को गले नहीं लगाया क्योंकि मैं उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेता था, लेकिन जब झलक के जजों और एंकर को यह पता चला तो उन्होंने मुझे अपने पिता के साथ गले मिलवाया और में इसे कभी नहीं भूल पाउँगा। मैंने उस दिन पहली बार अपने पिता को रोते हुए देखा,” शिव ने शनिवार के एपिसोड में हुई सबसे अच्छी बात के बारे में बात करते हुए कहा ।
रविवार के एपिसोड में जजों ने कंटेस्टेंट्स को चैलेंज दिया था जिसमें उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ बहुत अच्छा डांस प्रदर्शन करना था। अंतिम युद्ध के लिए, शिव को अद्रिजा का सामना करना पड़ा और उन्होंने इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।
अद्रिजा को चुनौती देने की अपनी भावनाओं के बारे में बात करते हुए शिव ने कहा, “जब मुझे पता चला कि मुझे अद्रिजा के सामने मुझे बेहतर परफॉर्म करना है, तो मैंने सोचा कि है भगवान् यह लड़की तो हमेशा 10 में से 10 लाती है तो मेरा क्या होगा?

लेकिन जब झलक की जज फराह खान ने मेरी तारीफ करते हुए कहा कि अगर आज कोई अद्रिजा के खिलाफ खड़ा होने में सक्षम है, तो वह केवल आप ही हैं। यह मेरे लिए एक बड़ा आशीर्वाद समान था।”

झलक दिखला जा सीजन 11 का फिनाले आ गया है और शिव ने नॉन-डांसर से डांसर और अब टॉप फाइनलिस्ट में से एक बनने के अपने सफर में बहुत कुछ हासिल किया है। उनके प्रशंसक और परिवार दोनों उनकी बड़ी जीत के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन
मुंबई से अनिल बेदाग की रिपोर्ट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: