CBI : सीबीआई का बैंकों से आग्रह- अधिकारियों की जांच के लिए जल्दी दें जरूरी मंजूरी,

CBI: सीबीआई का बैंकों से आग्रह- अधिकारियों की जांच के लिए जल्द लें जरूरी मंजूरी, देरी से कमजोर होंगे मामले सीबीआई ने बैंकों से अनुरोध किया है कि वे धोखाधड़ी के मामलों में अपने अधिकारियों पर जांच और अभियोजन के लिए अनिवार्य मंजूरी जल्दी दें, ताकि जांच समय पर पूरी हो सके। बंगलूरू में हुई बैठक में सीबीआई, वित्त मंत्रालय और सरकारी बैंकों के अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को तेज करने पर जोर दिया।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंकों से आग्रह किया कि वे अपने अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई के लिए जरूरी मंजूरी की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करें। यह अनुरोध उन मामलों को लेकर किया गया है, जहां बैंक अधिकारियों पर धोखाधड़ी का शक है और मामला सीबीआई को सौंपा गया है।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस), सीबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के बीच बंगलूरू में आज हुई बैठक में उठाया गया। सीबीआई ने बयान में कहा कि दिनभर चली बैठक में बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच और अभियोजन से जुड़े लंबित मामलों पर चर्चा हुई और कई मुद्दों का समाधान भी किया गया।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत जांच और धारा 19 के तहत अभियोजन शुरू करने के लिए सीबीआई को संबंधित बैंक से मंजूरी लेनी होती है। सूत्रों के मुताबिक, अगर बैंक यह मंजूरी नहीं देते या देरी करते हैं, तो मामलों की जांच कमजोर हो जाती है और सीबीआई दबाव में आ जाती है क्योंकि मंजूरी के बिना आगे की कार्रवाई नहीं की जा सकती। यह बैठक 30 जनवरी को मुंबई में हुई उच्चस्तरीय बैठक की अगली कड़ी थी, जिसका मकसद बैंकों और एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ाना और धोखाधड़ी के मामलों की जांच को तेज करना था।
बैठक के दौरान सीबीआई और सार्वजनिक बैंकों ने कई अहम परिचालन मुद्दों पर प्रेजेंटेशन दिया। इनमें से कई पहलुओं पर चर्चा कर समाधान निकाला गया। सीबीआई ने कहा कि बैंकों और एजेंसी के बीच जरूरी दस्तावेज समय पर साझा करने को लेकर अच्छी समझ बनी है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए और 19 के तहत मंजूरी प्रक्रिया को आसान और सक्रिय बनाने पर भी जोर दिया गया। बैठक में मामलों से जुड़े खास विवरणों पर चर्चा की गई और लंबित जांच को जल्द पूरा करने की दिशा में भी विचार किया गया।
ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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