मदद के लिए आगे आया दोस्त नेपाल, टमाटर संकट में फंसा भारत लेकिन बदले में मांग ली ये चीज

काठमांडू: नेपाल और भारत एक दूसरे के रसोई की जरूरत को पूरा कर रहे हैं। भारत में टमाटर की कीमत आसमान छू रही है, जिसे संभालने के लिए नेपाल ने टमाटर का आयात शुरू कर दिया है। वहीं नेपाल ने भारत सरकार से चावल और चीनी भेजने को कहा है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टमाटर के आयात की पहली खेप शुक्रवार को वाराणसी, लखनऊ और कानपुर में पहुंचने की संभावना जताई। टमाटर की कीमतों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। थोक बाजार में टमाटर की कीमतें 140 रुपए किग्रा तक पहुंच गई है। इसके पीछे का कारण गर्मी और बारिश बताया जा रहा है।

भारत ने हाल ही में गैर बासमती चावल का निर्यात बैन कर दिया था। घरेलू कीमतों में कंट्रोल लाने के लिए भारत की तरफ से ये कदम उठाया गया था। भारत के चावल निर्यात पर बैन लगाते ही नेपाल की मार्केट में इसका दाम बढ़ गया।

इसे देखते हुए नेपाल की सरकार ने औपचारिक रूप से भारत से उसे इस बैन से छूट देने को कहा है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने भारत से 10 लाख टन धान और 1 लाख टन चावल और 50 हजार टन चीनी का अनुरोध किया है।

भारत ने चावल निर्यात पर लगाया बैन

उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव रामचन्द्र तिवारी ने कहा कि, ‘पिछले हफ्ते हमने विदेश मंत्रालय के जरिए भारत सरकार से अनाज और चीनी की आपूर्ति का अनुरोध किया है। हमें अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।’ 20 जुलाई को भारत ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाया था। नेपाल में आम तौर पर खाने-पीने की चीजों के दाम त्योहारी सीजन में बढ़ते हैं। नेपाल चावल में आत्मनिर्भर नहीं है। चावल की खपत को पूरा करने के लिए एक बड़ा हिस्सा भारत से पहुंचता है।

खाने-पीने की चीजों के बढ़े दाम

नेपाली व्यापारियों का कहना है कि भारत के बैन के तुरंत बाद इसका असर दिखने लगा था। 25 किलो कै बैग की कीमतों में 200 से 250 रुपए की वृद्धि हो गई थी। उनका कहना है कि त्योहार के सीजन में यह कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। चावल के साथ नेपाल में खाद्य तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। सोयाबीन तेल की कीमतें 25 रुपए प्रति लीटर बढ़ोतरी हो चुकी हैं। सरसो तेल की कीमत इस समय 250 से 300 नेपाली रुपए (156-187 भारतीय रुपया) तक बढ़ चुकी है।

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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