DELHI-भारतीय पत्रकारिता को एक साहसिक मुक़ाम पर ले जाने वाले पत्रकार को सलाम

भारतीय पत्रकारिता को एक साहसिक मुक़ाम पर ले जाने वाले दानिश सिद्दीक़ी आपको सलाम। अलविदा। आपने हमेशा मुश्किल मोर्चा चुना। मोर्चे पर आप शहीद हुए हैं।

पुलित्ज़र पुरस्कार प्राप्त करने के बाद भी आपने मोर्चों का चुनाव नहीं छोड़ा। बंदूक़ से निकली उस गोली को हज़ार लानतें जिसने एक बहादुर की ज़िंदगी ले ली।जामिया से मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई कर फ़ोटोग्राफ़ी को अपना करियर बनाया। भारत का मीडिया घर बैठ कर अफ़ग़ानिस्तान की रिपोर्टिंग कर रहा है। किसी को पता भी नहीं होगा कि भारत का एक दानिश दोनों तरफ़ से चल रही गोलियों के बीच खड़ा तस्वीरें ले रहा है। जब जब विपत्तियों का दौर आया तब तुमने मज़दूर किसान यहां तक की करोना के दूसरे वेव में लाखो अनाम लोग जो अब नहीं है इस दुनिया में उनकी आवाज़ उठाई। इतने सारे अवार्ड के बाद भी तुमने अपना काम नही छोङा युद्ध को युद्ध के बीच मे जा कर रिपोर्ट करने का साहस दिखाया तुम दुनिया भर के कमज़ोरो मजलूमो की आवाज़ थे !

 

 

बरेली से मोहम्मद शीराज़ ख़ान की रिपोर्ट !

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