बरेली मंडल में 14 लाख 62 हजार लीटर सेनेटाइजर का उत्पादन हुआ, अन्य राज्यों में भी‌ हुई बिक्री

बरेली : कोरोना से बचाव के लिए सेनेटाइज़र एक प्रमुख कवच बन कर सामने आया। अपनी उद्यमिता के लिए विख्यात बरेली मंडल सेनेटाइज़र के उत्पादन में भी किसी से पीछे नहीं रहा। पिछले वर्ष जब कोरोना शुरु हुआ था, उसके बाद से मंडल में इन पांच इकाइयों ने सेनेटाइजर बनाना शुरु किया जिनमें अब तक 14 लाख 62 हज़ार लीटर सेनेटाइजर का उत्पादन किया जा चुका है, जिसकी उत्तर प्रदेश से बाहर अन्य राज्यों में भी बिक्री हुई।

उप आयुक्त आबकारी, राज शेखर उपाध्याय बताते हैं कि बरेली मंडल में अल्कोहल आधारित इकाइयों में आधुनिक पद्धति से सेनेटाइजर बनाने का कार्य शुरु किया गया।इसके लाइसेंस आदि की प्रक्रिया को भी तात्कालिक स्तर पर पूर्ण कराया गया ताकि आपदा की इस घड़ी में सेनेटाइजर जैसी अत्यावश्यक चीज के लिए किसी को समस्या न होने पाए।

उपाध्याय ने बताया कि कोरोना महामारी के दृष्टिगत सेनेटाइजर उत्पाद हेतु बरेली मंडल में पांच इकाईयों को लाइसेंस निर्गत किए गए। इनमें रवि इण्डस्ट्रीज फरीदपुर, सुपीरियर आसवनी बरेली, ओसवाल ओवरसीज लिमिटेड नवाबगंज, डालमिया आसवनी शाहजहांपुर एवं एलएच आसवनी पीलीभीत है। इनमें आबकारी विभाग के सुपरवाइज़र लगातार सेनेटाइजर के उत्पादन की गुणवत्ता पर निगरानी रखते हैं और प्रत्येक बैच के नमूने लेकर लखनऊ स्थित प्रयोगशाला को जांच परीक्षण के लिए भेजते हैं। प्रत्येक बैच के सैम्पल भेजे जाने के उपरांत जब सेनेटाइजर बाजार में आता है तब भी उसको परीक्षण के लिए लैब में भेजा जाता है।सेनेटाइजर की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आबकारी विभाग सतत प्रयासरत रहता है।

उप आयुक्त,आबकारी श्री उपाध्याय ने बताया कि बरेली मंडल ने सेनेटाइजर के उत्पादन के मामले में प्रशंसनीय कार्य किया है और अब तक 14.62 लाख लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन यहां किया जा चुका है। उपाध्याय के अनुसार सेनेटाइजर की इन इकाईयों द्वारा मांग के अनुसार राज्य के भीतर 9.68 लाख लीटर एवं अन्य राज्यों में 3.84 लाख लीटर, यानी कुल 13.53 लाख लीटर सेनेटाइजर की बिक्री की गई है।

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