जनजातीय मंत्रालय के तहत ट्राइफेड अन्य उपक्रमों के सहयोग से नए डिजाइन बनाने की पहल कर रहा है

जनजातीय मंत्रालय के तहत ट्राइफेड अन्य उपक्रमों के सहयोग से नए डिजाइन बनाने की पहल कर रहा है

तेजी से बदलते दौर में, जहां आधुनिकता, तकनीक और विकास ने मानव जीवन में गहरी पैठ बना ली है और पहले की तरह जीने का तरीका अतीत की बात हो चुकी है जिसका जिक्र अब केवल किताबों में मिलता है। ऐसे समय में भारत में अभी भी 200 आदिम जनजातियां देश के विभिन्न हिस्सों में पाई जाती हैं। इन जनजातियों के दस्तकार अभी भी अपनी मूल कला और शिल्प तथा परंपराओं को संरक्षित करने की कोशिश में लगे हैं। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ ट्राइफेड इन वंचित लोगों की आर्थिक मदद कर इन्हें सशक्त बनाने और मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रयासरत है।  ट्राइफेड की ओर से की जा रही विभिन्न पहलों में से इसकी डिजाइन के लिए की गई पहल विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है।

पंजीकृत जनजातीय दस्तकारों के कौशल और उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए ट्राइफेड ने ऐसे दस्तकारों की बनाई वस्तुओं के प्रचार और डिजाइन विकास के लिए पिछले कुछ महीनों में एक आध डिजाइनरों के साथ साझेदारी की है। इनमें  सुश्री रितु बेरी, सुश्री रीना ढाका, सुश्री रुमा देवी, सुश्री विंकी सिंह, सुश्री, नीरा नाथ और सुश्री रोजी अहलूवालिया शामिल हैं।

ट्राइफेड के मुख्य डिजाइन सलाहकार के रूप में, सुश्री रीना ढाका आदिवासी उत्पादों और हस्तशिल्पों को अधिक से अधिक अवसर दिलाने और बड़ी संख्या में लोगों तक उनके उत्पाद पहुंचाने में मदद करने के लिए अपने लंबे अनुभव के साथ इस मुहिम में जुड़ रही हैं। फरवरी 2020 में वार्षिक सूरजकुंड मेले में आयोजित फैशन वीक में, उन्होंने अपने जनजातीय संग्रह का प्रदर्शन किया, जिसमें मूल आदिवासी परंपराओं से प्रेरित डिजाइनर वस्तुएं प्रदर्शित की गई थीं।  यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रतिभाशाली जनजातीय दस्तकारों के उत्पाद ज्यादा से ज्यादा लोग देख सकें वह इनकी बनाई वस्तुओं के लिए आकर्षक उपहार पैकेजिंग रेंज भी विकसित कर रही हैं।

धार जिले, मध्य प्रदेश के जनजातीय दस्तकारों के साथ, वह बाग प्रिंट में नए डिजाइन विकसित कर रही है। उनका इरादा राष्ट्रीय और विश्वव्यापी दर्शकों को इन उत्पादों की ओर आकर्षित करना है क्योंकि इन खूबसूरती से पैक किए गए गुणवत्ता वाले उत्पादों को न केवल ट्राइब्स इंडिया के आउटलेट में बल्कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर भी बेचा जाता है।

इसके अतिरिक्त, जनजातीय दस्तकारों की जरुरतों को देखते हुए सुश्री रीना ढाका अपने शोद डिज़ाइनर एंड द म्यूज़ में प्रसिद्ध हस्तियों के साथ साक्षात्कारों की एक श्रृंखला के माध्यम से जनजातीय हस्तशिल्प और उत्पादों को बढ़ावा दे रही हैं। ऐसे साक्षात्कार सुश्री गौहर खान, सुश्री डेलनाज ईरानी, ​​सुश्री पूजा बत्रा और सुश्री रक्षंदा खान के साथ आयोजित किए गए हैं।  इस शो में ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक में श्री प्रवीर कृष्ण को भी शामिल किया जा चुका है। शो में उन्होंने आदिवासी लोगों को सशक्त बनाने में ट्राइफेड की भूमिका के बारे में बताया था।

नई दिल्ली के महादेव रोड में ट्राइब्स इंडिया के प्रमुख स्टोर (जो 1997 में स्थापित किया गया था) को सुश्री नीरा नाथ ने अपने सुंदर डिजाइन से और मनमोहक बनाया है। इन डिजाइनरों के सहयोग से विकसित उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक अलग गैलरी भी बनाई गई है। सुश्री नीरा नाथ की विशेषज्ञता ने दिली हाट स्टोर को सुशोभित करने में योगदान दिया है।

ट्राइफेड द्वारा शुरू किए गए कौशल-उन्नयन कार्यक्रम में, चयनित दस्तकारों के साथ ये सलाहकार डिजाइनर देश भर में पहचान किए गए आदिवासी समूहों के साथ मिलकर काम करते हैं। प्रत्येक क्लस्टर में न्यूनतम 20 दस्तकार हैं। इन समूहों को मास्टर दस्तकारों से सीखकर अपने कौशल को सुधारने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उनके बनाए डिजाइनों को समहाहित कर ऐसी हस्तश्ल्पि वस्तुएं बनाई जाती हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकें। ऐसे 15-20 डिज़ाइनों को कैप्सूल  के रूप में ट्राइब्स इंडिया के आउटलेट्स पर प्रदर्शित किया जाएगा।

इन पहलों के अलावा इस साल के ऑस्कर पुरस्कार समारोह में सुश्री रोजी अहलूवालिया के डिजाइन किए जनातीय फूल पत्तियों के प्रिंट वाले गाउन का प्रदर्शन सचुमद काफी गौरव की बात रही थी। प्रतिभाशाली जनजातीय दस्तकारों को अपने उत्पादों के प्रदर्शन के लिए ट्राइफेड के रूप में एक सही आउटलेट मिला है।

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