केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने केंद्रीय बजट 2019-20 की सराहना की और शिक्षा क्षेत्र को प्राथमिकता देने के लिए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने केंद्रीय बजट 2019-20 की सराहना की और शिक्षा क्षेत्र को प्राथमिकता देने के लिए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए कुल बजट आवंटन 2018-19 के 85,010 करोड़ रुपये से बढ़कर  2019-20 में 94,853.64 करोड़ रुपये हुआ 

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए कुल बजट आवंटन 9843.64 करोड़ रुपये बढ़ा 

बजट अनुमान 2019-20 में उच्च शिक्षा के लिए कुल बजट आवंटन पिछले वर्ष की तुलना में 9.4% बढ़कर 38,317 रुपये हुआ 

वित्त वर्ष 2019-20 में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के बजट आवंटन में  6422.88 करोड़ (12.81प्रतिशत) की समग्र वृद्धि हुई 

विश्व स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण के लिए 400 करोड़ रुपये का आवंटन 

सरकार स्कूल और उच्च शिक्षा में सुधार के लिए नई शिक्षा नीति लाएगी 

प्रमुख  क्षेत्रों में अनुसंधान तेज करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) की घोषणा

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने केंद्रीय बजट 2019-20 की सराहना की है और शिक्षा क्षेत्र और छात्रों के समग्र विकास को प्राथमिकता देने के लिए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस बजट से शिक्षा क्षेत्र में सभी हितधारकों के आकांक्षाओं को पूरा किया जाएगा। उन्होंने शिक्षा क्षेत्रों में बजट के बढ़ते आवंटन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन बनाने की घोषणा की सराहना की, जो भारत सरकार के सभी मंत्रालयों के अनुसंधान प्रयासों के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में सरकार का बजट पेश किया। बजट ने देश के शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने का प्रयास किया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए कुल बजट आवंटन 2018-19 के 85,010 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 94,853.64 करोड़ रुपये हो गया है।  

विभागवार विवरण इस प्रकार हैं:

उच्च शिक्षा विभाग

उच्च शिक्षा के लिए बजट अनुमान 2019-20 में कुल बजट आवंटन 38,317 करोड़ रुपये है, जो बजट अनुमान 2018-19 के 35,010 करोड़ रुपये के आवंटन की तुलना में 9.4% अधिक है।

 

इसके अलावा सरकार ने उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (एचईएफए) का उपयोग करके अतिरिक्त-बजटीय संसाधनों के माध्यम से 15,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। सरकार ने उच्च शिक्षा संस्थानों में उच्च गुणवत्ता के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए आवश्यक धन जुटाने के उद्देश्य से हेफा को 2,100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त इक्विटी प्रदान की है।

 

2019-20 के लिए उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए समग्र निधि उपलब्धता 53,317 (38,317 करोड़ रुपये + एचईएफए के माध्‍यम से 15,000 करोड़ रुपये) है। इसलिए 2019-20 में उच्च शिक्षा के लिए निधि उपलब्धता काफी बढ़ गई है। उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट आवंटन की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

योजनाओं में प्रमुख वृद्धि निम्‍नलिखित है:

योजना का नाम / स्वायत्त निकाय संशोधित अनुमान 2018-19 बजट अनुमान 2019-20 संशोधित अनुमान के संबंध में वृद्धि
आईआईटी को समर्थन 5714.70 6409.95 12.17% 12.17%
राष्‍ट्रीय शिक्षा मिशन: राष्‍ट्रीय उच्‍चतर शिक्षा अभियान  (रुसा) 1500.00 2100.00 40%
विज्ञान में परिवर्तनकारी और उन्नत अनुसंधान के लिए योजना (स्टार) 5.00 50.00 900%
अकादमिक तथा अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिए योजना (स्‍पार्क) 30.00 130.00 333%
सामाजिक विज्ञान में प्रभावकारी अनुसंधान (इम्‍प्रेस) 25.00 75.00 200%
इम्प्रिंट अनुसंधान पहल का क्रियान्‍वयन(प्रभावकारी अनुसंधान नवाचार एवं प्रौद्योगिकी) 50.00 80.00 60%
भारत में अध्‍ययन 50.00 65.00 30%
आईसीटी के माध्‍यम से शिक्षा में राष्‍ट्रीय मिशन 150.00 170.00 13%
विश्‍व स्‍तरीय संस्‍थान 128.90 400.00 210%

 

 

जैसा कि देखा जा सकता है, सभी शोध योजनाओं में आवंटन में बड़ी वृद्धि हुई है। आईआईटी को 6409.95 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12% अधिक है। रूसा जैसे फ्लैगशिप कार्यक्रमों में काफी वृद्धि हुई है, जहाँ बजट आवंटन को 1500 करोड़ रुपये से 40% बढ़ाकर 2100 करोड़ रुपये कर दिया गया है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों को 6,864.40 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यूजीसी को 4950.66 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। शैक्षणिक संस्‍थानों को समाज के साथ जोड़ने में सरकार के विश्‍वास को दोहराते हुए उन्‍नत भारत अभियान, जिसके तहत 10,000 गांवों को उच्च शैक्षणिक संस्थानों द्वारा अपनाया गया है, के बजट आवंटन में 32% की वृद्धि की गई है।

स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग:

वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में वित्‍त वर्ष 2019-20 में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के बजट आवंटन में 6422.88 करोड़ (12.81%) की समग्र वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2019-20 में समग्र बजट आवंटन 56536.63 करोड़ है, जिसमें से योजना आवंटन 48063.60 करोड़ रुपये और गैर-योजना आवंटन  8473.03 करोड़ रुपये है। योजना आवंटन में  6603.47 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। फ्लैगशिप योजनाओं के बजट आवंटन में वृद्धि हुई है यानी समग्र शिक्षा (5430.19 करोड़ रुपये) और मिड डे मील (500 करोड़ रुपये)।

बजट में अन्य प्रमुख घोषणाएं:

शिक्षा के क्षेत्र में “विश्‍व स्‍तरीय संस्‍थान” बनाने के लिए वित्‍त वर्ष 2019-20 में 400 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों से तीन गुना से अधिक है।

वित्‍त मंत्री ने आश्‍वासन दिया कि सरकार देश की उच्‍च शिक्षा प्रणाली को विश्‍व की एक बेहतरीन शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आएगी। नई नीति में स्‍कूली और उच्‍च शिक्षा दोनों में बड़े बदलाव का प्रस्‍ताव किया गया है, जिसमें अन्‍य बातों के अलावा बेहतर प्रशासन तथा अनुसंधान और नवाचार पर भी जोर दिया गया है।

वित्‍त मंत्री ने अनुसंधान और नवाचार के उद्देश्‍यों की पूर्ति के तहत अनुसंधान कार्यों के वित्‍त पोषण, समन्‍वय और प्रोत्‍साहन के लिए राष्‍ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरए) के गठन की भी घोषणा की। उन्‍होंने कहा कि एनआरएफ यह सुनिश्चित करेगा कि देश में राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं और मूल विज्ञान के विषयों पर अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को प्रयासों और खर्चों में दोहराव के बिना सशक्‍त बनाया जा सके। उन्‍होंने कहा कि अनुसंधान कार्यों के लिए सभी मंत्रालयों में उपलब्‍ध कोष को एनआरएफ में समायोजित किया जाएगा और इसके लिए अतिरिक्‍त धन की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था भी की जाएगी।

श्रीमती सीतारामण ने कहा कि ‘स्‍टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम विदेशी छात्रों को भारत के उच्‍च शिक्षा संस्‍थाओं में पढ़ने के लिए प्रोत्‍साहित करने पर फोकस करेगा। उन्‍होंने घोषणा की कि भारतीय उच्‍च शिक्षा आयोग के गठन के लिए एक बिल का मसौदा आने वाले साल में पेश किया जाएगा। इससे उच्‍च शिक्षा प्रणाली के नियमन में बड़े सुधार लाने, शिक्षा संस्‍थान ज्‍यादा स्‍वायत्ता देने तथा बेहतर अकादमिक परिणाम प्राप्‍त करने में मदद मिलेगी।

सरकार की हाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्‍होंने कहा कि जहां पांच साल पहले तक एक भी भारतीय शिक्षा संस्‍थान विश्‍व के 200 शीर्ष विश्‍वविद्यालयों की सूची में नही था, वही आज देश के दो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान तथा बेंगलूरू के भारतीय विज्ञान संस्‍थान ने आज इसमें अपनी जगह बना ली है। उन्‍होंने कहा कि देश की शिक्षा संस्‍थाओं द्वारा गुणवत्‍ता में सुधार तथा अपनी विश्‍वसनीयता को बेहतर तरीके से स्‍थापित करने के कारण ही यह संभव हो पाया है।

श्रीमती सीतारामण ने शिक्षा नीति का और ब्‍यौरा देते हुए कहा कि ‘स्‍वयं के जरिये की गई ऑनलाइन ओपन पाठ्यक्रम की पहल ने छात्र समुदाय के वंचित वर्ग के लिए डिजिटल डिवाइड को पाटने में काफी मदद की है। उच्‍च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण गुणवत्‍ता को बढ़ाने के लिए वैश्विक अकादमिक नेटवर्क पहल (ज्ञान) कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य विश्‍व स्‍तर पर उपलब्‍ध वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं तक पहुंच बनाना है। उन्‍होंने कहा कि देश की जरूरतों के अनुरूप कुछ विशेष क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की चुनौतियों से निपटने की एक प्रभावी रूपरेखा तय करने के लिए प्रभावी अनुसंधान नवाचार और प्रौद्योगिकी योजना )इम्प्रिंट( की शुरूआत आईआईटी और आईआईएससी की संयुक्‍त पहल के रूप में की गई है। देश के उच्‍च शिक्षण संस्‍थान अब नवाचार का केन्‍द्र बनते जा रहे हैं।

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