जानिये, आखिर किसने ताजमहल को पहुंचाया नुकसान

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दुनिया के सात अजूबों में से एक और बेइंतहा सच्चे प्यार की निशानी कहे जाने वाले आगरा के ताजमहल को कल हुई घटना से भारी नुकसान पहुंचा है । वैसे तो पिछले काफी वक्त से ताजमहल में लगे पत्थरों का रंग और उन पर की गई कारीगरी पर वक्त के साथ पर्यावरण का असर साफ देखा जा सकता है। लेकिन सरकारें लगातार उनमें सुधार करवा रही हैं ।

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दरअसल दुनिया के सात अजूबों में शामिल आगरा के ताज महल को तेज हवा से नुकसान पहुंचा है। बुधवार को 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने के कारण ताज के शाही गेट और दक्षिणी हिस्से में लगी गुंबदें और मीनार टूट गईं। आपको बता दें कि सूबे में 11 अप्रैल की शाम 24 साल का रिकॉर्ड तोड़ने वाले तूफान ने दस्तक दी थी। आंधी-तूफान के साथ बारिश का कहर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में देखने को मिला। मौसम के इस कहर के कारण तीन मासूमों सहित कुल 18 लोगों की मौत हुई है।

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यह घटना शाम साढ़े सात बजे की है। तेज हवाओं के कारण ताज के शाही (रॉयल) गेट पर लगी तकरीबन 12 फीट ऊंची मीनार टूट गई। यह गेट दरवाजा-ए-रौजा के नाम से भी मशहूर है। दक्षिणी गेट पर लगे आठ फीट ऊंचे मीनार को नुकसान पहुंचा। सरहदी बेगम उर्फ सहेली बुर्ज के मकबरे की छत का गुलदस्ता भी हवा के तेज झोंके की वजह से नीचे आ गया, जबकि ताज परिसर में कई पेड़ टूट कर गिरे। अच्छी बात ये रही कि जिस वक्त ताज की मीनारों और गुंबदों को नुकसान पहुंचा, उस वक्त परिसर में कोई पर्यटक नहीं था। साल 2016 में भी ताज की मीनारों को नुकसान पहुंचा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से किए गए साफ-सफाई के काम के वक्त मीनारों को नुकसान पहुंचा था। यह भी दावा किया गया था कि बंदरों ने उन मीनारों पर उछल-कूद मचाकर उन्हें कमजोर कर दिया था । इसके अलावा मथुरा और बिजनौर में भी कई जगहों पर मौसम के रौद्र रूप की वजह से बिजली के खंभे और पेड़ गिर गए। लगभग आधा घंटे तक तेज हवाएं और बारिश ने यहां अपना कहर बरपाया था। वहीं, कुछ अन्य राज्यों में ओलावृष्टि भी होने की खबर आई है।

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