वेयरहाउस लीजिंग ने 2018 में 2.5 मिलियन वर्ग फीट का आंकड़ा पार किया; 2018 में वार्षिक आधार पर 45 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई
वेयरहाउस लीजिंग ने 2018 में 2.5 मिलियन वर्ग फीट का आंकड़ा पार किया; 2018 में वार्षिक आधार पर 45 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई
- 2018 में प्रॉडक्ट्स रखने के लिए गोदामों की कुल जगह में से ई-कॉमर्स कंपनियों ने 23 प्रतिशत जगह लीज पर ली
- ई-कॉमर्स के दिग्गज खिलाड़ियों की स्थिरता की वजह से ई-कॉमर्स कंपनियों के औसत आकार का गोदाम लीज पर लेने के मामले में एक साल में 2.3 गुना बढ़ोतरी हुई, जिसका औसत 2018 में 1,70,000 वर्गफीट बैठता है
- अच्छी गुणवत्ता वाले स्थान की मांग से 2018 में सालाना आधार पर किराए में 10-25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई
नई दिल्ली, 11 जून, 2019 : भारत की प्रमुख प्रॉपर्टी सलाहकार फर्म सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड ने हाल में अपनी सीरीज की तीसरी और अपनी नवीनतम रिपोर्ट, “ऑनलाइन रिटेल ड्राइविंग रिएलिटी-एलिवेटिंग द ई-कॉमर्स गेम” के नतीजों की घोषणा की। इस रिपोर्ट में ऑनलाइन रिटेलिंग (ई-टेलिंग), लॉजिस्टिक्स सेक्टर और देश भर में गोदामों को लीज पर देने में जीएसटी का प्रभाव के संबंधों की जांच की गई।
रिपोर्ट के अनुसार ई-कॉमर्स सेक्टर में प्रभावशाली और आकर्षक बढ़ोतरी अनुकूल नीतिगत सुधारों, आधुनिक तकनीक के गोदाम, स्मार्टफोन और इंटरनेट से ऑनलाइन मार्केटिंग के बढ़ते चलन, डिजिटल इंडिया मूवमेंट और अन्य कारणों की वजह से देखी गई है। इससे कुल गोदामों को लीज पर लेने के मामले में ई-कॉमर्स कंपनियों की हिस्सेदारी 2018 में 23 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो 2017 में 10 प्रतिशत थी।
भारत, दक्षिणपूर्व एशिया, मध्यपूर्व और अफ्रीका के लिए सीबीआरई के चेयरमैन और सीआरओ अंशुमन मैगजीन ने कहा, “इस क्षेत्र में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। हमें उम्मीद है कि 2020 के अंत तक आपूर्ति का आंकड़ा करीब 60 मिलियन वर्ग फीट को छू लेगा। नई तकनीक के साथ जीएसटी और ग्लोबल साझेदारियों जैसे व्यावहारिक सुधार भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में विकास को और आगे बढ़ाएंगे। आने वाले वर्षों में लॉजिस्टिक्स सेक्टर में मांग और आपूर्ति दोनों के फलने-फूलने के आसार हैं।“
जैसे कि ऊपर बताया गया है कि मांग में बढ़ोतरी के साथ आपूर्ति में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। अब जब आपूर्ति पूरे जोर-शोर से हो रही है, क्वॉलिटी के भी सुधरने की संभावना है। देशभर में माल को स्टॉक करने के लिए आधुनिक तकनीक से लैस गोदामों की सुविधा स्थापित वैश्विक मानकों के अनुरूप बढ़ती जा रही है। 2020 के अंत तक लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिए गोदामों में कुल मिलाकर (ग्रेड ए और उससे कम ग्रेड) 60 मिलियन वर्ग फीट की जगह मिलने की उम्मीद है। इसमें से कम से कम 22 मिलियन वर्ग फीट की जगह ए श्रेणी का होने का अनुमान है।
सीबीआरई में इंडस्ट्रियल एंड लॉजिस्टिक्स विभाग की नेशनल हेड जैस्मीन सिंह ने कहा, “हमें उम्मीद है कि ई-कॉमर्स कंपनियों की लगातार मांग, नीतियों में सुधार के साथ छोटे शहरों से ऑनलाइन प्रॉडक्ट्स मंगाने की बढ़ती मांग के चलते गोदामों को लीज पर लेने की गतिविधियां और बढ़ेंगी। भविष्य में आधुनिक तकनीक से लैस गोदामों की ओर ई-कॉमर्स कंपनियां ज्यादा आकर्षित होंगी, जबकि कम गुणवत्ता के गोदामों की मांग और नीचे चली जाएगी। दूर की सोच रखने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां गंभीरता से ग्रीन लॉजिस्टिक्स नेटवर्क पर भी विचार करेंगी। इस क्षेत्र के विकास के साथ हम वेयरहाउस के समीकरणों में कुछ और नई विशेषताएं जुड़ने की उम्मीद कर सकते हैं, जिसमें सप्लाई चेन को आधुनिक बनाने, तकनीकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग में बढ़ोतरी, अनुकूल डिलीवरी नेटवर्क और रिटेल और लॉजिटिक्स नेटवर्क के बीच बेहतर तालमेल शामिल है।”
ई-कॉमर्स वेयरहाउसिंग के क्षेत्र में लंबी अवधि में कुछ खास ट्रेंड्स देखने को मिल सकते हैं। ई-कॉमर्स कंपनियां और रिटेलर्स प्रॉडक्ट की लागत को कम करने के लिए गोदामों को शेयर कर सकते है। इससे भविष्य में खासतौर से रिहाइशी इलाकों के पास छोटे-छोटे गोदाम बनेंगे। ऑनलाइन बिजनेस और बाजार में दुकान पर प्रॉडक्ट्स की बिक्री करने वाले रिटेल कंपनियों की ओर से गोदामों की मांग और बढ़ेगी, ताकि आसपास के ज्यादा से ज्यादा इलाकों में उनके प्रॉडक्ट्स की बिक्री हो सके। ग्राहकों तक प्रॉडक्ट्स की डिलीवरी तेजी से कराने के लिए शहरी वितरण नेटवर्क को और ज्यादा दुरुस्त करने की जरूरत होगी। उपभोक्ताओं तक माल की डिलीवरी करने वाली कंपनियों और ऑफलाइन या बाजार में प्रॉडक्ट की बिक्री करने वाली रिटेल कंपनियों में करीबी तालमेल भी बन सकता है। यह ऑपरेटरों का अपनी क्षमता में सुधार का प्रयास होगा। उपभोक्ताओं तक तेज और प्रभावी तरीके से माल की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए रिटेल स्टोर नेटवर्क और लॉजिस्टिक्स की गतिविधियों को एकीकृत नजरिए से देखी जानी चाहिए।
ऑनलाइन रिटेल कंपनियों की ओर से गोदामों की बढ़ती मांग परिसंपत्तियों में विस्तार और उनके पुनविर्कास के भी अवसर उपलब्ध कराएगी। गोदाम लीज पर लेने वाली कंपनियों की जरूरतों के आधार पर शहरों के आसपास बने गोदामों का नए सिरे से विकास किया जाएगा। इससे जहां गोदाम बनाने वाले डेवलपर्स को बढ़ा हुआ किराया मिलेगा, वहीं गोदाम पर कब्जा करने वाली कंपनियों को सुधारे गए और पूर्ण रूप से विकसित आधारभूत ढांचे का लाभ मिलेगा।
इसके अलावा आगे बढ़ते हुए लॉजिस्टिक्स सेक्टर में काफी डिजिटलाइजेशन होगा। इसमें पांच मेगा ट्रेंड्स से क्रांतिकारी बदलाव होने की उम्मीद है, जिसमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), विस्तृत आंकड़ों, रोबोटिक्स, ऑटोमेशन और ब्लॉकचेन का प्रयोग बढ़ना शामिल है। इंडस्ट्री के दिग्गज खिलाड़ी लंबी अवधि में माल के ट्रांसपोर्टेशन पर आने वाली लागत को और अधिक अनुकूल बनाने पर विचार कर रहे हैं, इसे देखते हुए फिजिकल इंटरनेट भी वास्तविक संभावना हो सकती है।
लंबे समय में ई-कॉमर्स विक्रेता और रिटेलर प्रॉडक्ट के निर्माण पर आने वाली लागत को कम करने या तर्कसंगत करने के लिए गोदामों को शेयर करने पर समझौता कर सकते हैं, जिससे छोटे-छोटे गोदाम फलेंगे-फूलेंगे। यह गोदाम घनी आबादी वाले रिहाइशी इलाकों में सामने आएंगे।
ऑनलाइन और ऑफलाइन जैसे अलग-अलग माध्यमों से प्रॉडक्ट्स की बिक्री बढ़ने से कंपनियों में गोदाम की मांग और बढ़ेगी, जिससे कंपनियां आसपास के क्षेत्रों में पहुंच हासिल कर सके। इससे उपभोक्ताओं तक माल की डिलीवरी करने वाली कंपनियों और बाजार में ऑफलाइन सामान बेचने वाली कंपनियों में अपनी क्षमता सुधारने के लिए बेहतर तालमेल होने की संभावना है। उपभोक्ताओं तक उनके सामान की डिलीवरी तेज और सबसे प्रभावी रूप से कराने के लिए रिटेल स्टोर नेटवर्क और लॉजिस्टिक्स की गतिविधियों को एक ही रूप मे देखा जाना चाहिए।
सीबीआरई देश में लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स क्षेत्र के बेहतर भविष्य की उम्मीद रखता है। भारत की आंतरिक शक्तियों के दम पर यह आशा की किरण जागी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढंग से उपभोक्ताओं की ओर से मांग बढ़ने के कारण दोनों क्षेत्रों का विकास शामिल है। इस क्षेत्र से जुड़ी अलग-अलग इंडस्ट्रीज की क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न कारोबारियों ने एक साथ मिलकर काम करने की लगातार इच्छा जताई है। असली सवाल यह नहीं है कि क्या ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में स्थिरता आने की संभावना है, बल्कि यह है कि कितनी जल्दी यह क्षेत्र अपनी वास्तविक क्षमता को पहचान कर विकास की रफ्तार को बढ़ाते हैं।
सीबीआरई ग्रुप इंक. के विषय में
सीबीआरई ग्रुप इंक. (NYSE:CBRE), एक फार्च्यून 500 और एसएंडपी 500 कंपनी है, जिसका मुख्यालय लॉस एंजिल्स में है। यह 2017 में प्राप्त राजस्व के आधार पर विश्व की सबसे बड़ी कमर्शियल रियल स्टेट सर्विसेज और इनवेस्टमेंट फर्म है। कंपनी में 80 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं (इसमें कंपनी से जुडी हुई कंपनियां शामिल नहीं है) कंपनी दुनिया भर के अलग-अलग हिस्से में स्थित अपने करीब 450 ऑफिस से रियल एस्टेट में निवेश करने वाली कंपनियों और गोदाम लीज पर लेने वाले कंपनियों की सर्विसेज में जुटी हुई है। सीबीआरई में विस्तृत रूप से एकीकृत सेवाओं की पेशकश करता है, जिसमें कारोबारियों को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराना और लेन देन की सुविधा शामिल है। इसके अलावा परियोजना प्रबंधन, संपत्ति प्रबंधन, निवेश प्रबंधन, मूल्यांकन और आकलन, प्रॉपर्टी को लीज पर देने, रणनीतिक सलाह-मशविरा करने, संपत्ति की बिक्री, संपत्ति को बंधक या गिरवी रखने और विकास संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराता है। सीबीआरई पहली इंटरनेशनल प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी थी, जिसने 1994 में भारत में अपना ऑफिस खोला था। इसके बाद यहां कंपनी का कारोबार धीरे-धीरे बढ़ता गया। अब देश भर में कंपनी के 10 ऑफिस हैं, जिसमें 8 हजार प्रोफेशनल काम कर रहे हैं। देश के 80 शहरों में कंपनी की मौजूदगी है। प्रॉपर्टी खरीदने, बेचने और लीज पर देने की अंतरराष्ट्रीय प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म होने के नाते सीबीआरई अपने क्लाइंट्स के सामने रियल एस्टेट से संबंधित कई समाधान पेश करती है, जिसमें रणनीतिक रूप से विचार-विमर्श करना, मूल्यांकन और आकलन, पूंजी बाजार, एजेंसी सर्विसेज, एसेट सर्विसेज और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट शामिल है। सीबीआरई का मार्गदर्शक सिद्धांत रणनीतिक समाधान पेश करना है, जिससे अलग-अलग प्रॉपर्टीज को उत्पादकता से भरपूर बनाया जाए और सभी क्षेत्रों के क्लाइंट्स को यह आर्थिक मुनाफा देने में सक्षम हो।
सीबीआरई को 2008 से फॉर्च्यून 500 में शामिल किया गया है। 2018 में इसकी रैंकिंग 217 रही। लगातार 17 सालों तक लिप्से कंपनी ने इसे इंडस्ट्री के टॉप ब्रैंड के रूप में वोट दिया है। रियल स्टेट सेक्टर में कंपनी लगातार 6 साल तक फार्च्यून की “सबसे ज्यादा सराहना” प्राप्त करने वाली कंपनियों में से एक रही है।
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