बरेली के अस्पताल प्रबंधन ने 13 घंटे तक नहीं दिया शव

बरेली : घायल आजम शाह की जिंदगी बचाने के लिए जिस सत्या अस्पताल की चौखट पर पहुंचाया गया, वहां ऐसी हरकत हुई कि मानवता कराह उठे। सात घंटे बाद आजम ने दम तोड़ दिया, मगर तब तक अस्पताल वाले 33 हजार रुपये का बिल बना चुके थे। आर्थिक कमजोर परिवार रुपये का इंतजाम नहीं कर सका तो अस्पतालों वालों ने शव नहीं दिया। 22 लोगों से चंदा कर 17 हजार रुपये जुटाए, स्टाफ से मिन्नतें कीं तब 13 घंटे बाद उनका शव मिला सका।

सीबीगंज के मथुरापुर निवासी आजम शाह रविवार रात पैदल घर जा रहे थे। जीरो प्वाइंट पर रामपुर की ओर से आ रहे तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से वह घायल हो गए थे। करीब नौ बजे पुलिस ने उन्हें पड़ोस के सत्या अस्पताल में भर्ती करा दिया था। सुबह चार बजे आजम की मौत हो गई। स्वजन उन्हें तलाशते हुए अस्पताल पहुंचे तो कहा गया कि 33 हजार रुपये का बिल बना है। इसे देकर शव ले जाएं।

आजम के भाई बबलू ने आर्थिक मजबूरी बताई, कहा कि इतनी रकम नहीं दे सकेंगे। आरोप है कि अस्पतालों ने झिड़क दिया। कह दिया कि जब तक बिल की रकम नहीं मिलेगी, शव नहीं ले जाने देंगे। मजबूरन बबलू ने परिचित लोगों से चंदा कर रकम जुटाई, तब शाम पांच बजे शव दिया गया। मचा हंगामा तो 17 हजार पर माने, 22 लोगों से चंदा कर जुटाई रकम

आजम की मौत पर मां, भाई और पत्नी चीख-चीखकर रो रहे थे। अस्पताल प्रबंधन ने बगैर पैसे दिए शव देने से इन्कार किया तो हंगामा शुरू हो गया। बावजूद अस्पताल प्रबंधन अपनी जिद पर अड़ा रहा। शोर-शराबा बढ़ता देख दोपहर तीन बजे अस्पताल का एक कर्मी आया और 17 हजार में सेटलमेंट करने की बात कही। इस पर भी स्वजनों ने रकम जुटाने में असमर्थता जताई तो अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि इतना तो देना पड़ेगा। इसमें 10 हजार रुपये डाक्टर के व सात हजार रुपये मेडिकल स्टोर के हैं। हवाला दिया गया कि आजम के पैर का आपरेशन किया गया, ब्लड चढ़ाया गया। इसमें आया खर्च देना ही होगा। इसके बाद स्वजन ने किसी से पांच सौ तो किसी से हजार रुपये चंदा लिया। 22 लोगों ने 17 हजार की रकम जुटकर अस्पताल को दी। इसके बाद शव स्वजन को दिया गया। आजम शाह की दो बेटियां हैं। पत्नी गुड़िया भी उनके काम में हाथ बटाती थी। स्वजन का सवाल-सात घंटे में 33 हजार का बिल कैसे

भाई बबलू ने कहा कि इलाज के सात घंटे के अंदर आजम की मौत हो गई। पैर का आपरेशन भी नहीं किया गया, खून भी नहीं चढ़ाया गया। अस्पताल प्रबंधन झूठ बोल रहा। कहा कि यदि भाई का यह सब इलाज होता तो वह बच जाते। बबलू ने अस्पताल प्रबंधन पर बिल के नाम पर अवैध वसूली का आरोप लगाया। मामले की जानकारी हुई है। अभी स्वजन की ओर से तहरीर नहीं दी गई है। तहरीर मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

सतीश यादव, इंस्पेक्टर, इज्जतनगर

आर्थिक मजबूरी के बारे में पता चला तो आजम के परिवार की पूरी मदद की गई। अस्पताल ने एक भी रुपया नहीं लिया है। उन्होंने सिर्फ दवा के रुपये दिए। यदि 17 हजार रुपये दिए हैं तो उसकी रसीद दिखाएं।

आरके सिंह, प्रबंधक, सत्या अस्पताल

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