परचम कुशाई के साथ तीसरा सालाना दो रोज़ा उर्स-ए-ताजुश्शरिया का आगाज़ । देर रात तक ऑनलाइन सजाई गई मिलाद की महफ़िल।

“गुलशने आला हज़रत की जो जान है.
मेरे ताजुश शरीया की कया शान है”
“मसलके आला हज़रत की पहचान है.
मेरे ताजुश शरीया की क्या शान है”

सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के मज़हबी रहनुमा हुजूर ताजुश्श्शरिया हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खाँ (अज़हरी मियां) के दो रोजा उर्स-ए-ताजुश्शरिया का आगाज दरगाह ताजुश्शरिया पर अज़हरी परचम लहराने के साथ शुरु हो गया। दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन काजी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रज़ा खाँ कादरी (असजद मियां) ने अपने हाथों से जमात रज़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उर्स प्रभारी सलमान मियां और जमात रज़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियां व उलमा-ए-इकराम की मौजूदगी में परचम कुशाई की रस्म अदा की गई। इस साल कोरोना महामारी के चलते परचमी जुलूस सादगी के साथ निकाला गया।
जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने बताता बुधवार फजर की नमाज़ बाद दरगाह पर कुरानख्वानी हुई। असर की नमाज़ बाद शाम 6 बजे तीनो परचमी जुलूस दरगाह ताजुश्शरिया पर पहुंचे। रिवायत के अनुसार पहला परचम सय्यद कैफी के निवास शाहबाद स्थित मिलन शादी से निकाला गया। दूसरा परचम मौहम्मद साजिद के निवास अजाम नगर स्थित हरी मस्जिद से निकाला गया। तीसरा परचम फहमी तहसीनी के निवास सैलानी स्थित हुसैन चौक से निकाला गया। तीनो परचमी जुलूस में पाँच-पाँच मोटरसाइकिल पर 10-10 लोग परचम और फूलों की टोकरिया के साथ दरगाह आला हजरत के मोढ़ तक पहुंचा और वहा से पैदल परचम लेकर दरगाह ताजुश्शरिया पर आए। तीनों परचमी जुलूस का फूलों से ज़ोरदार स्वागत किया गया। और फिजा में उर्स-ए-ताजुश्शरिया के नारे गूंजने लगे। परचम कुशाई की रस्म के बाद फातिहा और कोरोना के खात्मे की दुआ हुई। रात को ईशा की नमाज़ बाद दरगाह पर मिलाद की महफिल सजाई गई। नईम रज़ा तहसीनी और मुस्तफ़ा मुर्तज़ा अज़हरी ने ताजुश्शरिया के लिखें हुए प्यारे-प्यारे कलाम पेश किए।
इस मौके पर मोईन खान, हाफ़िज़ इकराम रज़ा खाँ, मौलाना निजामुद्दीन, मुफ्ती अफज़ाल रज़वी, मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारुकी, कारी काजिम रज़ा, मौलाना शम्स रज़ा, मौलाना अज़ीमुद्दीन अज़हरी, मौलाना सय्यद सैफ अली कादरी, मौलाना आबिद, मौलाना अब्दुल कदीर, हाफ़िज़ अब्दुल सत्तार रज़ा, मोईन अख्तर, अब्दुल्लाह रज़ा खाँ, अतीक अहमद हश्मती, गुलाम हुसैन, डॉक्टर मेहंदी हसन, शमीम अहमद, मौहम्मद कलीउद्दीन आदी मौजूद रहें ।।

कार्यक्रम 17 जून बरोज़ जुमरात ।

जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया दूसरा व आखिरी रोज़ 17 जून बरोज़ जुमरात को दरगाह ताजुश्शरिया और मथुरापुर स्थित मदरसा जामियातुर रज़ा में बाद नमाज़-ए-फजर कुरान ख्वानी व नात-व-मनकबत की महफिल सजाई जाएगी। फिर हुजूर ताजुश्शरिया के वालिद हुजूर मुफस्सीरे आज़म हिंद इब्राहिम रज़ा खाँ (जिलानी मिया) के कुल शरीफ की रस्म सुबह 07 बजकर 10 मिंट पर अदा की जाएगी। मुख्य कार्यक्रम बाद नमाज़-ए-असर नात-व-मनकबत फिर उलमा-ए-इकराम की तरीर होगी। शाम को 07 बजकर 14 मिंट पर हुजूर ताजुश्शरिया हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खाँ (अज़हरी मियां) का कुल शरीफ होगा। इसी के साथ दो रोज़ा उर्स का समापन हो जाएगा ।

 

 

 

बरेली से मोहम्मद शीराज़ ख़ान की रिपोर्ट !

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