दो साल पहले बारादरी थाना क्षेत्र के जोगी नवादा में कांवड़ यात्रा को लेकर हुए तनाव और फायरिंग की घटनाओं से उपजा तनाव अब पूरी तरह खत्म हो चुका है।

दो साल पहले बारादरी थाना क्षेत्र के जोगी नवादा में कांवड़ यात्रा को लेकर हुए तनाव और फायरिंग की घटनाओं से उपजा तनाव अब पूरी तरह खत्म हो चुका है। जिस जगह कभी हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच गहरी खाई दिखती थी, वहीं अब आपसी सौहार्द और भाईचारे की नई मिसाल कायम हो रही है।

 

रविवार को सावन की अंतिम कांवड़ यात्रा में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। महंत राकेश कश्यप के नेतृत्व में निकला कांवड़ जत्था न सिर्फ मुस्लिम मोहल्लों से होकर शांतिपूर्वक गुजरा, बल्कि स्वागत की ऐसी मिसाल पेश की गई, जिसने बीते विवादों को पीछे छोड़ दिया। मुस्लिम महिलाओं ने कांवड़ियों पर फूल बरसाकर उनका स्वागत किया।

 

गौरतलब है कि दो वर्ष पूर्व इसी यात्रा को लेकर विवाद हुआ था। उस समय दूसरे समुदाय के लोगों ने कांवड़ यात्रा को परंपरागत न मानते हुए रोक दिया था, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया था और जुलूस नहीं निकल पाया था। लेकिन इस बार पुलिस-प्रशासन की निगरानी में यात्रा सकुशल संपन्न हुई। कांवड़ यात्रा मौर्य गली से शुरू होकर कब्रिस्तान तिराहा, शाहनूरी मस्जिद होते हुए मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से गुजरते हुए बनखंडी नाथ मंदिर तक पहुंची। इस दौरान रास्ते भर मुस्लिम समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने जगह-जगह टेंट लगाकर फूल बरसाए, कांवड़ियों को फल, पानी और शरबत वितरित कर भाईचारे का संदेश दिया।

 

इस यात्रा में करीब डेढ़ हजार महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने भाग लिया। महंत राकेश कश्यप ने कहा यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आपसी सौहार्द का प्रतीक है। आज जिस तरह मुस्लिम समाज ने स्वागत किया, उससे साफ है कि अब जोगी नवादा नया इतिहास लिख रहा है। स्थानीय पुलिस अधिकारी भी इस आयोजन के सफल संचालन में मौजूद रहे। अधिकारियों ने इसे कानून व्यवस्था और सामाजिक समरसता की दृष्टि से सकारात्मक संकेत बताया।

बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट

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