वित्त आयोग ने मुंबई में प्रख्यात अर्थशास्त्रियो से मुलाकात की
वित्त आयोग ने दो दिवसीय मुंबई दौरे के दौरान 8 मई,2019 को प्रख्यात अर्थशास्त्रियो से मुलाकात की। बैठक के दौरान अर्थशास्त्रियो ने आयोग के समक्ष विभिन्न मुद्दो पर अपने विचार व्यक्त किए। इनमें प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं-
- सम्मिलित सार्वजनिक क्षेत्र की ऋण जरूरतो पर समग्र दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता है। इससे बजटेतर लेनदेन, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमो के ऋण और केंद्र और राज्य सरकारो की आकस्मिक देयताएं को सम्मिलित किया जा सकेगा। यह ऋण वहनीयता,वित्तीय पारदर्शिता और वित्तीय और मुद्रा नीति के उचित समन्वय सहित कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है
- 14वें वित्त आयोग द्वारा अधिक कर हस्तांतरण से राज्य सरकारो द्वारा सामाजिक व्यय में हुई प्रगति का ध्यानपूर्वक परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है।
- राज्य सरकारों के ऋण की मांग और पूर्ति में असंतुलन होने की संभावना है, जिससे अगले पांच वर्षों में राज्य सरकारों के ऋण लेने की लागत प्रभावित हो सकती है। 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान राज्य ऋण की परिपक्वता रूप रेखा को देखते हुए इन ऋणों पर पुर्नभुगतान दबाव हो सकता है।
- वर्ष 2015-16 और 2016-17 में क्षणिक परिवर्तन दिखने के बाद वित्तीय घाटा में राज्यों के जीएसडीपी अनुपात में धीरे-धीरे कमी आ रही है।
- राज्य इस समय ऋण एकीकरण की विभिन्न अवस्थाओं में है। कुछ राज्यों के लिए एफआरबीएम लक्ष्य तक पंहुचना बेहद कठिन सामन्जय होगा। हालांकि ये तथ्य महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार संपूर्ण रूप से उनकी ऋण स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। कुछ अर्थशास्त्रियो के अनुसार व्यय समायोजन से आवश्यक समायोजन प्राप्त नहीं किया जा सकता है। नवीन राजस्व वृद्धि प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। खानों की नीलामी को आगे बढाना राज्य वृद्धि का संभावित स्रोत हो सकता है।
- बजट कार्य की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है। यह जानते हुए कि कम वित्तीय घाटा का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता है, सरकार को इसके लिए बजट नहीं बनाना चाहिए।जीएसटी से राजस्व का आंकलन पेजीदा है,लेकिन उपलब्ध आंकडो के साथ कार्य करने के बाद यह असंभव नहीं है।
- अर्थशास्त्रियो ने राज्यो के बीच केंद्रीय कर के क्षैतिज हस्तांतरण और राज्य सरकारो को आर्थिक मदद के रूप में सहायता के संबंध में नियमो के लिए सुझाव भी दिए। ये सुझाव हस्तांतरण नियम में आय अंतर के प्रभाव, वनों के संबंध में इनकी मात्रा के साथ गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता एवं आर्थिक मदद या कर हस्तांतरण की प्रणाली दवारा मानव विकास को प्रोत्साहन की आवश्यकता पर विचार करने आदि है। कुछ अर्थशास्त्रियो ने वित्त आयोग के समक्ष राज्यो के बीच अंतर पर ध्यान देने का अनुरोध किया
- वर्ष 1971 के सापेक्ष वर्ष 2001 की जनसंख्या के उपयोग को देखते हुए कुछ अर्थशास्त्रियो ने हस्तांतरण के लिए प्रोत्साहन ढांचे की शुरूआत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। राज्यो के बीच कुल जनसंख्या में वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या के अनुपात के संदर्भ में महत्वपूर्ण अंतर देखा गया है।
- बैठक के दौरान कुछ अर्थशास्त्रियो ने वित्त आयोग से सामाजिक क्षेत्र में विकास सुनिश्चित करने और हैंडहोल्डिंग की आवश्यकता वाले क्षेत्रो के लिए विशेष उद्देश्य वित्तीय अनुदान देने की प्रणाली को फिर से प्रारंभ करने पर विचार करने का अनुरोध किया। वित्त आयोग देश भर में तुलनात्मक सेवा वितरण मानको को प्राप्त करने की आवश्यकता को अपने मार्गदर्शी सिद्धांत के रूप में अपनाने पर विचार कर सकता है।
- देश में सुदृढ़ सांख्यिकी प्रणाली के विकास को प्राथमिकता देने संबधी सुझाव भी बैठक में प्रस्तुत किया गया।
बैठक में डॉ. रुपा रेगे निस्तुरे, श्री सौगत भट्टाचार्य, सुश्री प्राची मिश्रा, डॉ. समीरन चक्रवती, सुश्री प्रांजुल भंडारी, सुश्री आशु सुयश, श्री अंजन देब बोस, श्री नरेश ठक्कर, श्री सौम्या कांती घोष, श्री अजित रनाडे, प्रो. असीमा गोयल और डॉ. एस.एल. शेट्टी शामिल हुए।