अंगदान : भ्रांतियां और सच्चाई
अंगदान मानव सेवा का एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा हम मरने के बाद भी कई लोगों को जिंदगी दे सकते हैं. मृत शरीर में बेकार हो चुके अंग किसी जरूरतमंद की जिंदंगी का सहारा बन सकते हैं. कहा भी जाता है कि अंगदान महादान है. लेकिन हमारे समाज में अंगदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हैं. कई तरह के मिथ हैं, जिनका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं, लेकिन वे अंगदान की राह में बाधक बन जाते हैं. हम कुछ ऐसी ही भ्रांतियों और मिथ से पर्दा हटा रहे हैं…
- बीमारी में अंगदान संभव नहीं है
ये आम धारणा है कि बीमार व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकता, जबकि इसमें पूरी सच्चाई नहीं है. असल में कुछ गंभीर बीमारियां ही ऐसी होती हैं, जिनसे पीडि़त व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकते. साथ ही बीमारियों से प्रभावित अंगों को दान नहीं किया जा सकता. लेकिन सामान्य स्थिति में अगर आप कुछ चिकित्सीय शर्तों व मानदंडों को पूरा करते हैं, तो अंगदान कर सकते हैं.
- परिवार के लोगों को ही कर सकते हैं अंगदान
ये एक मिथ है कि पारिवारिक और निकट सम्बन्धियों को ही अंगदान किया जा सकता है. खासकर जब किडनी डोनेशन की बात आती है, तो लोग सोचते हैं कि खून के रिश्ते से जुड़ा व्यक्ति ही अपनी किडनी दान कर सकता है. लेकिन सच्चाई ये है कि अपने ब्लड रिलेशन के अलावा किसी अन्य रिश्तेदार या फिर किसी अनजान व्यक्ति को भी किडनी दान में दे सकते हैं, या उनसे ले सकते हैं. डोनर की जांच पड़ताल के बाद अंगदान की अनुमति दे दी जाती है.
- बुजुर्ग अंगदान नहीं कर सकते
लोगों का सोचना है कि बुजुर्ग अंगदान नहीं कर सकते. आम धारणा है कि बुजुर्गों के अंग कमजोर हो जाते हैं, इसलिए वे काम के नहीं रह जाते. लेकिन ये अधूरा सच है. अंगदान में उम्र मायने नहीं रखती. चिकित्सीय शर्तों को पूरा करने वाला 18 साल से ज्यादा उम्र का कोई भी नागरिक अंगदान कर सकता है.
- अंगदान के बदले पैसे मिलते हैं
कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि अंगदान करने वालों को कुछ पैसे मिलते होंगे लेकिन यह बिल्कुल झूठ है. अंगदान का अर्थ होता है, अपने अंग का दान और दान के एवज में पैसे नहीं लिए जाते. इसलिए अंगदान के बदले पैसे लेना, अपने अंग को बेचना कहलाता है, जो पूर्ण रूप से गैर कानूनी और दंडनीय अपराध है. अंगदान करने पर आप किसी प्रकार का शुल्क नहीं ले सकते.
- अंगदान करने से शरीर बेडौल हो जाता है
आम लोगों का मानना है कि अंगदान करने से शरीर बेडौल हो जाता है, लेकिन ये सिर्फ एक मिथ है, क्योंकि अंगदान की प्रक्रिया असल में किसी अन्य ऑपरेशन की तरह ही होती है. दान किए जाने वाले अंगों को ऑपरेशन के द्वारा ही शरीर से अलग किया जाता है. सर्जरी के बाद तो शरीर पर पडऩे वाले निशान तक गायब हो जाते हैं. इसलिए शरीर के बेडौल होने की कोई बात ही नहीं है.
- डोनर की जानकारी जरूरी
अंगदान असल में एक गुप्तदान की तरह होता है. जिस तरह गुप्तदान देने वाले के बारे में पता नहीं चलता, उसी तरह अंगदान करने वाले के बारे में भी आप जानकारी प्राप्त नहीं कर सकते हैं. अंगदान करने वाले और अंग प्राप्त करने वाले, दोनों की पहचान गोपनीय रखी जाती है.