विद्यालय खोले जाने हेतु विद्यालय प्रबन्धकों , प्रतिनिधियों एवं अभिभावक संघ के प्रतिनिधियों की बैठक

विद्यालय खोले जाने हेतु विद्यालय प्रबन्धकों , प्रतिनिधियों एवं अभिभावक संघ के प्रतिनिधियों की बैठक जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट में हुई सम्पन्न।

अभिभावकों की लिखित अनुमति से ही छात्रों को स्कूल भेजा जा सकेगा*। विद्यालयों को खोले जाने में कोविड-19 प्रोटोकाल का विशेष ध्यान रखा जाये* – जिलाधिकारी* लखनऊः- 07 अक्टूबर 2020, जिलाधिकारी श्री अभिषेक प्रकाश की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट स्थित डा0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम सभागार में कोविड-19 के कारण विभिन्न बोर्ड से संचालित वित्तविहीन मान्यता प्राप्त विद्यालयों एवं अभिवावकों की समस्याओं एवं भविष्य में विद्यालय संचालन में बच्चों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए विद्यालय प्रबंधन के प्रतिनिधियों एवं अभिभावक संघ के प्रतिनिधियों की बैठक सम्पन्न हुयी। इस अवसर पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, शिक्षा विभाग के अधिकारी, विद्यालय प्रबंध समिति अध्यक्ष श्री अनिल अग्रवाल सहित विद्यालयों/अभिभावक संघ के प्रतिनिधि उपस्थित थे। जिलाधिकारी ने कहा कि कोविड-19 के प्रोटोकाल को दृष्टिगत रखते हुए शासन द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार ही अभिभावक के लिखित सहमत से ही स्कूल खोले जायें। उन्होंने कहा कि आनलाइन द्वारा कक्षायें जारी रहेंगी जिसे प्राथमिकता दी जाये। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में कक्षा 10 व 12 के विद्यालय खोले जाने, द्वितीय चरण में कक्षा 9 व 11 खोले जायें, तृतीय चरण में फीड बैक आने के बाद छोटे बच्चों के विद्यालय खोलने का निर्णय लिया जायेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रत्येक विद्यालयों में एक मेडिकल रूम बनाया जायें, जिसमें दो बेड हो, चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध होने के साथ ही चिकित्सीय जानकारी रखने वाली व्यक्ति उपस्थित रहें पल्स आक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर, सैनेटाइजर प्रत्येक छात्र के कक्षा में आने व जाने के समय पल्स आक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर जांच की जाये। उन्होंने कहा कि विद्यालय का समय दो शिफ्टों में 3-3 घण्टे का होगा एसेम्बली नही होगी साथ ही स्कूल में 6 दिन का सप्ताह रहेगा। उन्होंने कहा कि विद्यालय खुलने से पहले छात्रों के बैठने के स्थान पर, खेल के मैदान में सैनेटाइजेशन अवश्य किया जायें ,कमरो की खिड़कियां व दरवाजे खुले रखे जायें। जिलाधिकारी ने कहा कि जो बच्चे विद्यालय के वाहन से आते है उसके लिये वाहन की क्षमता से आधे बच्चे ही बैठाये जाये साथ ही विद्यालय के जिम्मेदार व्यक्ति को ड्राइवर के साथ बच्चों को लाने हेतु भेजा जायें।

 

 

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