Supreme Court : सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार,चुनाव के आधार पर जारी धारा 144 को रद्द करने की मांग,

सामाजिक कार्यकर्ताओं अरुणा रॉय और निखिल डे द्वारा कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है इसमें सीआरपीसी की धारा 144 के तहत चुनावों के आधार पर जारी निषेधाज्ञा को रद्द करने की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में दो सप्ताह बाद एक याचिका पर सुनवाई होगी, जिसमें सीआरपीसी की धारा 144 के तहत चुनावों के आधार पर जारी निषेधाज्ञा को रद्द करने की मांग की गई है।

शीर्ष अदालत द्वारा इस मामले में सुनवाई के लिए सहमति जताई गई है न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह निर्देश भी दिया कि चुनाव के बारे में लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से यात्राएं या बैठकें आयोजित करने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों पर सक्षम प्राधिकारी तीन दिनों के भीतर फैसला करेगा।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दायर की है याचिका

बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ताओं अरुणा रॉय और निखिल डे द्वारा कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है। इसमें सीआरपीसी की धारा 144 के तहत बैठकों, सभाओं, जुलूसों या धरनों पर रोक लगाने के लिए मजिस्ट्रेट और राज्य सरकारों के अभ्यास पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट में पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि पिछले छह महीनों में चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा के समय से लेकर चुनाव के अंत तक की अवधि के लिए धारा 144 को लेकर व्यापक आदेश जारी किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे आदेशों को देखते हुए चुनावी अवधि के दौरान सभी प्रकार की सभाओं, बैठकों और प्रदर्शनों पर रोक लगाई जाती है। पीठ ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है।

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश को रद्द किया 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश को रद्द कर दिया गया है। शीर्ष अदालत का कहना है कि सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत द्वारा दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) 2016 के तहत शिकायतों की सुनवाई कर सकती है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के 2022 के फैसले को रद्द कर दिया दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया था।

इससे पहले सत्र न्यायालय ने आईबीसी बोर्ड द्वारा दायर एक शिकायत पर एक फर्म के दो पूर्व निदेशकों के खिलाफ प्रक्रिया जारी करने का निर्देश दिया था। 

इसके बाद आईबीसी बोर्ड द्वारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। अपील पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने केवल इस आधार पर शिकायत को रद्द किया क्योंकि इसे एक सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत के समक्ष दायर किया गया था सुप्रीम कोर्ट ने इसे घोर गलती करार दिया है।

28 हफ्ते का गर्भ समाप्त करने की मांग करने वाली नाबालिग की हो मेडिकल जांच- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 14 वर्षीय कथित दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल जांच का आदेश दिया है। बता दें कि पीड़िता ने अपनी 28 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग की है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने पीड़िता की ओर से तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग को लेकर भेजे गए एक ई-मेल पर गौर किया।

इसके बाद मामले की तत्काल सुनवाई के लिए शाम करीब साढ़े चार बजे कार्यवाही शुरू हुई। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुईं। पीठ ने मुंबई के सायन अस्पताल से पीड़िता की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी है।

पीठ ने कहा कि अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एक मेडिकल बोर्ड का गठन करेंगे और इसकी रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख 22 अप्रैल को अदालत के समक्ष रखी जाएगी।

मामले पर सोमवार को 10.30 बजे सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट पीड़िता की मां की दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया गया याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि नाबालिग 28 सप्ताह की गर्भवती है और फिलहाल मुंबई में है।

पोर्नोग्राफी में बच्चों का इस्तेमाल करना गंभीर चिंता का विषय: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पोर्नोग्राफी में बच्चों के इस्तेमाल को गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा कि यह अपराध है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मद्रास हाइकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ एनजीओ जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एलायंस ऑफ फरीदाबाद और दिल्ली के बचपन बचाओ आंदोलन संगठन की अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सिर्फ चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना और देखना पोक्सो अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत अपराध नहीं है।

हाईकोर्ट ने 28 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को भी रद्द कर दिया। उस पर मोबाइल फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करने का आरोप था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील एचएस फूलका ने उच्च न्यायालय के फैसले की आलोचना की और पोक्सो अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री उसके मुवक्किल के व्हाट्सएप से अपने आप डाउनलोड हो गई थी इस पर पीठ ने कहा, अगर किसी को इनबॉक्स में ऐसी सामग्री मिलती है तो संबंधित कानूनों के तहत जांच से बचने के लिए उसे हटा देना होगा या नष्ट कर देना होगा। अगर कोई चाइल्ड पोर्नोग्राफी को न हटाकर आईटी प्रावधानों का उल्लंघन करना जारी रखता है तो यह एक अपराध बनता है।

सीएए नियमों को चुनौती देेने वाली याचिका पर केंद्र और असम सरकार से शीर्ष कोर्ट ने मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन नियम (सीएए) 2024 को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र और असम सरकार से जवाब मांगा है। सीएए को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया को क्रियान्वित और विनियमित करने के लिए लागू किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने गुवाहाटी निवासी याचिकाकर्ता हिरेन गोहेन के वकील की दलीलों पर गौर किया और यह भी आदेश दिया कि नई याचिका को इस मुद्दे पर लंबित अन्य याचिकाओं के साथ संलग्न किया जाए।
नई याचिका में कहा गया है कि बांग्लादेश से असम में अवैध प्रवासियों के अनियंत्रित संख्या में आने से असम में भारी जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुआ है। मूल निवासी जो कभी बहुसंख्यक थे, वे अब अपनी ही धरती पर अल्पसंख्यक हो गए हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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