Bareilly News : पीएमओ पहुंचा इज्जतनगर रेल मंडल

बरेली। पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल के इंजीनियरिंग विभाग के मलाईदार पटलों पर एक दशक से तैनात दो बाबुओं द्वारा किए गए करोड़ों रुपये के कथित भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति इकट्ठी करने और इस पूरे प्रकरण में संबंधित अधिकारियों की संलिप्तता की भी उच्चस्तरीय जांच कराने का आग्रह प्रधानमंत्री के ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराकर किया गया है।

मामला पीएमओ तक पहुंच जाने के बाद इंजीनियरिंग विभाग में भूचाल सा आया हुआ है। खुद डीआरएम भी इस मामले में कुछ बाबुओं से बेहद खफा बताई जा रही हैं। माना जा रहा है कि आरोपित कर्मचारियों के साथ ही उन्हें शह देते रहे अफसरों पर भी अब  कभी भी कार्रवाई की गाज़ गिर सकती है।

प्रधानमंत्री पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज कराई गई शिकायत में गंभीर आरोप है कि पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल बरेली मुख्यालय के इंजीनियरिंग विभाग में तैनात लिपिक गिरीश चंद्र और दिनेश चंद्र यादव पिछले एक दशक से अधिक समय से तैनात है।

इन दोनों को सैकड़ों करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक बजट वाले पटल, प्लान की जिम्मेदारी तैनाती के समय से ही मिलती रही है। जो कि कभी बदले ही नहीं गए हैं।

वर्तमान में भी लिपिक गिरीश चंद्र का पटल 500 करोड़ रुपये वार्षिक बजट से अधिक का है। आरोप है कि लिपिक गिरीश चंद्र ठेकेदारों के साथ मिलकर अकूत काली कमाई कर रहे हैं।

गिरीश चंद्र के पास प्लान हेड 30, 31और कुटेशन के काम के साथ कई और प्लान भी हैं। तैनाती के बाद से करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति अपने सगे सम्बन्धियों के नाम करा ली है।

अनुरोध किया है कि गिरीश चंद्र के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप की गोपनीय जांच अवश्य कराई जाए।

इसके अलावा लिपिक दिनेश यादव भी एक दशक से अधिक से मंडल मुख्यालय के इंजीनियरिंग विभाग में 400 से 500 करोड़ रुपये सालाना बजट वाले पटल पर तैनात हैं।

आरोप है कि उन्होंने भी करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति जमा कर ली है। विभागीय अधिकारियों को भी इन्होंने अपनी गिरफ्त में ले रखा है।

रुपये के दम पर ही वह हाल ही में मलाईदार टेंडर सेक्शन के ओएस बनाये गए हैं। साथ ही कई और मलाईदार बिल भुगतान के पटलों, प्लान हेड का चार्ज भी दे रखा है।

दिनेश यादव के पास वर्तमान में प्लान 53, टेंडर इंचार्ज, आईआरपीएसएम तथा कई और चार्ज भी बताए जाते हैं। इज्जतनगर रेलवे मंडल से जुड़े लोगों का मानना है कि टेंडर सेक्शन के ओएस के पास कभी भी बिल बनाने का काम नहीं रहा है।

पैसे के लालच में डूबे इंजीनियरिंग विभाग के अफसरों ने गिरीश चंद्र और दिनेश चंद्र यादव जैसे बाबुओं को मनमाने पटल दे रखे हैं।इंजीनियरिंग अनुभाग में बाकी बाबुओं के पास नाममात्र के ही काम हैं।

शिकायतीपत्र में बीते दिनों दैनिक लोकतंत्र टुडे में छपी रिपोर्ट में इंजीनियरिंग विभाग के मंडल मुख्यालय में गैंगमैन से बाबूगिरी के काम कराने और ठेकेदारों की लेबर श्रमिक पोर्टल पर भरने में गैंगमैन संतोष का नाम आ चुका है उसे अफसर सिक लीव पर भेजकर मेडिकली अनफिट साबित कराने में जुटे हैं जबकि संतोष को हकीकत में कोई बीमारी ही नहीं है।

बताया यह भी जाता है कि संतोष सिक लीव पर होने के बाबजूद एक बड़े अफसर के कार्यालय में अंदर बैठकर अभी भी काम करता है। उसे गैंग में भेजा ही नहीं जाता है।

दूसरा गैंगमैन दिनेश ठेकेदारों के पीबीसी बिल सरकारी कम्प्यूटर पर बनाता था। कुछ दिन कार्यालय वह नहीं आया उसके बाद उसने भी कार्यालय आना शुरू कर दिया है।

यही स्थिति मेठ भरत लाल मीणा की है। उसे भी नहीं हटाया गया इनके द्वारा किये गए कार्यों की जांच के लिए विजिलेंस विभाग की टीम पिछले दिनों उनके कम्प्यूटरों का गोपनीय डाटा और रिकॉर्ड भी अपने साथ ले गई थी।

शिकायतीपत्र में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया गया है कि पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल के इंजीनियरिंग विभाग के बाबुओं-गैंगमैन की कारगुजारियों और कथित भ्रष्टाचार की गोपनीय जांच कराने के साथ ही संबंधित अफसरों की सत्यनिष्ठा और आय से अधिक संपत्ति की भी गोपनीय जांच सुनिश्चित करवाएं और सभी भ्रष्टाचार में लिप्त सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी विभागीय और वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित करवाएं।

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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