दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने तीसरे फेज के लिए नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी से मोहन नगर तक प्रस्तावित कॉरिडोर की संशोधित डीपीआर तैयार कर जीडीए को सौंप दी है।

इसमें वैभव खंड, इंदिरापुरम, शक्तिखंड, वसुंधरा सेक्टर-पांच, सहिबाबाद और मोहन नगर एक्सटेंशन स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। 1786 करोड़ रुपये लागत का आंकलन किया गया है। मोहन नगर पर इसे रेड लाइन से कनेक्ट किया जाएगा। इसके बनने से नोएडा से कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इसी वर्ष काम शुरू होने की संभावना है। 2021 तक इसे पूरा करना है।

नोएडा-मोहन नगर मेट्रो का काम होगा शुरू

पुरानी डीपीआर में नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी से साहिबाबाद तक कॉरिडोर की लंबाई 5.11 किलोमीटर तय हुई थी। उसमें वैभव खंड, इंदिरापुरम, शक्तिखंड, वसुंधरा सेक्टर-पांच और साहिबाबाद में स्टेशन प्रस्तावित किए गए थे। बाद में योजना में परिवर्तन कर दिया गया। साहिबाबाद की बजाए कॉरिडोर को टर्न कराकर मोहन नगर से जोड़ने पर सहमति बनी।

इस परिवर्तन के चलते इस कॉरिडोर की लंबाई बढ़कर करीब छह किलोमीटर हो गई है। लागत 1786 करोड़ रुपये बताई गई है। चौथे फेज में वैशाली मेट्रो लाइन को साहिबाबाद तक विस्तार दिया जाएगा। इसकी संशोधित डीपीआर भी आ गई है। इस कॉरिडोर की लंबाई घटकर चार किलोमीटर करीब रह गई है। 1486 करोड़ रुपये का आकलन किया गया है। चौथे फेज के कॉरिडोर पर वैशाली, प्रहलादगढ़ी, वसुंधरा सेक्टर-14 में स्टेशन बनेंगे।

विवेकानंद सिंह (मुख्य अभियंता, जीडीए) ने बताया कि  डीएमआरसी ने तीसरे और चौथे फेज के मेट्रो कॉरिडोर की संशोधित डीपीआर सौंप दी है। उसका अध्ययन किया जा रहा है।

बता दें कि फेज-तीन के तहत नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी से साहिबाबाद और वैशाली से मोहननगर तक दो कॉरिडोर की डीपीआर बनी थी। फंड की कमी के कारण जीडीए ने तय किया था कि दो चरणों में इस फेज का निर्माण कार्य होगा। पहले नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी से साहिबाबाद कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया गया था। इसे बनाने में 1886 करोड़ रुपये खर्च आता।

इस पर वैभव खंड, इंदिरापुरम, शक्ति खंड, वसुंधरा सेक्टर-पांच और साहिबाबाद (वसुंधरा लालबत्ती पार) में स्टेशन प्रस्तावित थे। बाद में जीडीए अधिकारियों ने मशविरे के बाद पाया कि इस कॉरिडोर को मोहननगर तक विस्तार दिया जाए तो ज्यादा उपयोगी होगा। इस पर डीएमआरसी को डीपीआर में संशोधन के लिए कहा गया था।

नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी से एनएच-नौ (24) के ऊपर होते हुए गाजियाबाद में सीआईएसएफ रोड के बीचों बीच इस कॉरिडोर को बनाया जाना है। साहिबाबाद पर इसका अलाइनमेंट बदलेगा। ठीक यमुना बैंक की तरह। एक मेट्रो मोहन नगर जाएगी जबकि दूसरी वैशाली को जाएगी। संसोधन के बाद नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी से मोहननगर तक मेट्रो विस्तार में कुल 200 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस रूट पर कुल चार मेट्रो स्टेशन प्रस्तावित होंगे। इसे ध्यान में रखकर डीएमआरसी ने सेक्टर-63 इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी मेट्रो स्टेशन को 21 मीटर ऊंचा बनाया गया है। चूंकि स्टेशन के पास वायडक्ट एनएच-9 (24) के ऊपर से गुजरना है। जहां भविष्य में फ्लाईओवर निर्माण भी किया जाना है। यदि ऐसा होता है तो मेट्रो को गाजियाबाद ले जाने में दिक्कत न हो। इसका विशेष ध्यान रखा है, क्योंकि आने वाले समय में सेक्टर-63 इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी मेट्रो स्टेशन को वैशाली मेट्रो स्टेशन, मोहन नगर, हिंडन विहार मेट्रो स्टेशन से जोड़ा जा सकता है।

लाखों लोगों को होगा फायदा

गाजियाबाद से प्रतिदिन डेढ़ लाख लोग एनएच-24 के जरिए नोएडा में किसी न किसी काम से आते हैं। इसमें नौकरी पेशा लोग शामिल हैं। यह लोग मोहननगर से बस, टेंपो व अन्य साधनों से नोएडा के सेक्टर-62, 63, 61, 58 पहुंचते हैं। मोहनगर तक मेट्रो के विस्तार के बाद यह लोग मेट्रो के जरिए नोएडा के इन सेक्टरों तक पहुंच सकेंगे। ऐसे में समय की बचत भी होगी साथ ही रूट पर लगने वाले जाम से भी लोगों को निजात मिल जाएगा।

एनसीआर का दूसरा सबसे लंबा रूट

ब्लू लाइन रूट पर संचालन शुरू होते ही ब्लू लाइन मेट्रो सेक्टर-63 इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी से द्वारका सेक्टर-21 तक की कुल 56.46 किलोमीटर हो जाएगी। इसके शुरू होते ही यह रूट डीएमआरसी का दूसरा सबसे लंबा कॉरिडोर बन जाएगा। पहला 59 किलोमीटर का मजलिस पार्क से शिव विहार कॉरिडोर है। वहीं, गाजियाबाद के दिलशाद गार्डन कॉरिडोर और नोएडा सिटी सेंटर से इलेक्ट्रॉनिक सिटी कॉरिडोर को मिलाकर डीएमआरसी का कुल नेटवर्क 250 मेट्रो स्टेशनों के साथ कुल 343 किलोमीटर का हो गया।

देश के सबसे ऊंचे मोनोपोल टावर रूट पर लगाए गए

डीएमआरसी ने नोएडा सेक्टर-34 स्टेशन के पास पहली बार उत्तर प्रदेश विद्युत ट्रांसमिशन निगम लिमिटेड (यूपीपीटीसीएल) के लिए छह मोनोपोल टावर लगाए हैं। मोनोपोल टावर 61.2 मीटर ऊंचे हैं। साथ ही देश में इतने ऊंचे मोनोपोल टावर नहीं लगे हैं। दरअसल, यूपीपीटीसीएल की विद्युत लाइनें सेक्टर-34 में कॉरिडोर के अलाइनमेंट को पार कर रही थीं। लिहाजा डीएमआरसी ने इन ट्रांसमिशन लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने का फैसला किया। यह क्षेत्र भारी आबादी होने के साथ ही यातायात के मायने में भी व्यस्ततम है। लिहाजा, इन टावरों की ऊंचाई को बढ़ाना आसान नहीं था। इन मोनोपोल टावर का वजन करीब 40 टन है। ऐसे में दो ट्रांसमीशन लाइनों को एक मोनोपोल टावर से जोड़ा गया है।