PM Modi : विश्व टी 20 चैंपियन भारतीय क्रिकेट टीम के साथ प्रधानमंत्री की बातचीत का मूल पाठ

प्रधानमंत्री- साथियों! आप सबका स्‍वागत है और हमारे लिए खुशी की बात है कि आपने देश को उत्‍साह से भी और उत्‍सव से भर दिया है। और देशवासियों की सारी आशाओं-इच्‍छाओं को आपने जीत लिया है। मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई आपको। आमतौर पर मैं देर रात दफ्तर में काम करता रहता हूं। लेकिन इस बार टीवी भी चल रहा था और फाइल भी चल रही थी, ध्यान केंद्रित नहीं हो रहा था फाइल में। लेकिन आप लोगों ने शानदार अपनी टीम स्पिरिट को भी दिखाया है, अपने टैलेंट को भी दिखाया है और patience नजर आ रहा था। मैं देख रहा था कि patience था, हड़बड़ी नहीं थी। बड़ा ही आत्‍मविश्‍वास से भरे हुए थे आप लोग तो मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत बधाई है, साथियों।

राहुल द्रविड़- पहले तो मैं शुक्रिया कहना चाहता हूं आपका कि आपने हमें मौका दिया आपके साथ मिलने का और आपने जब हम नवम्‍बर में अहमदाबाद में वो मैच हारे थे, तो वहां पर भी आप आए थे जब हमारा थोड़ा समय इतना अच्‍छा नहीं था। तो हमें बहुत खुशी हुई कि आज हम आपको इस खुशी के मौके पर भी मिल सकते हैं। मैं सिर्फ ये कहूंगा कि जो रोहित और इन सब लड़कों ने बहुत जो fighting spirit दिखाई है, जो never say die attitude दिखाई है, बहुत matches में। फाइनल में जाकर भी वो बहुत मतलब लड़कों का बहुत क्रेडिट है इसमें। बहुत मेहनत की है लड़कों ने। बड़ी खुशी की बात है कि जो इन लड़कों ने inspire किया है, जो यंग जेनरेशन आएगी, ये लड़के भी inspire हुए हैं। 2011 की जो victory थी, उसको देख कर बड़े हुए हैं काफी ये लड़के तो अभी इन लड़कों की ये performance देखकर I am sure लड़के-लड़कियां हमारे देश में इन लोगों को हर sports में बहुत inspire किया तो मैं शुक्रिया देना चाहता हूं आपका और मैं सिर्फ इन लड़कों को congratulate करना चाहता हूं।

प्रधानमंत्री – बधाई तो आप लोगों को है भाई। देश के नौजवानों को आप बहुत कुछ आगे आने वाले समय में दे सकते हैं। Victory तो दे दी है, लेकिन आप उनको बहुत inspire कर सकते हैं। हर छोटी-छोटी चीज में आप लोगों को गा‍इड कर सकते हैं। अपने-आप में आपके पास एक authority है ना अब। चहल क्यों सीरियस हैं? मैंने सही पकड़ा है ना। हरियाणा का कोई भी व्‍यक्ति हो वो हर हालत में खुश रहता है, वो हर चीज में खुशी ढूंढता है।

रोहित मैं इस पल के पीछे आपके मन को जानना चाहता हूं। जमीन कोई भी हो, मिट्टी कहीं की भी हो, लेकिन क्रिकेट की जिंदगी ही पिच पर होती है। और आपने क्रिकेट की जो जिंदगी है उसको चूमा। ये कोई हिंदुस्‍तानी ही कर सकता है।

रोहित शर्मा– जहां पर हमें वो victory मिली, उसका मुझे बस एक पल जो था वो हमेशा याद रखना था और वो चखना था, बस। क्‍योंकि उस पिच पर हम खेलकर उस पिच पर हम जीते, क्‍योंकि हमने सब लोगों ने उस चीज का इतना wait किया, इतना मेहनत किया। बहुत बार हमारे पास, बिल्‍कुल पास में आया था वर्ल्‍ड कप, पर हम आगे नहीं जा सके। लेकिन इस बार सब लोगों की वजह से हम उस चीज को हासिल कर सके, तो वो पिच मेरे लिए बहुत मतलब ये था कि उस पिच पर हमने वो जो भी हमने किया उस पिच पर किया तो इसलिए वो बस उस movement पर वो हो गया मेरे से। हम लोगों ने, पूरी टीम ने इस चीज के लिए लिए इतनी मेहनत की थी और वो मेहनत हमारी रंग लाई उस दिन।

प्रधानमंत्री– हर देशवासी ने मार्क किया होगा, लेकिन रोहित मैंने दो extreme चीजें देखीं। इसमें मुझे emotions नजर आ रहे थे। और जब तुम ट्रॉफी लेने जा रहे थे, जो नृत्‍य होता है।

रोहित शर्मा– सर, उसके पीछे ये था कि जैसे हम सबके लिए इतना बड़ा moment था वो, तो हम सब लोग इस चीज का इतने साल से इंतजार कर रहे थे। तो मुझे लड़कों ने बोला कि आप सिर्फ ऐसे ही मत जाना चलकर, कुछ अलग करना।

प्रधानमंत्री– तो ये चहल का आइडिया था क्‍या?

रोहित शर्मा– चहल और कुलदीप…

प्रधानमंत्री– अच्छा! आपकी ये रिकवरी की यात्रा कठिन है। प्‍लेयर के नाते तो शायद पुरानी आपकी अमानत थी, उसको आपने आगे कर लिया। लेकिन ऐसे समय कोई व्‍यक्ति रिकवरी करे ये, क्‍योंकि उस समय आपने काफी पोस्ट्स भी किये थे, मैं आपके पोस्ट्स देखता रहता था कि आज आपने इतना कर लिया, आज इतना कर लिया, मुझे मेरे साथी बताते थे।

ऋषभ पंत- थैंक्यू पहले कि आपने हम सबको यहां बुलाया। इसके पीछे सर normal thought था ये क्‍योंकि एक-डेढ़ साल पहले मेरा एक्‍सीडेंट हो गया था तो काफी tough time चल रहा था। वो मेरे को याद है बहुत ज्‍यादा क्‍योंकि आपका कॉल आया था सर, मेरी मम्‍मी को। तो बहुत ज्‍यादा दिमाग में बहुत सारी चीजें चल रही थीं। But जब आपका कॉल आया, मम्‍मी ने मुझको बताया कि सर ने बोला कोई problem नहीं है। तब थोड़ा mentally relax हुआ काफी। उसके बाद फिर रिकवरी के टाइम पर आसपास सुनने के लिए मिलता था सर, कि क्रिकेट कभी खेलेगा कि नहीं खेलेगा। तो मुझको स्‍पेशली विकेट कीपिंग के लिए मेरे को बोलते थे कि यार batsman तो फिर भी कर लेगा, बैटिंग कर लेगा, लेकिन विकेट कीपिंग करेगा या नहीं करेगा। तो पिछले डेढ़-दो साल से सर यही सोच रहा था कि यार वापस फील्‍ड में आकर जो कर रहा था उससे better करने की try करनी है और किसी और के लिए नहीं but अपने-आपको प्रूफ करना है नहीं, वहां पर dedicate करके कि यार नहीं वापस इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना है और इंडिया को जिताने को देखना है।

प्रधानमंत्री– ऋषभ जब आपकी रिकवरी चल रही थी। मैंने आपकी मां से बात की तो मैंने दो बातें कहीं थीं, एक तो पहले मैंने डॉक्‍टर्स से चर्चा की थी। Doctors से मैंने opinion लिया तो मैंने कहा कि भई कहीं इसको अगर बाहर ले जाना है तो ये मुझे बताइए। बोले हम चिंता करेंगे। लेकिन मुझे आश्‍चर्य था आपकी मां के हाथ पर विश्‍वास था। ऐसा लग रहा था जब मैं उनसे बात कर रहा था, मेरा परिचय तो नहीं था, कभी मिला तो नहीं था, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे आश्‍वासन दे रही हैं। ये बड़ा गजब का था जी। तो मुझे लगा कि जिसको ऐसी मां मिली है वो कभी विफल नहीं जाएगा। ये मेरा मन में विचार आया था, उसी समय आया था जी। और आपने करके दिखाया है ये। और सबसे बड़ा मुझे तब लगा जब मैंने आपसे बात किया, किसी को दोष नहीं ये मेरा दोष है। ये बहुत बड़ी बात है जी, वरना कोई भी बहाना निकालता, गड्ढा था, ढिकना था, फलाना था; आपने ऐसा नहीं किया। ये मेरी गलती थी, शायद ये आपका जीवन के प्रति जो openness है और मैं छोटी-छोटी चीजों को observe करता हूं दोस्तों और हर किसी से सीखता हूं। तो मैं सच बताता हूं आपका जीवन देश के patience in general और players in particular वे पक्‍का बड़ी ईश्वरीय लिनकेज है जी। और मैं जानता हूं जो विकेट कीपर होते हैं उनकी जो कोचिंग होती है, कितनी कठिन होती है। घंटो तक अंगूठे पकड़ा कर खड़ा रखते हैं। लेकिन आपने उसी लड़ाई को जीता है तो बहुत बड़ा काम किया है जी। बधाई हो आपको।

ऋषभ पंत- Thank You Sir.

प्रधानमंत्री – उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन एक जो लंबी तपस्‍या होती है वो समय पर काम आती है। आपने खेल में जो तपस्‍या की है वो जरूरत पड़ने पर उसने अपना रंग बिखेरा। विराट बताइए, इस बार की लड़ाई तो बहुत उतार-चढ़ाव की रही आपकी।

विराट कोहली – पहले तो बहुत-बहुत शुक्रिया आपका कि आपने हम सबको यहां बुलाया। और ये दिन मेरे लिए बहुत हमेशा मेरे जहन में रहेगा। क्‍योंकि ये पूरे टूर्नामेंट में मैं वो contribution नहीं कर पाया जो मैं करना चाहता था और एक समय में मैंने राहुल भाई को भी बोला कि मैंने अपने-आपको और टीम को, दोनों को न्‍याय नहीं दिया अभी तक। तो इन्‍होंने मुझे बोला कि जब सिचुएशन आएगी तो मुझे भरोसा है कि तुम perform करोगे। तो ये conversation हमारी हुई थी और जब हम खेलने भी गए तो मैंने पहले रोहित को बोला क्‍योंकि मेरा जैसे टूर्नामेंट गया था, मुझे इतना confidence नहीं था अंदर जब मैं खेलने जा रहा था कि वैसी बेटिंग हो सकेगी जैसी मैं करना चाहता हूं। तो जब हम खेलने गए, मुझे पहले चार बॉल में तीन चौक्‍के मिले तो मैंने इसको जाकर बोला, मैंने कहा, यार क्‍या गेम है ये, एक दिन लगता है एक रन नहीं बनेगा और एक दिन आप जाते हैं और सब कुछ होने लगता है। तो वहां पर मुझे फील हुआ कि और especially जब हमारी विकटें गिर गईं कि वो सिचुएशन मुझे अपने-आपको सरेंडर करना है। टीम के लिए क्‍या जरूरी है इस समय पर, सिर्फ वो ही मेरे फोकस में था और मुझे ऐसा फील हुआ कि वो मुझे उस zone में डाला गया, अब वो मुझे किस वजह से डाला गया वो explain करना मुश्किल है। But मुझे ऐसा फील हुआ कि बिल्‍कुल मैं उस moment में बंध गया। और बाद में मुझे समझ आया कि जो चीज होनी होती है वो किसी भी तरीके से होती है। तो ये होना ही था मेरे साथ, टीम के साथ। अगर आप मैच भी देखें, जिस तरीके से हम मैच जीते end में, जो situation थी, हम लोगों ने एक-एक बॉल को जीया end में, जहां से मैच पलटा और हमारे अंदर क्‍या चल रहा थो वो हम explain नहीं कर सकते। एक-एक बॉल में कि मैच यहां जा रहा है, वहां जा रहा है। एक समय उम्‍मीद छूट चुकी थी, उसके बाद हार्दिक ने विकेट लिया। उसके बाद एक-एक बॉल करके, एक-एक बॉल करके वो एनर्जी फिर बनी। तो मुझे खुशी इस बात की है कि मैं इतने बड़े दिन में contribute कर पाया टीम के लिए एक मुश्किल समय के बाद। और वो पूरा दिन जैसे गया हमारा और जिस तरीके से हम जीते, जैसे मैंने बोला, वो मैं कभी नहीं भुला पाऊंगा अपनी जिंदगी में। तो मुझे बस खुशी थी कि मैं टीम को उस जगह तक ले जा पाया, जहां से हम मैच को जीतने की कोशिश कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री – ये सबको लग रहा था विराट, क्‍योंकि टोटल आपका 75 और बाद में एकदम 76, तो कभी-कभार ये पल होता है जी। सब लोग कहते हैं यार तुम्‍ही कर लोगे। वो भी एक तरीके से driving force बन जाता है जी। लेकिन परिवार से immediate क्‍या reaction आया होगा, जब 75 में दबे रहते थे तो।

विराट कोहली – अच्‍छी बात ये थी सर, यहां टाइम का difference ज्‍यादा था तो परिवार से मेरी बात नहीं हुई ज्‍यादा, मम्‍मी ज्‍यादा टेंशन ले लेती हैं। पर एक ही मतलब जो भी मैं करने की कोशिश कर रहा था, वो हो नहीं पा रहा था। तो मुझे यही लगा कि जब आप अपनी तरफ से इतनी कोशिश करते हैं, तब आपको लगता है कि मैं कर दूंगा तो कहीं न कहीं आपका अहंकार ऊपर आ जाता है तो फिर खेल आपसे दूर चला जाता है। तो वो ही छोड़ने की जरूरत थी और जैसे मैंने कहा कि गेम की सिचुएशन ही ऐसी बन गई कि मेरे लिए जगह ही नहीं अपने अहंकार को ऊपर रखने की। वो पीछे रखना ही पड़ा टीम के लिए। और फिर गेम में फिर जब गेम को इज्‍जत दी तो गेम ने वापिस उस दिन इज्‍जत दी तो मुझे ये experience हुआ सर।

प्रधानमंत्री – बहुत-बहुत बधाई हो आपको।

प्रधानमंत्री – पाजी

जसप्रीत बुमराह- नहीं सर, मैं जब भी इंडिया के लिए बॉलिंग करता हूं तो बहुत crucial stages पर बॉलिंग करता हूं, चाहे नया बॉल हो या

प्रधानमंत्री – इडली खाकर जाते हो क्‍या मैदान में।

जसप्रीत बुमराह – नहीं, नहीं, कभी भी सिचुएशन टफ होती है तो मेरे को उस सिचुएशन में बॉलिंग करनी होती है। तो मुझे बहुत अच्‍छा लगता है कि जब मैं टीम की मदद कर पाता हूं कोई भी टफ सिचुएशन से मैच अगर निकाल पाता हूं तो मुझे बहुत confidence मिलता है आगे जाते हुए भी मैं वो confidence को carry करता हूं। और especially ये टूर्नामेंट में बहुत सारी situations ऐसी आईं जब मुझे tough ओवर्स डालनी थी और मैं टीम को हेल्‍प कर पाया और मैच जिता पाया।

प्रधानमंत्री – जितना मैंने क्रिकेट को देखा है, हमेशा जैसे कि 90 के बाद कितना ही victory का मूड हो, सब कुछ हो फिर भी जो बैट्समैन होता है वो थोड़ा सीरियस हो जाता है 90 के बाद वो। वैसा ही लास्‍ट ओवर हो, हार-जीत एक बॉल के सहारे हो, तो कितना बड़ा तनाव होता होगा। ऐसे में उस समय कैसे आप संभालते हैं अपने-आपको।

जसप्रीत बुमराह – अगर मैं सोचूंगा कि हार जाएंगे या मेरे को मैच में कुछ extra करना है तो मैं शायद गलती कर दूंगा, नर्वस हो जाऊंगा, crowd को देखूं या नर्वस होकर दूसरे लोगों को देखूंगा तो शायद मेरे से गलती हो सकती है। तो मैं उस टाइम फोकस करता हूं, अपने-आपके बारे में सोचूं कि मैं क्‍या कर सकता हूं। और जब मैंने पहले अच्‍छा किया है तो मैंने क्‍या किया है जब मैंने टीम को हेल्‍प कर पाया हूं। तो वो सब चीजें याद करने की कोशिश करता हूं कि अच्‍छे दिन में मैंने कैसे टीम को हेल्‍प किया है। तो वो सब चीजें याद करके अपना बेस्‍ट देने की कोशिश करता हूं।

प्रधानमंत्री – लेकिन ये तो बड़ा तनाव रहता होगा यार, परांठे के बिना दिन निकलता नहीं है

जसप्रीत बुमराह – नहीं सर वेस्‍ट इंडीज में तो इडली-पराठे कुछ भी नहीं मिल रहे थे। जो मिल रहा था उससे ही काम चला रहे थे हम लोग। पर बहुत अच्‍छा scenario रहा, बहुत अच्‍छा back-to-back हम ट्रैवल भी कर रहे थे तो as a team बहुत अच्‍छा टूर्नामेंट गया। फर्स्‍ट टाइम वर्ल्‍ड कप जीते, इतना emotions कभी experience नहीं किया था तो बहुत proud feeling है और इससे better filling मैंने आज तक experience नहीं की।

प्रधानमंत्री – बहुत बढ़िया किया आपने, देश pride करता है आप पर, गर्व होता है इससे।

प्रधानमंत्री – हूं, हार्दिक बताइए।

हार्दिक पांड्या – फर्स्‍ट ऑफ आल सर, आपका थैंक यू बुलाने के लिए हमें और I mean वो जो इंटरव्‍यू के टाइम वो जो मैं बोला था, वो इसलिए बोला था क्‍योंकि छह महीने थोड़े काफी entertaining रहे मेरे लिए, काफी उतार-चढ़ाव के साथ रहे हैं। जहां ग्राउंड पर गया और पब्लिक ने बुईंग किया है और बहुत सारी चीजें गईं और हमेशा मैंने माना था कि मैं जवाब अगर दूंगा तो मैं खेल से दूंगा कभी अपने जवाब से नहीं दूंगा। और मतलब उस टाइम भी speechless था तो अभी भी speechless हूं क्‍योंकि जो बोलते हैं ना एक आप हमेशा झगड़ते रहते हैं। मैं लाइफ में हमेशा मानता था कि आप you know battle में लड़ते रहे कभी भी ग्राउंड छोड़कर न जाएं क्‍योंकि ये मुश्किल भी यही दिखाता है और you know success भी यही दिखाता है। सो belief किया सर कि रहेंगे, मेहनत करेंगे और you know सब टीम, प्‍लेयर्स का सबका, कैप्‍टन कोच सबका सपोर्ट बहुत बढ़िया था। और बस preparation किया, तैयारी की और you know ऊपर वाले ने तकदीर भी ऐसी दी, लास्‍ट ओवर में मौका मिला।

प्रधानमंत्री – नहीं वो ओवर तो आपके हिस्टॉरिकल तो हो गई लेकिन सूर्या को क्‍या कहा आपने।

हार्दिक पांडया – सूर्या ने जब कैच पकड़ा तो हम सबका फर्स्‍ट रिएक्‍शन, हम सबने सेलिब्रेट कर दिया। फिर realize हुआ कि सूर्या को पूछ तो ले कि भई सूर्य परफेक्‍ट है ना तो पहले confirmation ली कि भाई हमने सेलिब्रेट तो कर लिया, लेकिन, तो उसने बोला कि नहीं-नहीं। बोला गेम चेंजिंग कैच पकड़ लिया जहां से पूरी, हम जहां टेंशन में थे वहां से सब खुशी में चले गए।

प्रधानमंत्री – हूं सूर्या।

सूर्यकुमार यादव– खो गया सर! सर वो moment में बस यही था कि कैसे भी करके बॉल, मतलब पहले ये नहीं सोचा था कि कैच पकड़ लूंगा या नहीं पकड़ लूंगा। ये था कि बॉल ढकेल दूंगा अंदर। एक रन हो, दो रन हो, ज्‍यादा से ज्‍यादा कि क्‍योंकि हवा भी वैसी चल रही थी। और एक बार जब आ गया हाथ में तो फिर यही था उठाकर फिर दूसरी साइड दे दूं, फिर देखा रोहित भी बहुत दूर थे उस टाइम पर। और उड़ाया और आ गया हाथ में। But ये चीज हमने बहुत प्रैक्टिस करी हुई है पहले से। एक चीज के बारे में मैंने सोचा था कि बैटिंग तो मैं करता ही हूं खाली लेकिन ओवर खत्‍म होने के बाद और किस चीज में मैं contribute कर सकता हूं टीम को, फील्डिंग में या और किसी।

प्रधानमंत्री – क्‍या ये भी प्रैक्टिस हो जाती है आपकी जिसमें मारा गया बॉल को फिर से दोबारा कैच करना।

राहुल द्रविड़- सूर्या ने तो कितना कह रहा है, 185, 160 ऐसे catches पहले लिए हैं प्रैक्टिस में।

प्रधानमंत्री – हां?

सूर्यकुमार यादव- टोटल मतलब सर टूर्नामेंट के स्टार्ट से और पीछे आईपीएल से जब आ रहा था तब बहुत सारा ऐसा कैच पकड़ा था तो but पता नहीं था कि भगवान ऐसा मौका देगा ऐसे टाइम पर पकड़ने के लिए, but ऐसी प्रैक्‍टिस की हुई थी पहले से इसलिए वो सिचुएशन में थोड़ा इतना calm था और पता था ऐसी सिचुएशन पहले आ चुकी है। but कोई पीछे स्टैंड में बैठा नहीं था वो टाइम पर इस टाइम थोड़े ज्यादा लोग बैठे थे। but बहुत अच्छा लगा वो मोमेंट में रह कर…

प्रधानमंत्री- मैं बताता हूं कि मैं इसकी तारीफ किए बिना रह नहीं सकता… क्योंकि एक तो पूरे देश का मिजाज… उतार-चढ़ाव बड़ा तनावपूर्ण था और उस पर से पूरी परिस्थिति पलट जाए ये घटना.. ये अपने आप में बहुत बड़ी बात बन जाती है और आपकी जिंदगी के साथ ये जुड़ गई तो आप तो बहुत-बहुत लक्की इंसान हो यार…

सूर्यकुमार यादव- एक और स्टार लग गया सर… अच्छा लग रहा है अब मुझे…

प्रधानमंत्री जी- बहुत बधाई हो आपको!

सूर्यकुमार यादव- थैंक्यू सर!

प्रधानमंत्री- आपके पिताजी का एक स्‍टेटमेंट, पूरे देश में बार-बार चर्चा हो रही है। उनको जब पूछा गया तो बड़ा यानी दिल को छूने वाला जवाब है इनके पिताजी का… उन्‍होंने कहा देखिए पहले देश, बाद में बेटा, ये बहुत बड़ी बात है जी! हाँ अर्शदीप, बताइए…

अर्शदीप सिंह- सर थैंक्यू, पहले तो आपने मौका दिया हमें आपसे मिलने का और उसके बाद क्रिकेट को ले करके बहुत बढ़िया फीलिंग है सर… बहुत अच्छा लग रहा है कि ये टूर्नामेंट हम जीते हैं और बॉलिंग में मैंने पहले भी जैसे बताया कि बहुत अच्छा लगता है जब जस्सी भाई साइड से बॉल डालते हैं। तो बहुत ज्यादा प्रेशर बनाकर रखते हैं बैट्समैन पर और बैट्समैन मेरे को ट्राई करते हैं तो मेरे को विकेट्स मिलते हैं काफी सारे और बाकी भी बॉलर्स ने बहुत अच्‍छे से गेंदबाजी की है तो मैं कहूंगा कि उसको फल मेरे को मिलता रहे और वही काफी मजा आ रहा था मेरे को विकेट्स मिल रहे थे और क्रेडिट सारी टीम को जाता है।

प्रधानमंत्री- अक्षर जब स्कूल में खेलता था, तब एक बार मुझे शायद उसको प्राइज देने का मौका मिला था।

अक्षर पटेल- 8th स्टैंडर्ड में…

प्रधानमंत्री- मेरा नाता खुद तो खेल की दुनिया से रहा नहीं… लेकिन मैं खेल जगत में कुछ भी अगर हलचल होती है तो मेरा मन उनके साथ लग जाता है।

अक्षर पटेल- उस कैच में यही था उनकी पार्टनरशिप बनी हुई थी पहले ओवर में विकेट गिरा था, उसके बाद गिरा नहीं था और जब कुलदीप बॉल डाल रहा था तो मैं जिस तरफ खड़ा था, उसी तरफ ही हवा चल रही थी, तो मैं खड़ा था और उसने जब शॉट मारा तो मुझे लगा कि easy कैच हो रहा है पर वो हवा के साथ इतना तेज जाने लगा तो मैं पहले सोच रहा था मैं left hand में पकड़ूंगा लेकिन जब बॉल गया तो बोला ये तो right hand पर जा रहा है तो फिर जंप मैंने मारा उस टाइम पर और जब हाथ में इतना जोर से आवाज आया है उस टाइम पर मुझे कि तब मुझे realise हुआ कि हाथ में पकड़ लिया है मैंने और I think most of the time 10 में से 9 बार छूट जाती है ऐसी कैच पर लक्‍की था कि वर्ल्ड कप में इस टाइम पर जब टीम को जरूरत थी तब वो कैच पकड़ लिया मैंने…

प्रधानमंत्री- तो अमूल का दूध काम कर रहा है?

(हंसी ठिठोली)

कुलदीप यादव- Thank you so much sir.

प्रधानमंत्री- कुलदीप कहें कि देश दीप कहें?

कुलदीप यादव- सर पहले सर देश का ही हूं तो obviously सर… भारत के लिए सारे मैच बहुत अच्छे लगते हैं खेलने में, बहुत मजा भी आता है और बहुत proud भी फील करता हूं और टीम मेरा रोल भी वैसा ही है अटैकिंग स्पिनर का। तो हमेशा मिडिल ओवर में बॉलिंग करता हूं तो कैप्‍टन और कोच का हमेशा प्लान भी यही रहता है और रोल भी मेरा यही है कि विकेट निकालो मिडिल ओवर में तो हमेशा यही कोशिश करता हूं कि मिडिल ओवर में विकेट निकालूं और फास्ट बॉलर अच्छी स्‍टार्ट दे देते हैं, एक-दो विकेट निकाल देते हैं, थोड़ा easy हो जाता है मिडिल ओवर में बॉलिंग करना। तो काफी अच्छा लगता है बहुत अच्छा फील कर रहा हूं। तीन वर्ल्ड कप खेल चुका हूं और ये अच्छा मौका था, ट्रॉफी उठाया तो बहुत खुशी हो रही है सर…

प्रधानमंत्री- तो कुलदीप तुम्हारी ये हिम्मत कैसे हुई कि तुम कैप्‍टन को नचा रहे हो?

कुलदीप यादव- कैप्‍टन को मैंने नहीं नचाया!

प्रधानमंत्री- अरे इस पर वो वो नहीं चाहिए?

कुलदीप यादव- मैंने उनको बोला था कि ये करने के लिए.. जब उन्होंने बोला कि कुछ करते नहीं हैं तो मैंने इनको ये बताया कि ये कर सकते हैं। पर जैसा मैंने बताया था वैसा किया नहीं उन्‍होंने…

प्रधानमंत्री- मतलब शिकायत है?

प्रधानमंत्री- 2007 में सबसे छोटे खिलाड़ी और 2024 में विजय टीम के कैप्‍टन… क्या अनुभव करते हैं?

रोहित शर्मा- सर सच बोलूं तो जब 2007 में मैं पहली बार टीम में आया था और एक टूर हमने Ireland में किया था जहां पर राहुल भाई कैप्‍टन थे। फिर उसके बाद हम सीधा साउथ अफ्रीका चले गए वर्ल्ड कप के लिए। तो वहां पर वर्ल्ड कप जीत गए पहली बार तो जब इंडिया आए हम वर्ल्ड कप जीत के तो पूरी मुंबई रास्ते में थे, हमें एयरपोर्ट से वानखेड़े स्टेडियम जाने के लिए पांच घंटा लगा। तो 2-3 दिन के बाद मैंने realise किया कि वर्ल्ड कप जीतना काफी आसान है। लेकिन उसके बाद वर्ल्ड कप आते गए, बहुत बार हम पास पहुंचे पर जीत नहीं पाए। ये वर्ल्ड कप में मैं एक चीज बड़े confident से बोल सकता हूं कि लोगों में काफी desperation और बहुत hunger था जब हम यहां से West Indies गए… काफी मुश्किलें थी वहां पर जब हम New York में पहली बार क्रिकेट हो रहा था, कभी क्रिकेट वहां पर हुआ नहीं था, प्रैक्टिस करने के लिए ग्राउंड अच्छे नहीं थे। लेकिन किसी भी लड़कों का उस चीज में ध्यान नहीं था, बस एक ही चीज में ध्यान था कि हम बारबेडोस में फाइनल कैसे खेलेंगे? तो उससे मतलब ऐसे टीम को कैप्टेंसी करना भी काफी अच्छा लगता है कि सबका गोल एक है कि कैसे जीतना है और जब हम देखते हैं कि लोगों के चेहरे पर इतनी मुस्कुराहट है और लोग enjoy कर रहे हैं एक-दूसरे के साथ, रात-रात तक सड़कों में घूम रहे हैं इंडिया का फ्लैग लेकर तो काफी अच्छा लगता है और हम ये जो ग्रुप है यहां पर, हमारा aim भी यही है कि हम next generation को कैसे inspire करते जाएं जैसे जब राहुल भाई और सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली, लक्ष्मण ये लोग सब खेलते थे… तो हम सब उनको देखते थे तो उन्‍होंने हम सारे लड़कों को inspire किया है पर हमारा भी एक responsibility है कि जो आगे वाले generation आएंगे, उनको हम कैसे inspire कर सकते हैं और शायद ये वर्ल्‍ड कप से I am sure कि आने वाले पीढ़ी में वो उत्साह बिल्कुल रहेगी।

प्रधानमंत्री- रोहित आप हमेशा इतने serious रहते हो?

रोहित शर्मा- सर ये तो actually लड़के ही बता सकते हैं।

प्रधानमंत्री- सब मैच जीतना और इस बार तो आपका कुनबा भी बड़ा था। कई नए-नए देश भी जुड़ रहे हैं अब और क्रिकेट में ये बात सही है कि जो खेलता है वो इतनी मेहनत करके आता है तो उसको शायद अंदाजा नहीं आता है कि मैंने इतना बड़ा काम किया है क्‍योंकि वो तो लगातार करते आया है। देश पर तो प्रभाव होता है, लेकिन भारत की क्रिकेट की एक विशेषता है। भारत की क्रिकेट की यात्रा बड़ी सफल रही है। उसने अब और खेलों में भी inspiration का काम करना शुरू किया है। और खेल के लोग भी सोचते हैं यार क्रिकेट में हो सकता है तो यहां क्यों नहीं हो सकता है? यानी ये बहुत बड़ी सेवा आपके माध्यम से हो रही है। ये अपने आप और देश को अगर आगे हमें बढ़ाना है, हमें सभी खेलों में वही स्पिरिट पैदा करना है कि दुनिया में हम झंडा गाड़ के आएंगे और मैं देख रहा हूं आज देश में और छोटे-छोटे गांव से टैलेंट मिल रही है जी… टीयर-2 टीयर-3 सिटी से टैलेंट मिल रही है… पहले तो बड़े शहर, बड़ी क्‍लब वहीं से आते थे। अब ऐसा नहीं है आप देखिए आपकी टीम में भी आधे से अधिक लोग ज्‍यादा ऐसे हैं जो छोटे-छोटे स्थान पर से आए हैं। ये actually विजय का प्रभाव है और जिसका परिणाम हमें लंबे अरसे तक मिलता है। अफगानिस्तान के मिनिस्टर का बयान था तो बड़ा interesting बयान था। उनको साउथ अफ्रीका के साथ लास्ट में खेलने का मौका मिला, ये यात्रा उनके लिए बहुत बड़ी सफलता की यात्रा थी, लेकिन उन्होंने क्रेडिट भारत को दिया। बोले अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम का ये जो प्रगति है उसका अगर क्रिकेट किसी को जाता है तो भारत के लोगों ने हमारे बच्चों को तैयार किया, उसके कारण गया है।

प्रधानमंत्री- आप लोगों ने राहुल को 20 साल छोटा कर दिया।

राहुल द्रविड़- नहीं श्रेय इन लड़कों को जाता है क्योंकि हम लोग… मैं हमेशा कहता हूं कि मैं प्‍लेयर रह चुका हूं और मैं कोच भी रह चुका हूं। हम सिर्फ इन लड़कों को सपोर्ट कर सकते हैं। मैंने इस पूरे टूर्नामेंट में एक रन भी नहीं बनाया है, एक विकेट भी नहीं लिया, एक कैच भी नहीं लिया। हम सिर्फ सपोर्ट कर सकते हैं और सिर्फ मैं नहीं, हमारी जो पूरी टीम होती है एक सपोर्ट स्टाफ की टीम होती है, हमारे जो दूसरे कोचेस होते हैं हमारे। बहुत अनेक-अनेक सपोर्ट स्‍टाफ की जो टीम होती है मेरा ये मानना है कि वो बहुत मेहनत करते हैं, वो काम करते हैं और हम सिर्फ इन लड़कों को सपोर्ट कर सकते हैं। जो प्रेशर की situation होती है, रन जब बनाने है विराट को या बुमराह को या हार्दिक को या रोहित को, सब लोगों को यहां पर… ये लोग करते हैं तो हम इनको सिर्फ सपोर्ट कर सकते हैं, इनको जो चाहिए उनको हम ये दे सकते हैं उनको और पूरा श्रेय उन लोगों को जाता है इन्‍होंने ऐसा खुशी का मौका मुझे दिया, एक ऐसा खुशी का मौका मुझे दिया मुझे मतलब मैं सिर्फ शुक्रगुजार हूं इन लड़कों का जो जिन्‍होंने मेरे साथ एक इतना अच्छा समय मुझे एक दिया, बहुत अच्छी experience जो दी है तो मैं सिर्फ ये भी कहना चाहूंगा कि हमारे जब इस टूर्नामेंट में जो टीम स्पिरिट बहुत अच्छी थी तो इस टीम में ऐसे ग्‍यारह जो लड़के खेले थे इसमें, चार लड़के बाहर भी बैठे थे। इसमें मोहम्मद सिराज ने पहले तीन मैच खेले थे USA में हम लोग फास्ट बॉलर एक्‍स्‍ट्रा खेल रहे थे। तो उन्‍होंने सिर्फ 3 मैच खेले इस टूर्नामेंट में और तीन ऐसे लड़के थे हमारी टीम में जिन्‍होंने एक भी मैच नहीं खेला। संजू ने एक भी मैंच नहीं खेला, यूज़ी चहल को एक भी मैच खेलने को नहीं मिला और यशस्वी जायसवाल को एक भी मैच खेलने को नहीं मिला पर उनकी जो स्पिरिट थी, उनका जो उत्साह था वो बाहर देखकर कभी ऐसा उन्‍होंने अपना मुंह नीचे नहीं किया और वो बहुत हमारे लिए और हमारी टीम के लिए एक बहुत important चीज थी और एक बहुत important चीज होती है जब आप ऐसे टूर्नामेंट्स खेलते हैं कि जो बाहर बैठे हुए लड़के होते हैं, उनकी जो क्‍या attitude होती है, उनकी जो स्पिरिट होती है तो मैं उनको भी बहुत दाद देता हूं।

प्रधानमंत्री- मुझे अच्छा लगा कि एक कोच के नाते पूरी टीम की तरफ आपका ध्‍यान होना और ये मैं समझता हूं कि ये 3-4 वाक्य भी आपके जो भी सुनेगा उसको लगेगा कि भई हो सकता है कि कुछ लोग मैदान में हमने देखे नहीं हैं लेकिन वो भी मैदान में रंग भर देते हैं, मैदान को जोड़ देते हैं और क्रिकेट में मैंने देखा हर किसी का कोई ना कोई contribution होता ही होता है जी। इतना बड़ा टीम स्पिरिट की जरूरत होती है तब जाकर के होता है। लेकिन राहुल मैं जरूर जानना चाहूंगा कि अब 2028 में USA में जब ओलंपिक होगा तो क्रिकेट को अब ओलंपिक में already स्थान मिल चुका है और मुझे लगता है कि अब वर्ल्ड कप से ज्यादा अब उस तरफ लोगों का ध्यान रहेगा। अगर भारत सरकार as such या क्रिकेट बोर्ड as such या थोड़ा आप लोग mind apply करके ओलंपिक की तैयारी का मतलब क्या होता है? कैसे करना होता है? उस पर थोड़ा seriously सोचना है तो आपका क्या reaction रहेगा?

राहुल द्रविड़- नहीं जरूर मोदी जी ये ओलंपिक में खेलना एक actually एक क्रिकेटर के लिए एक वो मौका मिलता नहीं है हमको क्योंकि ओलंपिक में क्रिकेट इस बार फर्स्‍ट टाइम आएगा 2028 में… तो मेरे ख्याल से एक बहुत एक बड़ी चीज होगी देश के लिए भी और क्रिकेट बोर्ड के लिए, क्रिकेटर्स के लिए कि उस टूर्नामेंट में बहुत अच्छा करना है और एक जो दूसरे जैसे आपने पहले भी कहा, दूसरे जो स्‍पोर्ट्स है उनके साथ रहना, उनके साथ क्योंकि उन स्पोर्ट्स में भी कितने बेहतरीन खिलाड़ी हैं। कितने हमारे देश को गर्व लाते हैं और ये जो ओलंपिक्‍स इतनी मतलब बड़ी इवेंट है, उसमें क्रिकेट का रहना, क्रिकेट के लिए एक गर्व की बात है। और मुझे पूरी उम्मीद है कि जो भी होंगे बोर्ड में उस टाइम में, हमारे जो बीसीसीआई होंगे, वो पूरी तैयारी उस टूर्नामेंट के लिए करेगी। hopefully मुझे पूरी उम्मीद है इस टीम में से तो काफी लड़के होंगे ही होंगे उसमें… मुझे पूरी उम्मीद है काफी young लड़के हैं जैसे रोहित है, विराट है।

प्रधानमंत्री- हाँ 2028 तक तो बहुत लोग होंगे! 2028 तक तो बहुत लोग होंगे!

राहुल द्रविड़- तो मुझे पूरी उम्मीद है ये लड़के आएंगे और वहां पर गोल्‍ड जीतना मतलब और खुशी की बात हो नहीं सकती तो उस पर पूरा मेहनत करना चाहिए हमें…

प्रधानमंत्री- मैं देख सकता हूं कि शायद कुछ लोगों को एक विजय के जो हर्ष के आंसू हैं, वो जब देखते हैं तब पता चलता है कि पराजय के पल कितने कठिन गए होंगे। पराजय के पल, उस माहौल में लोग फील नहीं कर पाते, वो कितनी वेदना झेलता है एक प्‍लेयर। क्योंकि इतनी ही तपस्या करके ही आया होता है और एक कदम के लिए रह जाता है। और जब वो विजय प्राप्त करता है, उसकी खुशी से पता चलता है कि वो पराजय के पल कितने कठिन गए होंगे और मैंने उस दिन इन सबको देखा था, मैं खुद फील करता था कि और विश्वास भी था कि overcome कर जाएंगे और आज मुझे लग रहा है कि आपने वो करके दिखाया है। बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं आप लोग

ब्यूरो चीफ, रिजुल अग्रवाल

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