पूर्वोत्तर रेलवे, इज़्ज़तनगर मंडल-द्वारा आयोजित किया गया कवि-सम्मेलन

बरेली (हर्ष सहानी) : राजभाषा विभाग पूर्वोत्तर रेलवे, इज्जतनगर के तत्वावधान में मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के सभाकक्ष में कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका शुभारम्भ मंडल रेल प्रबन्धक आशुतोष पंत ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप जलाकर एवं उनके चित्र को माल्यार्पण करके किया।

सम्मेलन का प्रारम्भ सूक्ष्म मनोभावों के सफल चित्रकार कवि एवं गीतकार मुकेश शर्मा ‘मीत’ की सरस्वती वंदना के साथ हुआ। उन्होंने श्रृंगारिक गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाह-वही लूटी और हिंदी भाषा की महिमा का इन शब्दों में वर्णन किया –

भारत भूषण की जुबान बनी मीरा में बसी रसखान बनी,
नंदनवन वृंदावन वन-वन जन गण मन की परिधान बनी,
बंशीवट पनघट घट-घट-घट घूँघट की मुस्कान बनी,
सरला, सुफला सलिला हिंदी निज भारत की पहचान बनी।

तत्पश्चात् प्रख्यात हास्य व्यंग्य कवि निर्मल सक्सेना ने विविध रंग के मुक्तक सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया –

एक मैसेज मैं मोहब्बत का तुम्हें सेंड करूँ,
तू जो हां कर दे मैं अपना ये सफर एंड करूं,
तेरे दिल का जो यह रनवे कहीं मिल जाए मुझे,
बनके राफेल तेरे दिल में सनम लैंड करूँ ।

देश की अग्रिम पंक्ति के हास्य कवि श्री आनंद गौतम ने अपनी हास्य कविताओं से श्रोताओं को देर तक बाँधे रखा। उन्होंने कहा –

फँसने भी आया हूँ मैं फ़साने भी आया हूँ,
बसने भी दिल में और बसाने भी आया हूँ,
रो-रोके जिंदगी क्या बितानी है इसीलिए,
हँसने भी आया और हँसाने भी आया हूँ।

इसी क्रम में पी. के. दीवाना ने अपनी बेहतरीन हास्य-व्यंग्य रचनाओं से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। उन्होंने अपनी बात कुछ इस प्रकार रखी-
गरीब पसीना बहाकर भी कार खरीद नहीं सकता,
अमीर ए. सी. कार में बैठता है,
उसको पसीना नहीं आता।

इसके बाद रेलवे के कवि अजय शुक्ला ने अपनी कविताओं से सभी को खूब गुदगुदाया –

तुम्हारी आंखों में जब भी मैंने कभी आंसू देखे हैं,
सच बताऊं तुमसे ज्यादा रोया हूं मैं।

पूर्वोत्तर रेलवे, इज्जतनगर की वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी नीतू ने अपनी कविताओं में मानवीय मनोभावों का सुन्दर चित्रण किया और श्रोताओं के मन-मस्तिष्क में बचपन की यादों को ताजा कर दिया।

इसी क्रम में राजभाषा अधिकारी प्रभाकर मिश्र ने हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा –
स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी, डगर-डगर में डोली थी,
आजादी के दीवानों की, वाणी थी, हमजोली थी,
मत समझो सीमित स्वदेश में, दूर-दूर तक छायी है,
सीख रहे है रुसी-चीनी, गोरों ने अपनाई है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में मंडल रेल प्रबंधक आशुतोष पंत ने कहा कि आज का कवि-सम्मेलन बहुत ही मज़ेदार और ज़ोरदार रहा। कवियों ने एक से बढ़कर एक रोचक कविताएं सुनायीं। हम रेल अधिकारी संरक्षित और सुरक्षित ट्रेन संचालन के लिए दिन-रात लगे रहते हैं। ऐसे में कवि सम्मेलन जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए ही हमें साहित्य से जुड़ने का अवसर मिलता है।

इससे पूर्व अपने स्वागत संबोधन में अपर मंडल रेल प्रबंधक (इंफ्रा.) विवेक गुप्ता ने बताया कि राजभाषा विभाग द्वारा मंडल पर 14 से 20 सितंबर, 2021 तक आयोजित ‘राजभाषा सप्ताह समारोह – 2021’ के दौरान विभिन्न आयोजन हुए हैं, जिनमें मंडल राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक, विशेष हिंदी संगोष्ठी और हिंदी प्रतियोगिताओं का आयोजन उल्लेखनीय है।

इस आयोजन में अपर मंडल रेल प्रबंधक (परिचालन) अजय वार्ष्णेय सहित बड़ी संख्या में रेलवे अधिकारी और कर्मचारीगण उपस्थित थे। कवि सम्मेलन का संचालन राजभाषा अधिकारी प्रभाकर मिश्र ने किया और श्री आलोक कुमार, संजीव कुमार और अजय कुमार सिंह का विशेष सहयोग रहा।

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