उद्योग जगत को ठीक उसी क्षण से स्टार्ट-अप्स में समान हिस्सेदार होने की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहना चाहिए केंद्रीय मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह

 उद्योग जगत  को ठीक उसी क्षण से स्टार्ट-अप्स में समान हिस्सेदार होने की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहना चाहिए जब किसी परियोजना की कल्पना की जाती है: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

सीएसआईआर- आईआईसीटी से उत्पादित अत्यधिक कुशल जनशक्ति हैदराबाद और भारत के फार्मा एवं बायोटेक उद्योग के लिए वरदान है

मंत्री महोदय ने हैदराबाद में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर- आईआईसीटी) में “एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब)” कार्यक्रम का शुभारंभ किया

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया- सीएसआईआर- आईआईसीटी ने एड्स के प्रबंधन में आवश्यक एजेडटी जैसी जीवन रक्षक जेनेरिक दवाओं के लिए कई तकनीकों का विकास किया और प्रोस्टाग्लैंडीन-आधारित दवा, मिसोप्रोस्टोल के लिए प्रक्रिया प्रारम्भ की, जिसका उपयोग आंत्र शोथ (गैस्ट्रिक अल्सर) को रोकने, गर्भपात का उपचार  करने, प्रसव क्रिया और गर्भपात को प्रेरित करने के लिए किया जाता है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज हैदराबाद में कहा कि उद्योग जगत को ठीक उसी क्षण से स्टार्ट-अप्स में समान हिस्सेदार होने की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहना चाहिए जब किसी परियोजना की कल्पना की जाती है:।

उन्होंने कहा कि यह न केवल स्टार्ट-अप्स को आजीविका से जोड़कर लंबे समय तक बनाए रखने के लिए आवश्यक है यह बल्कि समकालीन वैश्विक बेंचमार्क के अनुसार भारतीय उद्योग में मूल्यवर्धन लाने के लिए भी आवश्यक है।

भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी – आईआईसीटी) में उद्योगपतियों, स्टार्ट-अप्स और नवोन्मेषकों के एक विशेष सत्र को यहां हैदराबाद, तेलंगाना में और इससे पहले कुछ प्रमुख उद्योगपति घरानों के प्रतिनिधियों के साथ एक-एक घंटे की बातचीत के दौरान संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हैदराबाद को स्वास्थ्य और धन के साथ-साथ क्षेत्र की फार्मा राजधानी के रूप में जाना जाता है।

उन्होंने कहा कि इसलिए, आईआईसीटी द्वारा विकसित विशिष्ट एवं कुशल जनशक्ति को विशेष रूप से हैदराबाद और सामान्य रूप से भारत के फार्मा और बायोटेक उद्योग में स्वाभाविक रूप से अभिन्न स्थान मिलना चाहिए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्‍द्र मोदी जी के नेतृत्‍व में कई दशकों के बाद पहली बार, हमारे पास ऐसा एक राजनीतिक नेतृत्व और एक ऐसी सत्तारूढ़ व्यवस्था है जो अतीत के अप्रचलित नियमों को छोड़ने और उतार-चढ़ाव के स्टार्ट–अप्स के लिए सुगम प्रक्रियाओं के साथ-साथ व्यापार में आसानी से सक्षम सुधार लाने के लिए भी उत्तरदायी है। उन्होंने उद्योग जगत  के नेताओं को एक संस्थागत तंत्र स्थापित करने और प्रक्रियात्मक देरी से बचने के लिए अवांछित नियमों और विकल्पों को दूर करने के लिए सटीक और ठोस प्रस्तावों के साथ आगे आने की सलाह दी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, हैदराबाद फार्मा सिटी (एचपीसी) हैदराबाद में फार्मास्यूटिकल उद्योगों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत संकुल बनाने जा रहा है, जिसमें अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण पर जोर दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि  संकुलों (क्लस्टर) को इसके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग जोन– एनआईएमजेड) के रूप में मान्यता दी गई है। मंत्री महोदय  ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों पर विकसित, हैदराबाद फार्मा सिटी औषधियों (फार्मास्युटिकल) की  मूल्यवर्धन श्रृंखला में सहजीवी सह- अस्तित्व के सही मूल्य का उपयोग करेगी ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश भर में फैली वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की 37 प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक अलग और विशिष्ट कार्य क्षेत्र के लिए समर्पित है और उनमे चल रहा “एक सप्ता –एक प्रयोगशाला (वन वीक, वन लैब)” अभियान उनमें से इसके द्वारा किए जा रहे कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए प्रत्येक को एक अवसर प्रदान कर रहा है ताकि अन्य लोग भी  इसका लाभ उठा सकें और हितधारक इसके बारे में जान सकें।

उन्होंने आगे कहा कि परिवर्तनों के अनुरूप, “सीएसआईआर- द इनोवेशन इंजन ऑफ इंडिया” अब वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के लिए नई टैगलाइन है। मंत्री महोदय ने जोर देकर कहा कि 4,500 से अधिक वैज्ञानिकों के एक पूल के साथ इस  अमृत काल में नवाचारों के वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने के लिए सीएसआईआर स्‍वयं को पुन: उन्मुख और पुनर्जीवित कर सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मई 2014 से सभी वैज्ञानिक प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के सक्रिय और निरंतर समर्थन के साथ, भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार पारिस्थितिकी  (एसटीआई  इको- सिस्टम) हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने कहा कि हम 2015 तक वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) में 130 देशों में 81वें स्थान पर थे, लेकिन 2022 में हम 40वें स्थान पर पहुंच गए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज भारत पीएचडी के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में है और हम इसके साथ ही स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के मामले में विश्व के शीर्ष तीन देशों में हैं।

शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के प्रमुखों, विभिन्न उद्योगों (फार्मा, बायोटेक, कृषि, बिजली), वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, छात्रों और जन सामान्य के नेताओं को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, हम कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं और “मैं यह देख कर बहुत प्रसन्न हूँ कि अब महिला महानिदेशक, डॉ. कलैसेल्वी सीएसआईआर का नेतृत्व कर रही हैं, और ऐसा देखने के लिए हमने 8 दशकों तक इंतजार किया था।”

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर- आईआईसीटी) के बारे में बात करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस  संस्थान को अपने गठन के लगभग 80 साल हो गए हैं और  इसने मौलिक  शोध के  साथ-साथ  अनुप्रयोग  संबंधी अनुसंधान पर जोर दिया है और यह सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-आईआईसीटी ने रसायन विज्ञान और रासायनिक प्रौद्योगिकियों के मौलिक और अनुप्रयुक्त दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान में “व्यावसायीकरण की अवधारणा” मोड में औद्योगिक परियोजनाओं को शुरू करने के लिए अत्याधुनिक पायलट संयंत्र सुविधाएं हैं ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इंगित किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने हाल ही में जिस गुजरात ऐल्कलीज एंड केमिकल्स लिमिटेड (जीएसीएल) के हाइड्राज़ीन हाइड्रेट संयंत्र का शुभारंभ किया था वह सीएसआईआर-आईआईसीटी में विकसित नई तकनीक पर आधारित है। उन्होंने कहा कि बोवेनपल्ली मार्केट यार्ड में स्थापित एनारोबिक गैस लिफ्ट रिएक्टर (एजीआर) प्रौद्योगिकी पर आधारित संयंत्र का उल्लेख प्रधानमंत्री ने अपने लोकप्रिय मासिक रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में किया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सीएसआईआर-आईआईसीटी ने एड्स के प्रबंधन में आवश्यक एजेडटी के लिए स्वदेशी तकनीक के विकास जैसी  जीवन रक्षक जेनेरिक दवाओं के लिए कई तकनीकों का विकास किया, जिससे विश्व बाजार में इस औषधि के मूल्य में कमी आई है।

इस संस्थान द्वारा विकसित कैक्सिन के लिए विषाणु-रोधी (एंटी- वायरल) औषधियों और वैक्सीन एडजुवेंट ने कोविड -19 वायरस के प्रसार को सीमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मंत्री महोदय ने कहा कि सीएसआईआर- आईआईसीटी ने कम से कम समय में आम लोगों को समाधान देने के लिए महामारी के दौरान उद्योग के साथ भागीदारी की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि संस्थान का फ्लोरो और एग्रो केमिकल्स विभाग किसी भी राष्ट्रीय प्रयोगशाला में अपनी तरह का ऐसा पहला विभाग है जिसे 1990 में मॉन्ट्रियल नवाचार (प्रोटोकॉल) प्रस्तावों पर कार्य करने के लिए उस समय स्थापित किया गया था, जब सीएसआईआर-आईआईसीटी को स्वदेशी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्षम प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसीएस) के लिए जिन्हें ओजोन क्षयकारी क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसीएस) के लिए अनुशंसित विकल्प माना जाता है।

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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