Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट से की गई गिरफ्तारी की मांग 5000 लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेकर फंसे नेपाल के पीएम प्रचंड

काठमांडू. नेपाल में डामाडोल होती अपनी सत्ता के बीच प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ एक नई मुसीबत में घिरते दिख रहे हैं. इस पूर्व माओवादी नेता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक रिट याचिका दायर की गई, जिसमें उनके खिलाफ 5000 लोगों की हत्या के मामले में पूछताछ करने और गिरफ्तार करने का का आदेश देने का अनुरोध किया गया है.

दरअसल प्रचंड ने कुछ दिनों पहले खुद ही कई वर्ष तक चले माओवादी विद्रोह के दौरान 5000 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी कबूली थी.

सुप्रीम कोर्ट से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अधिवक्ता ज्ञानेंद्र आरन और माओवादी विद्रोह के अन्य पीड़ितों ने मंगलवार को याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा कि कल्याण बुद्धथोकी की एक अन्य रिट याचिका दर्ज किये जाने की प्रक्रिया से गुजर रही है.

ज्ञानेंद्र आरन और कल्याण बुद्धथोकी ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग रिट याचिका दाखिल कर मांग की है कि दशक भर चले माओवादी विद्रोह के दौरान कम से कम 5,000 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी कबूल करने पर प्रचंड के खिलाफ जांच की जाए और मुकदमा चलाया जाए. इस पर जस्टिस ईश्वर खातीवाड़ा और जस्टिस हरिकृष्ण फुयाल की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने शुक्रवार को अदालत प्रशासन को आदेश दिया कि दोनों की रिट याचिकाओं को रजिस्टर किया जाए.

प्रचंड बोले- 17000 लोगों की हत्या का आरोप सच नहीं

बता दें कि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने पिछले दिनों काठमांडू में आयोजित माघी महोत्सव के दौरान कहा था, ‘मैं 17000 लोगों की हत्या का आरोपी हूं, जो सच नहीं हैं. हालांकि मैं संघर्ष के दौरान 5,000 लोगों के मारे जाने की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बाकी 12,000 लोगों को सामंतवादी सरकार ने मारा.

नेपाल में माओवादी विद्रोह की शुरुआत 13 फरवरी, 1996 को हुई थी, जो 21 नवंबर, 2006 को तत्कालीन सरकार के साथ समग्र शांति समझौते के बाद यह आधिकारिक रूप से समाप्त हुआ. अनुमान है कि दस वर्ष तक चले विद्रोह में करीब 17,000 लोग मारे गए.

इस बीच, माओवादी नेताओं ने मंगलवार को एक बैठक कर तीन सूत्री निर्णय लिया, जिसमें शांति समझौते के खिलाफ किसी भी गतिविधि का विरोध करना शामिल है.

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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