हाईकोर्ट ने पूछा सवाल, GDA अधिकारियों की नाक के नीचे कैसे हुआ अवैध रूप से 134 फ्लैट का निर्माण

एक्सप्रेस गार्डन प्रोजेक्ट में जीडीए से स्वीकृत नक्शे से अतिरिक्त 134 फ्लैटों के अवैध निर्माण पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह बहुत अजीब मामला है।

बिल्डर द्वारा GDA की नाक के नीचे फ्लैटों का निर्माण कैसे किया गया और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई जिन्होंने बिल्डर को उक्त प्रोजेक्ट के निर्माण की अनुमति दी थी।

इंदिरापुरम स्थित एक्सप्रेस गार्डन प्रोजेक्ट में जीडीए से स्वीकृत नक्शे से अतिरिक्त 134 फ्लैटों के अवैध निर्माण पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। मामले में जीडीए उपाध्यक्ष व बिल्डर पंकज गोयल को आठ दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर यह बताने के आदेश दिए हैं कि उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों न की जाए।

400 फ्लैटों का स्वीकृत कराया नक्शा

एक्सप्रेस गार्डन सोसायटी बनाने के लिए बिल्डर ने वर्ष 2005 में जीडीए से 400 फ्लैटों का नक्शा स्वीकृत कराया। इसके बाद 536 फ्लैटों का संशोधित नक्शा जीडीए से स्वीकृत हुआ, लेकिन बिल्डर ने 536 की बजाय 670 फ्लैटों का निर्माण किया। रेजिडेंट्स का आरोप है कि जीडीए अधिकारियों व बिल्डर की मिलीभगत होने के चलते मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जीडीए समेत अन्य सभी सरकारी कार्यालय में शिकायत की गई, लेकिन सभी जगह शिकायत को नहीं सुना गया। परेशान होकर रेजिडेंट्स को हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी। रेजिडेंट्स के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में डीड आफ डिक्लेयरेशन की प्रति पेश की, जिसके तहत सिर्फ प्रोजेक्ट में सिर्फ 536 फ्लैट बनाने की अनुमति थी।

हाई कोर्ट ने कहा- बहुत अजीब मामला है

नियमों को ताक पर रखकर जीडीए अधिकारियों ने प्रोजेक्ट की कंपाउंडिंग भी कर दी, जो स्वीकृति से ज्यादा फ्लैट बनाने पर नहीं की जा सकती थी। प्रोजेक्ट का कंपलीशन आज तक भी जारी नहीं हुई है। याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि यह बहुत अजीब मामला है।

बिल्डर द्वारा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की नाक के नीचे 134 अतिरिक्त फ्लैटों का निर्माण कैसे किया गया और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिन्होंने बिल्डर को उक्त प्रोजेक्ट के निर्माण की अनुमति दी थी। मामला गंभीर है। जीडीए उपाध्यक्ष व बिल्डर पंकज गोयल दाेनों आठ दिसंबर को अदालत में उपस्थित हों और बताएं कि उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए।

मालूम हो कि जीडीए-बिल्डर गठजोड़ से अवैध निर्माण का यह पहला मामला नहीं है। इंदिरापुरम के अन्य इलाकों समेत जिले भर स्वीकृत नक्शे से विपरीत धड़ल्ले से अवैध निर्माण कर शहर की सूरत बिगाड़ने का खेल चल रहा है। जीडीए ओएसडी गुंजा सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेशानुसार प्राधिकरण द्वारा पक्ष रखा जाएगा।

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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