UP News : हल्द्वानी में 5 हजार घर तोड़ने पर लगी रोक, 10 Point में समझें SC का आदेश

हल्द्वानी में फिलहाल बुलडोजर नहीं चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस पर रोक लगा दी है. उत्तराखंड में रेलवे की जमीन से करीब 4 हजार परिवारों को हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि इतने सारे लोग लंबे समय से वहां रह रहे हैं, उनका पुनर्वास तो जरूरी है, ये होना चाहिए

उत्तराखंड के हल्द्वानी में पचास हजार लोगों के सिर से छत उजड़ने का खतरा फिलहाल टल गया है. करीब 100 साल से हल्द्वानी में सरकारी जमीन पर रह रहे लोगों को उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद रेलवे ने जमीन खाली करने को कहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. अब मामले की सुनवाई 7 फरवरी को होगी.

10 प्वॉइंट में समझे कि कैसे 50 हजार लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है

1- जस्टिस संजय किशन कौल और एएस ओका की बेंच ने रेलवे द्वारा अतिक्रमण हटाने के तरीके को अस्वीकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों पर रोक रहेगी.

2- सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि हमने कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई है और केवल उच्च न्यायालय के निर्देशों पर रोक लगाई गई है. कोर्ट ने यह भी कहा कि विवादित भूमि पर आगे कोई निर्माण या विकास नहीं होगा.

3- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने यह आदेश इसलिए पारित किया है, क्योंकि अतिक्रमण उन जगहों से हटाया जाना है, जो कई दशकों से प्रभावित लोगों के कब्जे में है, कई लोग 60 सालों से भूमि पर रह रहे हैं, इसलिए पुनर्वास के लिए उपाय किए जाने चाहिए क्योंकि इस मुद्दे में मानवीय दृष्टिकोण शामिल है.

4- सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, ‘इस मामले में हमें यह तथ्य परेशान कर रहा है कि उनका क्या होगा जिन्होंने नीलामी में जमीन को खरीदा और 1947 के बाद से रहे हैं… आप जमीन का अधिग्रहण कर सकते हैं लेकिन अब क्या करें… लोग 60-70 साल से रह रहे हैं, उनके पुनर्वास की जरूरत है.’

5- जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, ‘अतिक्रमण के जिन मामलों में लोगों के पास कोई अधिकार नहीं था, उस स्थिति में सरकारों ने अक्सर प्रभावितों का पुनर्वास किया है. इस केस में कुछ लोगों के पास कागजात भी हैं, ऐसे में आपको एक समाधान खोजना होगा, इस मुद्दे का एक मानवीय पहलू भी है.’

6- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रातों-रात 50 हजार लोगों को उजाड़ा नहीं जा सकता, ऐसे लोगों का हटाया जाना चाहिए जिनका भूमि पर कोई अधिकार नहीं है और रेलवे की आवश्यकता को पहचानते हुए उन लोगों के पुनर्वास की आवश्यकता है.

7- सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद उत्तराखंड सरकार और भारतीय रेलवे को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी. यानी तब तक बुलडोजर चलने पर रोक लग गई है.

8- भारतीय रेलवे की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी पेश हुए और उन्होंने अपनी दलील में कहा कि सब कुछ नियत प्रक्रिया का पालन करके किया गया है और विवादित भूमि रेलवे की है.

9- स्थानीय लोगों की पेश हुए वकील ने यह तर्क दिया गया कि भाजपा शासित उत्तराखंड सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष उनके मामले को ठीक से नहीं रखा, जिसके परिणामस्वरूप हाई कोर्ट ने रेलवे के पक्ष में फैसला सुनाया.

10- याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्विस ने कहा कि जमीन का कब्जा याचिकाकर्ताओं के पास आजादी के पहले से है और सरकारी पट्टे भी उनके पक्ष में निष्पादित किए गए हैं.

क्या है पूरा मामला

ये कहानी हल्द्वानी के बनभूलपुरा के 2.2 किमी इलाके में फैले गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर की, जहां रहने वालों को रेलवे ने नोटिस जारी किया था कि 82.900 किमी से 80.170 रेलवे किमी के बीच अवैध अतिक्रमणकारी हट जाएं, वरना अतिक्रमण हटाया जाएगा और कीमत उसकी अतिक्रमणकारियों से ही वसूली जाएगी.

रेलवे के मुताबिक, 2013 में सबसे पहले गौला नदी में अवैध रेत खनन को लेकर मामला कोर्ट में पहुंचा था. 10 साल पहले उस केस में पाया गया कि रेलवे के किनारे रहने वाले लोग ही अवैध रेत खनन में शामिल हैं. तब दावा है कि हाईकोर्ट ने रेलवे को पार्टी बनाकर इलाका खाली कराने के लिए कहा. तब स्थानीय निवासियों ने विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाकर याचिका दायर की.

सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निवासियों की भी दलीलें सुनने का निर्देश दिया. रेलवे दावा करती है कि सभी पक्षों की फिर दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर 2022 को अतिक्रमणकारियों को हटाने का निर्देश दिया. रेलवे दावा करता है कि उसके पास पुराने नक्शे हैं, 1959 का नोटिफिकेशन है, 1971 का रेवेन्यू रिक़ॉर्ड है और 2017 की सर्वे रिपोर्ट है.

लेकिन अपने हाथ में तमाम दस्तावेज, पुराने कागज और दलीलों के साथ लोग सवाल उठाते हैं. स्थानीय लोग कहते हैं कि रेलवे की जमीन पर हमने अतिक्रमण नहीं किया, रेलवे हमारे पीछे पड़ी है. फिलहाल 4400 परिवारों और 50 हजार लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए 7 फरवरी तक हाई कोर्ट के बुलडोजर चलाने वाले आदेश पर रोक लगा दी है.

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: