दुनिया का दवा निर्माता सिंडिकेट भी भारत से अब परेशान

– भारत मे अब तक 2 करोड़ लोगों को लग चुकी देसी कोरोना वेक्सीन — उत्तर प्रदेश में अब तक 20 लाख कोरोना वैक्सीन लगवाकर आगे — विश्व को सस्ती वैक्सीन हेतु भारत भी वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त कराने की मुहिम में जुटा — —– निर्भय सक्सेना — पूरे विश्व में कोविड-19 महामारी फैलने के उपरांत अभी भी यह प्रश्न जीवंत बना है कि आखिर कोविड महामारी फैली कहां से थी। इसको लेकर ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के विशेषघ की टीम ने चीन में जांच भी कर ली है। भारत मे अब तक 2 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना की देसी वेक्सीन का टीकाकरण हो चुका है। उत्तर प्रदेश में अब तक 20 लाख कोरोना वैक्सीन लगवा कर सबसे आगे है। पतंजलि की एक आयुर्वेद दवा के भी कारगर परिणाम बताये जा रहे है जिसके कारण दुनिया का दवा निर्माता सिंडिकेट भी भारत से अब परेशान है। अब ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के प्रमुख टेडरस अदनम ने कहा है कि अगले सप्ताह में 15 मार्च 2021 के बाद में यह रिपोर्ट किसी भी दिन सार्वजनिक की जा सकती है। प्रारम्भ में इस रिपोर्ट को दो भागो में सार्वजनिक होना था। फरवरी महीने में छोटे स्वरूप में और फिर बाद में व्यापक रूप में। हालांकि अब दोनों ही रिपोर्ट को एक साथ प्रकाशित किया जाएगा। प्रमुख टेडरस अदनम ने कहा है कि मुझे मालूम है संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश भी इस जांच रिपोर्ट का बेताबी के साथ इंतजार कर रहे हैं। जांच टीम अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रही है।

इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख टेडरस ने ‘विश्व व्यापार संगठन’ से भी वैश्विक महामारी कोरोना के पूरी तरह खात्मे तक कोरोनारोधी कोविड वैक्सीन को पेटेंट कराने की अनिवार्यता से छूट देने की भी मांग संबंधी अपील की है। पूरी दुनिया को सस्ती भारत मे बनी कोरोना वैक्सीन मुहैया हो सके, इसके लिए अब भारत भी वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त कराने की मुहिम में जुट गया है। इस काम को अंजाम देने के लिए भारत कोरोना वैक्सीन को पेटेंट नियम से बाहर लाने की जी-तोड़ कोशिश कर रहा है। इस प्रयास के तहत भारत ने हाल ही में ‘विश्व व्यापार संगठन’ (डब्ल्यूटीओ) से कोरोना वैक्सीन को ट्रेड रिलेटेड आस्पेक्ट्स ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (ट्रिप्स) यानी व्यापार संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार से बाहर रखने की गुजारिश की है ताकि छोटे एवं सबसे कम विकसित देशों को आसानी से कम दाम पर वैक्सीन मिल सके। भारत मे अब तक 2 करोड़ 09 लाख 90 हजार लोगों को कोरोना की वेक्सीन का टीकाकरण हो चुका है। उत्तर प्रदेश में अब तक 20 लाख कोरोना वैक्सीन लगवा चुके है और उत्तर प्रदेश अग्रणी बना हुआ है। भारत में 8 मार्च 2021 तक के पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 18 हजार 599 नए मामले आने के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 1करोड़ 12 लाख 29 हजार हुई। 97 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 1 लाख 57 हजार 853 हो गई है। देश के कुछ राज्यो मे पुनः कोरोना के उभरते केसों में ‘परीक्षण, पहचान, उपचार’ की नीति पर फोकस है और आर टी पी सी टेस्ट पर ही जोर देकर निगरानी के केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यो के सचिव को बैठक में निर्देश दिए है। पतंजलि की कोरोनिल दवा के भी कारगर परिणाम बताये जा रहे है जिसके कारण दुनिया का दवा निर्माता सिंडिकेट भी भारत से अब परेशान है। स्मरण रहे ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के प्रमुख टेडरस अदनम ने प्रेस से कहा था कि बेहद गरीब देशों में कोरोना से हो रही मौतों के बढ़ते आंकड़े पर सख्ती से अंकुश लगाने और दुनिया भर में कोरोना रोधी टीके की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ‘विश्व व्यापार संगठन’ को यह फैसला अब तुरंत लेने को आगे आना ही चाहिए।
विगत दिनों पत्रकारो से वार्ता में ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (डब्ल्यू एच ओ) के प्रमुख टेडरस अदनम ने कहा कि अपनी स्वयं की वैक्सीन क्षमता वाले देशों को ‘विश्व व्यापार संगठन’ से विशेष आपातकालीन प्रावधानों में प्रदान किए गए ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों’ को माफ करना शुरू करना चाहिए। प्रमुख टेडरस अदनम ने कहा कि यह प्रावधान आपात परिस्थितियों में उपयोग के लिए हैं। श्री टेडरस ने कहा कि दुनिया भर में कोरोना से लाखों मौत हो जाने के बाद भी अगर ‘पेटेंट अधिकारों’ में छूट देने का अभी सही समय नहीं है तो आखिर यह समय कब होगा ? उन्होंने कहा कि ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ जल्द ही उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी करेगा ताकि कोविड-19 की वैक्सीन के उत्पादन में आने वाली अड़चनों की पहचान की जा सके और उन्हें हल करने के बारे में भी चर्चा हो सके।
ए पी ने तीन महाद्वीपों पर कुछ कारखाने तलाशे हैं जिनके स्वामियों का कहना है कि वह करोडो कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कम समय के नोटिस पर शुरू कर सकते हैं। बस उन्हें ब्लूप्रिंट और उसकी तकनीकी जानकारी मिल जाए। लेकिन यह रिसर्च बड़ी दवा कंपनियों का है, जिन्होंने ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और यू एस – फाइजर, मॉडर्न और एस्ट्राजेनेका सहित देशों द्वारा अधिकृत पहले तीन टीकों का उत्पादन किया है। श्री टेडरस ने कोरोना वैक्सीन तकनीक को ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ समेत कई कंपनियों के साथ साझा करने के लिए एस्ट्राजेनेका की सराहना की थी लेकिन साथ में यह भी कहा कि पारदर्शिता की कमी से नुकसान भी हो रहे है। जिस पर भी अब सवालिया निशान लगे हैं। भारत से सभी दिग्गज दवा निर्माता परेशान है।
अब पूरी दुनिया को सस्ते दामों पर कोरोना वैक्सीन मुहैया हो सके, इसके लिए भारत भी वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त कराने की मुहिम में जुट गया है। इस काम को अंजाम देने के लिए भारत कोरोना वैक्सीन को पेटेंट नियम से बाहर लाने की जी-तोड़ कोशिश कर रहा है। कोरोना वैक्सीन की कीमत अमेरिकी फाइजर कंपनी की वैक्सीन 2800 रुपये, मॉडर्ना कंपनी की 2715 रुपये, चीन की साइनो फॉर्म की 5650 रुपये, सिनोवाक 1027 रुपये, नोवावेकस की 1114 रुपए, रूस की स्पूतनिक वी 700 रुपए कीमत निर्धारित है जबकि इनके मुकाबले भारत सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में फ्री वैक्सीनेशन किया जा रहा है। भारत के प्राइवेट हॉस्पिटल में 250 रुपये में वैक्सीन लगवाई जा रही है। स्मरण रहे पूरी दुनिया में सबसे सस्ता वैक्सीनेशन कार्यक्रम केवल भारत सरकार ही कर रही है। भारत में 8 मार्च 2021 तक के पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 18 हजार 599 नए मामले आने के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 1करोड़ 12 लाख 29 हजार हुई। 97 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 1 लाख 57 हजार 853 हो गई है। देश के कुछ राज्यो मे पुनः कोरोना के उभरते केसों में ‘परीक्षण, पहचान, उपचार’ की नीति पर फोकस है और आर टी पी सी टेस्ट पर ही जोर देकर निगरानी के केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यो के सचिव को बैठक में निर्देश दिए है।
निर्भय सक्सेना, पत्रकार बरेली। मोबाइल 9411005249 7060205249

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