Supreme Court : EVM-VVPAT मामले पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट क्या इससे वोटर के निजता का अधिकार प्रभावित नहीं होगा?

याचिकाकर्ताओं की तरफ़ से वकील निजाम पाशा ने दलील देते हुए कहा  कि यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वोटर अपना VVPAT स्लिप बैलट बॉक्स में ख़ुद डाले. वहीं जस्टिस खन्ना ने इस पर सवाल किया कि इससे क्या वोटर के निजता का अधिकार प्रभावित नहीं होगा.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT मामले में सुनवाई (Supreme Court On EVM-VVPAT) चल रही है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेड़छाड़ हो सकती है.

इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता, यह एक फर्मवेयर है, जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है. इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता. पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं

और राजनीतिक दलों की मौजूदगी में लॉक किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब आप ईवीएम को जब भेजते हैं तो क्या उम्मीदवारों को टेस्ट चेक करने की अनुमति होती है.

इस पर चुनाव आयोग ने बताया कि मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखने से पहले मॉक पोल आयोजित किया जाता है. उम्मीदवारों को रैंडम मशीनें लेने और जांच करने के लिए पोल करने की अनुमति होती है.

याचिकाकर्ताओं की तरफ़ से वकील निजाम पाशा ने दलील देते हुए कहा  कि यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वोटर अपना VVPAT स्लिप बैलट बॉक्स में ख़ुद डाले. वहीं जस्टिस खन्ना ने इस पर सवाल किया कि इससे क्या वोटर के निजता का अधिकार प्रभावित नहीं होगा. इस पर वकील निजाम पाशा ने दलील दी कि वोटर की निजता से अधिक जरूरी है

उसका मत देने का अधिकार! इस पर संजय हेगड़े की तरफ से कहा गया कि सभी पर्चियों के मिलान की सूरत में  EC की तरफ़ से 12-13 दिन लगने की जो बात कहीं जा रही है, वो दलील ग़लत है.

“7 सेकंड तक जलती है VVPAT लाइट”

प्रशांत भूषण ने केरल के लिए अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि बीजेपी के पक्ष में EVM में मॉक के समय एक अतिरिक्त वोट पड़ रहा था. इस पर अदालत ने चुनाव आयोग से इसे वेरीफाई करने को कहा. ADR के वकील. प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती है, अगर वह लाइट हमेशा जलती रहे तो पूरा फंक्शन मतदाता देख सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने मांगी EVM-VVPAT के फंक्शन पर जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से EVM-VVPAT के फंक्शन पर जानकारी मांगी. साथ ही संसदीय स्टैंडिंग कमेटी रिपोर्ट पर भी सफाई मांगी. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से पूछा कि EVM के साथ छेड़छाड़ न हो सके, ये सुनिश्चित करने के लिए आपकी ओर से क्या प्रकिया अपनाई जा रही है.

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है, उस पर आप अपना रुख साफ करिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रकिया की अपनी गरिमा होती है, किसी को ये आशंका नहीं रहनी चाहिए कि  इसके लिए जो जरुरी कदम उठाए जाने थे, वो नहीं उठाए गए.

अदालत में चुनाव आयोग के अधिकारी की दलील

चुनाव आयोग के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में EVM से संबंधित जानकारी देते हुए कोर्ट को बताया कि ईवीएम प्रणाली में तीन यूनिट  होते हैं, बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और तीसरा वीवीपीएटी.बैलेट यूनिट सिंबल को दबाने के लिए है, कंट्रोल यूनिट डेटा संग्रहीत करता है और वीवीपीएटी सत्यापन के लिए है.

चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि कंट्रोल यूनिट VVPAT को प्रिंट करने का आदेश देती है. यह मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देता है और फिर यह वीवीपीएटी के सीलबंद बॉक्स में गिर जाता है. प्रत्येक कंट्रोल यूनिट में 4 MB की मेमोरी होती है. मतदान से 4 दिन पहले कमीशनिंग प्रक्रिया होती है और सभी उम्मीदवारों की मौजूदगी में प्रक्रिया की जांच की जाती है और वहां इंजीनियर भी मौजूद होते हैं.

चुनाव आयोग (ECI) ने कहा कि, ईवीएम एक स्वतंत्र मशीन है. इसको हैक या छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता. वीवीपैट को फिर से डिजाइन करने की कोई जरूरत नहीं है. मिसमैच का केवल एक मामला था क्योंकि मॉक का डेटा डिलीट नहीं किया गया था.

आयोग ने कहा कि, मैन्युअल गिनती में मानवीय भूल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन मौजूदा सिस्टम  में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गई है.

हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को चेताया कि, हर चीज पर संदेह नहीं जताया जा सकता, चुनाव आयोग ने कुछ अच्छा किया है, इसकी सराहना भी करनी चाहिए. हर बार आलोचना नहीं की जानी चाहिए. जस्टिस संजीव खन्ना ने भूषण से कहा कि अब आप अपनी मांग को लेकर बहुत आगे जा रहे हैं. हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता.

अगर चुनाव आयोग ने कुछ अच्छा किया है तो आप उसकी भी सराहना करें. हमने आपकी बात सुनी क्योंकि हम भी चिंतित हैं. क्या आपको हर चीज के बारे में बताना जरूरी है?

याचिकाकर्ता के वकील ने सफाई देते हुए कहा कि हम कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं. सुबह जो शिकायत की थी वो चुनाव एजेंट द्वारा की गई है.

ईवीएम मामले पर सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि, हर चुनाव से पहले इस तरह की याचिका आती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह पहले से लंबित है. तुषार मेहता ने कहा- यह मतदाताओं के मन में  शंका पैदा करता है, वोटर प्रभावित होते हैं, सिस्टम प्रभावित होता है.

कल कोई प्लांटेड खबर के लिए तैयार रहिए. मेहता ने याचिकाकर्ताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनावों से ठीक पहले ऐसा होता रहता है. इसका असर मतदान पर पड़ता है, लोकतंत्र को नुकसान पहुंचता है.

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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