Bareilly UP : सीबीगंज स्थित बी.एल. एग्रो प्राइवेट लिमिटेड और लक्ष्मी एग्रो प्राइवेट लिमिटेड में श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार और मनमानी का मामला सामने आया

बरेली, 28 जून। सीबीगंज स्थित बी.एल. एग्रो प्राइवेट लिमिटेड और लक्ष्मी एग्रो प्राइवेट लिमिटेड में श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार और मनमानी का मामला सामने आया है। प्रबंधन द्वारा औद्योगिक इकाई में काम कर रहे श्रमिकों पर जबरन गौशाला में जानवरों को चारा खिलाने और गोबर उठाने जैसा कार्य थोपने की कोशिश की गई। विरोध करने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, जिससे कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया है।

मामला जून की पहली तारीख का है, जब जौहरपुर रिफाइनरी यूनिट के दर्जनों श्रमिक रोज़ की तरह समय पर काम पर पहुंचे। उन्होंने अपनी समस्याओं और असहमति को लेकर प्रबंधन से बातचीत करने का प्रयास किया, लेकिन किसी अधिकारी ने उनसे बात करना उचित नहीं समझा। इसके बाद एचआर मैनेजर और जनरल मैनेजर ने अचानक आदेश दिया कि सभी श्रमिकों को बी.एल. कामधेनु नामक गौशाला इकाई में ड्यूटी करनी होगी।

इस आदेश के तहत कर्मचारियों को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक पशुओं की देखभाल, चारा खिलाना और गोबर उठाने जैसे कार्य करने को कहा गया। श्रमिकों ने इस आदेश का विरोध किया और स्पष्ट कहा कि वे फैक्ट्री कर्मचारी हैं, न कि गौशाला कर्मी। उनका कार्य अनुबंध इस तरह के काम के लिए नहीं किया गया है।

विरोध की कीमत कर्मचारियों को भारी चुकानी पड़ी। जनरल मैनेजर ने तत्काल प्रभाव से जौहरपुर रिफाइनरी यूनिट के सभी श्रमिकों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। श्रमिकों का कहना है कि यह पूरी कार्रवाई न केवल असंवेदनशील है, बल्कि सीधे-सीधे श्रम कानूनों का उल्लंघन है। कर्मचारियों का पीएफ और ईएसआई नियमित कट रहा था, इसके बावजूद उन्हें इस तरह की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा।

पीड़ित श्रमिक एकजुट होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने स्पष्ट मांग की कि सभी निकाले गए कर्मचारियों को तत्काल बहाल किया जाए, मामले की निष्पक्ष जांच हो और जिन अधिकारियों ने श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

श्रमिकों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो वे आंदोलन को तेज करेंगे और सड़कों पर उतरेंगे। इस मामले ने उद्योग क्षेत्र में श्रमिक अधिकारों की वास्तविक स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या श्रमिक केवल उपयोग की वस्तु बनकर रह गए हैं? क्या किसी निजी कंपनी को यह अधिकार है कि वह कर्मचारियों को मनमर्जी से कहीं भी लगाने और निकालने का आदेश दे?

यह मामला न केवल प्रशासन के लिए चुनौती है, बल्कि श्रम विभाग की निष्क्रियता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह अन्य औद्योगिक इकाइयों में भी श्रमिक असंतोष को जन्म दे सकता है। फिलहाल, सारी निगाहें प्रशासन और श्रम विभाग की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

बरैली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: