Mumbai : विख्यात स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा गोयल की निर्मम हत्याकांड का अनसुलझा मामला उजागर

21 साल से न्याय का इंतजार: डॉ. आशा गोयल हत्याकांड में देरी पर परिवार ने मुख्यमंत्री से की हस्तक्षेप की मांग
डीएनए सबूत और कबूलनामे के बावजूद अब तक नहीं मिला न्याय 
मुंबई (अनिल बेदाग) :  मुंबई प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मशहूर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा गोयल की निर्मम हत्याकांड के अब तक अनसुलझे मामले को उजागर किया गया।
मुंबई में 22 अगस्त 2003 को हुई डॉ. आशा गोयल की निर्मम हत्या को 21 साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी न्याय मिलना बाकी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी बेटी रश्मि गोयल ने महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर इस लंबे समय से लटके मुकदमे में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है।
गोयल परिवार दो दशकों से न्याय की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन डीएनए सबूत, फॉरेंसिक रिपोर्ट और यहां तक कि अपराधी के कबूलनामे जैसे ठोस प्रमाणों के बावजूद मामला आज भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। इस अंतहीन देरी ने परिवार को न सिर्फ मानसिक आघात दिया है, बल्कि भारत की न्याय प्रणाली की दक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रश्मि गोयल ने कहा, “हमने बहुत लंबा इंतजार किया है और अब हमारा धैर्य जवाब दे रहा है। मेरी माँ ने अपना जीवन दूसरों को स्वस्थ करने में समर्पित किया, लेकिन उनकी निर्मम हत्या के लिए अब तक न्याय नहीं मिल सका। हम मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हैं कि वे इस मामले को आगे बढ़ाने में हस्तक्षेप करें। भारत ऐसा देश नहीं हो सकता जहाँ इतने मजबूत सबूतों के बावजूद अपराधी बच निकलें”।
डॉ. आशा गोयल का जन्म 1940 में मथुरा में हुआ था। उन्होंने मुंबई में मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कनाडा में अपनी एक अलग पहचान बनाई। वे महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी विशेषज्ञ थीं और अपने योगदान के लिए दुनियाभर में सम्मानित थीं। उनकी निर्मम हत्या ने भारत और कनाडा, दोनों देशों को झकझोर कर रख दिया था, लेकिन उनके हत्यारे आज भी कानून की पकड़ से बाहर हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात पर जोर दिया गया कि यह कानूनी देरी केवल गोयल परिवार के लिए व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि भारत की न्याय प्रणाली के लिए एक गंभीर मुद्दा भी है। गोयल परिवार ने संकल्प लिया है कि वे हर संभव प्रयास जारी रखेंगे, जब तक कि दोषियों को उनके अपराध की सजा नहीं मिल जाती।

गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन

मुंबई से अनिल बेदाग की रिपोर्ट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: