ईस्ट इंडिया: ₹5000 Cr. का ग्रीन एनर्जी निवेश

पूर्वी भारत: भारत का नया नवीकरणीय ऊर्जा केंद्र बनने की ओर अग्रसर

कोलकाता: भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) द्वारा आयोजित एक उच्च-स्तरीय संवाद में विशेषज्ञों ने रेखांकित किया कि पूर्वी भारत आने वाले वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा का सबसे तेज़ उभरता क्षेत्र बनने जा रहा है। वाणिज्यिक और औद्योगिक (C&I) उपभोक्ताओं की मजबूत मांग, निवेशक-अनुकूल सरकारी नीतियाँ और नए औद्योगिक क्लस्टर इस क्षेत्रीय बदलाव को गति दे रहे हैं।

बैठक में नीति-निर्माताओं, यूटिलिटीज, डेवलपर्स और उद्योग के नेताओं ने पूर्वी भारत की विशाल स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को साकार करने के लिए प्रमुख रणनीतियों पर सहमति व्यक्त की।

परिवर्तन को गति देने वाले प्रमुख कारक

  1. C&I उपभोक्ताओं की मजबूत मांग: औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र तेजी से अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए हरित ऊर्जा विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं। यह मांग पूर्वी राज्यों में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास को प्रोत्साहित कर रही है।
  2. सरकारी नीतियाँ और सुधार: राज्य-स्तरीय सुधारों और निवेशक-अनुकूल नीतियों के कारण स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करना आसान हो रहा है, जिससे निजी भागीदारी बढ़ रही है।
  3. सामुदायिक निवेश: एमपीन एनर्जी ट्रांज़िशन के संस्थापक एवं एमडी पिनाकी भट्टाचार्य ने बताया कि ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार में ₹5,000 करोड़ का निवेश क्षेत्र की हरित ऊर्जा यात्रा को गति देगा। उन्होंने ज़ोर दिया कि “पूर्वी भारत में नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना अब विकल्प नहीं, औद्योगिक भविष्य की जरूरत है।”

आवश्यक कदम और चुनौतियाँ

पूर्वी भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के लिए विशेषज्ञों ने निम्नलिखित कदमों पर ध्यान केंद्रित किया:

  • ग्रिड आधुनिकीकरण और कनेक्टिविटी: केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के पूर्व सदस्य अरुण गोयल के अनुसार, केवल क्षमता निर्माण पर्याप्त नहीं है। C&I उपभोक्ताओं तक सौर और पवन ऊर्जा का वास्तविक लाभ पहुँचाने के लिए अंतर्राज्यीय कनेक्टिविटी को मजबूत करना अनिवार्य है।
  • तकनीकी नवाचार: असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी, दामोदर वैली कॉरपोरेशन और ग्रिडको के अधिकारियों ने माना कि ऊर्जा स्टोरेज (Energy Storage), स्मार्ट ग्रिड

    , और डिजिटल तकनीकें दिन-रात की मांग को संतुलित करने में निर्णायक भूमिका निभाएँगी।

  • निजी भागीदारी: स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सक्रिय सहयोग और निवेश को आकर्षित करना महत्वपूर्ण है।

भविष्य की राह

फिक्की के निदेशक अर्पण गुप्ता ने निष्कर्ष निकाला कि नीति, उद्योग और नवाचार के तालमेल के साथ, पूर्वी भारत अगले दशक में भारत का सबसे गतिशील और महत्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा बाजार बनकर उभरेगा। यह क्षेत्र राष्ट्रीय ऊर्जा परिवर्तन में एक नया बेंचमार्क स्थापित करने की क्षमता रखता है।


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