High Court : सरकारी नौकरी वालें जान लें हाईकोर्ट का बड़ा फैसला सर्विस बुक में दर्ज नहीं हो सकती संशोधित जन्मतिथि,

याचिका दाखिल कर अध्यापिका ने बीएसए झांसी के 19 अप्रैल 2023 के उसे आदेश को चुनौती दी थी। इसमें पूर्व पारित आदेश को वापस लेते हुए यूपी रिक्रूटमेंट आफ सर्विस डिटरमिनेशन आफ डेथ ऑफ़ बर्थ रूल्स 1994 के नियम-2 के तहत शिक्षिका की सर्विस बुक में रेकॉर्ड की गई जन्मतिथि को संशोधित करने से इनकार कर दिया था।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कर्मचारी के सर्विस बुक में पहली बार दर्ज जन्मतिथि संशोधित नहीं की जा सकती। भले ही जन्मतिथि को संशोधित कर सही कर दिया गया हो, लेकिन नौकरी जॉइन करते समय सर्विस बुक में रेकॉर्ड की गई जन्मतिथि बाद में बदली नहीं की जा सकती।

जस्टिस मंजीव शुक्ला ने यह फैसला झांसी जिले में प्राथमिक विद्यालय में नौकरी कर रही अध्यापिका कविता कुरील की याचिका खारिज करते हुए सुनाया।
याची का पक्ष
शिक्षिका की ओर से पेश अधिवक्ता केएस कुशवाहा का कहना था कि हाईस्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार याची डेट ऑफ बर्थ 3 नवंबर 1967 है। इसे माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सर्टिफिकेट में अपनी गलती मानते हुए ठीक भी कर दिया है। ऐसी स्थिति में हाईस्कूल सर्टिफिकेट के आधार पर अध्यापिका के सर्विस बुक में जन्मतिथि 3 नवंबर 1960 की जगह 3 नवंबर 1967 दर्ज की जाए।
रिटायर हो गई है शिक्षिका, बीएसए का पक्ष
बीएसए अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था कि याची की नियुक्ति बतौर सहायक अध्यापिका वर्ष 2006 में औरैया में हुई थी। हाईस्कूल सर्टिफिकेट में उस समय याची की उम्र 3 नवंबर 1960 दर्ज थी। इसी आधार पर सर्विस बुक में जन्मतिथि दर्ज की गई। शिक्षिका का तबादला झांसी हो गया और सर्विस बुक के आधार पर रिटायरमेंट हो गया। ऐसी स्थिति में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा भले ही उनकी जन्मतिथि संशोधित कर दी गई हो, इस आधार पर सर्विस बुक में संशोधन नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का भी हवालाकोर्ट का तर्क
कोर्ट ने अपने फैले में यूपी रिक्रूटमेंट आफ सर्विस डिटरमिनेशन का डेट ऑफ़ बर्थ रूल्स 1974 के नियम-2 का हवाला देते हुए कहा कि सर्विस बुक में दर्ज जन्मतिथि में बदलाव नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस नियमावली को सही मानते हुए फैसला दिया है। ऐसे में जन्मतिथि में संशोधन नहीं किया जा सकता और वह भी तब जब कर्मचारी रिटायरमेंट के करीब हो।

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