जापान में भारतीय सामुदायिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ
जापान जैसा देश, आकी सीजन का ये वातावरण और इस पर आप सभी का साथ, सच में एक अदभुत संगम है।
भारत में भी मंडे हो वर्किंग डे हो, और सुबह नौ बजे मुझे बुलाना हो लेकिन इतने सवेरे इतनी तादाद में, लगता है कुछ लोग रात को ही आ गयें होंगे| मैं आपके इस प्यार के लिए आपके इस आशीर्वाद के लिए हृदय से आपका बहुत बहुत आभारी हूं|
आज की यह मुलाकात इसलिए भी विशेष है क्योंकि जापान में बसे आप सभी स्वजनों से मुझे साल 2016 में मिलने का मौका मिला उसके बाद आज मिल रहा हूं। इस मौके पर सबसे पहले मैं भारत की तरफ से, आप सबकी तरफ से अपने प्रिय मित्र प्रधानमंत्री शिंजो अबे को फिर से LDP का प्रेजीडेंट चुने जाने पर बहुत बहुत बधाई देता हूं।
भारत की जनता के प्रति, मेरे प्रति, प्रधानमंत्री अबे का प्यार, उनका स्नेह हमेशा से रहा है। इस बार इसको नया आयाम देते हुए जिस प्रकार का विशेष सत्कार उन्होंने किया है, इसके लिए भी मैं प्रधानमंत्री जी का और जापान की जनता का आभार व्यक्त करता हूं। इसके साथ ही आप सभी को दीपावली की भी अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं। जिस तरह दीवाली में दीपक जहां रहता है उजाला करता है उसी तरह आप भी जापान और दुनिया के हर कोने में अपना और देश का नाम रोशन करें, मेरी यही कामना है।
साथियों,
भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर यह मेरी तीसरी जापान यात्रा है। और जब भी जापान आने का मौका मिला तो यहां मुझे एक आत्मीयता का अनुभव होता है। वो इसलिए क्योंकि भारत और जापान के बीच संबंधों की जड़ें पंथ से लेकर प्रवृति तक हैं। हिंदू हो या बौद्ध मत, हमारी विरासत साझा है। हमारे आराध्य से लेकर अक्षर तक में इस विरासत की झलक हम प्रति पल अनुभव करते है।
मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, भगवान शिव और गणेश सबके साम्य जापानी समाज में मौजूद हैं। सेवा शब्द का अर्थ जापानी और हिंदी में एक ही है। होम यहां पर गोमा बन गया और तोरण जापानी में तोरी बन गया। पवित्र Mount Ontake (ओंताके) पर जाने वाले जापानी तीर्थयात्री जो पारंपरिक श्वेत पोशाक पहने हैं, उस पर संस्कृत-सिद्धम् लिपि के कुछ प्राचीन वर्ण भी लिखवाते हैं। वे जब श्वेत जापानी तेंगुई पहनते हैं तो उस पर ऊँ (ओम्) लिखा होता है।
साथियों, भारत और जापान के रिश्तों के ताने बाने में ऐसे अतीत के बहुत से मजबूत धागे हैं। भारत और जापान के इतिहास को जहां बुद्ध और बोस जोड़ते हैं, वहीं वर्तमान को आप जैसे नए भारत के राष्ट्रदूत मजबूत कर रहे हैं। सरकार का राजदूत एक हैं लेकिन राष्ट्रदूत यहाँ हज़ारों हैं। आप वो पुल हैं जो भारत और जापान को, दोनों देशों के लोगों को, संस्कृति और आकांक्षाओं को जोड़ते हैं। मुझे खुशी है कि आप अपने इस दायित्व को सफलता के साथ निभा रहे हैं।
साथियों, मेरी जब भी प्रधानमंत्री श्री आबे से बात होती है तो वो भारतीय समुदाय की इतनी तारीफ करते हैं कि मन गदगद हो जाता है। आप लोगों ने अपने कौशल से, अपने सांस्कृतिक मूल्यों से यहां बहुत सम्मान अर्जित किया है। योग को आप जापान के जनजीवन का हिस्सा बनाने में सफल रहे हैं। यहां के मेन्यू में आपने कढ़ी चावल ला दिया और अब तो आप दीवाली भी अपने जापानी दोस्तों के साथ मनाते हैं। आपने मार्शल आर्ट्स में निपुण इस देश को कबड्डी की कला भी देना शुरू कर दिया है और अब आप क्रिकेट के कल्चर को भी विकसित करने में जुटे हैं। आपने जिस तरह Contribute, Co-exist to Conquer (कोंकर) Hearts के मंत्र से जापानी दिलों में जगह बनाई है वो सचमुच काबिलेदाद है। मुझे प्रसन्नता है कि 30 हज़ार से अधिक का भारतीय समुदाय यहां हमारी संस्कृति के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहा है।
साथियों, आप में से अनेक लोग स्वाभाविक रूप से भारत आते-जाते रहते हैं। जो काफी समय से नहीं भी गए हैं वो अखबारों के माध्यम से, इंटरनेट के जरिए भारत में हो रहे परिवर्तन के बारे में ज़रूर जानकारी लेते होंगे। आज भारत परिवर्तन के बड़े दौर से गुजर रहा है। दुनिया आज मानवता की सेवा के लिए भारत के प्रयासों का गौरवगान कर रही है। भारत में जो नीतियों का निर्माण हो रहा है, जनसेवा के क्षेत्र में जो कार्य हो रहा है उसके लिए देश को सम्मानित किया जा रहा है। अभी हाल में दुनिया की दो बड़ी संस्थाओं ने भारत के प्रयासों सराहा है, सम्मानित किया है। ग्रीन फ्यूचर में योगदान के लिए संयुक्त राष्ट्र ने चैंपियन ऑफ द अर्थ के रूप में, तो सोल Peace Foundation ने सोल Peace Prize के रूप में भारत को सम्मान दिया है।
साथियों, ये सम्मान सवा सौ करोड़ जनों के प्रतिनिधि के रूप में भले ही नरेन्द्र मोदी को दिया गया हो लेकिन मेरा योगदान माला के उस धागे जितना है जो मनकों को पिरोता है और संगठित होकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। हमारा देश आप जैसे एक से एक हीरों से, मोतियों से भरा पड़ा है। सिर्फ एक संगठित प्रयास की आवश्यकता थी जो हम बीते चार वर्षों से कर रहे हैं। सामूहिकता की, जनभागीदारी की इसी शक्ति को आज दुनिया पहचान दे रही है। आज पर्यावरण की सुरक्षा के लिए, आर्थिक असंतुलन को दूर करने के लिए, विश्व शांति के लिए भारत की भूमिका अग्रणी है।
मैं सोल Peace Prize की Jury का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने Modinomics की प्रशंसा की है। उनकी भावनाओं का पूरा सम्मान करते हुए मैं ये कहना चाहूंगा कि Modinomics के बजाय ये Indonomics का सम्मान है। सरकार का मुखिया होने के नाते मैं वही कर रहा हूं जो भारत की संस्कृति, भारत की परंपरा रही है।
वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिना:
सर्वे संतु निरामया, के हमारे पुरातन मूल्यों के प्रति हम समर्पित हैं। हमारी सरकार ने तो सिर्फ इतना बदलाव किया है कि दुनिया को, भारत के चश्मे देखा जाए। और चश्मों से भारत को मत देखिये। हमारी सरकार Indian Solution, Global Application की भावना के साथ निरंतर काम कर रही है। हम पहले भारत की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं और फिर उस मॉडल को दुनिया के दूसरे देशों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।
साथियों, आपको ये जानकर गर्व होगा कि जनधन, आधार और मोबाइल, यानि JAM की Trinity से जो ट्रांसपेरेंसी भारत में आई है, उससे अब दुनिया के दूसरे विकासशील देश भी प्रेरित हो रहे हैं। भारत में बनाए गए इस सिस्टम की स्टडी की जा रही है। इसके अलावा Digital Transaction की हमारी आधुनिक व्यवस्था, जैसे BHIM App और Rupay Card, इनको लेकर भी दुनिया के अनेक देशों में उत्सुकता है। मुझे बताया गया है कि जापान भी अब Less Cash Economy की तरफ प्रयास बढ़ा रहा है। आपको ये जानकर खुशी होगी कि भारत आज इस दिशा में बहुत आगे निकल चुका है। बीते चार वर्षों के दौरान ही UPI, BHIM और दूसरे Digital Platforms के माध्यमों से डिजिटल लेनदेन में करीब- करीब 7 गुना की बढोतरी हुई है। वहीं Financial Inclusion को भारत Next Level पर ले जा रहा है और गांव-गांव तक Post Offices के माध्यम से Financial Services की होम डिलिवरी की जा रही है। आपने बचपन में डाकिया देखा है, आज वह डाकिया बैंकर बन गया है।
साथियों, आज भारत Digital Infrastructure के मामले में अभूतपूर्व तरक्की कर रहा है। गांव-गांव तक Broadband Connectivity पहुंच रही है और सौ करोड़ से भी अधिक मोबाइल फोन आज भारत में एक्टिव हैं। कभी कभी तो कहां जाता है कि भारत की जनसंख्या से ज़्यादा मोबाईल फ़ोन्स हैं। भारत में 1GB डेटा कोल्ड ड्रिंक की छोटी से छोटी Bottle से भी सस्ता है। यही सस्ता डेटा आज सर्विस डिलिवरी का प्रभावी माध्यम बन रहा है। वहीं मेक इन इंडिया आज Global Brand बनकर उभरा है। आज हम ना सिर्फ भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए बेहतरीन Product बना रहे हैं। विशेषतौर पर Electronics और Automobile Manufacturing में भारत Global हब बनता जा रहा है। Mobile Phone Manufacturing में तो हम नंबर वन बनने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।
साथियों, Make in India की सफलता के पीछे वो माहौल है जो बीते चार वर्षों में बिजनेस के लिए बना है। Ease of Doing Business Ranking में हमने 40 अंकों से अधिक की छलांग लगाई है। Global Competitive में हमने इस वर्ष भी 5 पायदान का सुधार किया है। वहीं Innovation के मामले में तो आज हम दुनिया के अग्रणी देशों की सूची में शामिल हो चुके हैं। यही कारण है कि भारत Start Up के मामले में दूसरा बड़ा Ecosystem बना है।
साथियों, भारत में जो भी Innovation हो रहे हैं, जो भी समाधान तैयार हो रहे हैं, वो सस्ते तो हैं ही गुणवत्ता के मामले में भी उत्तम हैं। भारत का स्पेस प्रोग्राम इसका बेहतरीन उदाहरण है। भारत दुनिया के अनेक देशों, प्राइवेट कंपनियों के सैटेलाइट बहुत ही कम खर्च पर आज स्पेस में भेज रहा है। पिछले वर्ष ही हमारे वैज्ञानिकों ने एक साथ सौ से अधिक सैटेलाइट लॉन्च करने का अभूतपूर्व रिकॉर्ड बनाया था। हमने बहुत ही कम खर्च में चंद्रयान और मंगलयान अंतरिक्ष में भेजा, अब 2022 तक भारत गगनयान भेजने की तैयारी में जुटा है। ये गगनयान पूरी तरह से भारतीय होगा और इसमें अंतरिक्ष जाने वाला भी भारतीय होगा।
साथियों, जम़ीन से लेकर अंतरिक्ष तक ऐसे अनेक परिवर्तन आज भारत में हो रहे हैं। इन्हीं परिवर्तनों के चलते आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। इन्हीं बदलावों को देखते हुए दुनिया की तमाम एजेंसियां कह रही हैं कि आने वाले दशक में दुनिया की ग्रोथ को भारत ड्राइव करेगा।भारत की इस ग्रोथ स्टोरी में जापान का, आप सभी का भी बहुत बड़ा योगदान रहने वाला है। बुलेट ट्रेन से लेकर Smart Cities तक आज जो New India का नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो रहा है उसमें जापान की भागीदारी है। भारत की Man-power, भारत की Youth Power को भी जापान की Skill का लाभ मिल रहा है।
साथियों, मैं आप सभी को New India के निर्माण में आपकी सक्रिय भागीदारी के लिए आमंत्रित करता हूं। भारत में निवेश और Innovation के लिए आज उपयुक्त अवसर तो हैं ही, साथ में अपनी जड़ों के साथ सक्रियता से जुड़ने का भी ये महत्वपूर्ण समय है। जापान में बसे भारतीयों ने जापानी दोस्तों के साथ मिलकर हमेशा से ही देश के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। स्वामी विवेकानंद जी को, नेताजी सुभाष चंद्र बोस को, भारत की आज़ादी के आंदोलन को जो सहयोग जापान से मिला है, वो करोड़ों भारतीयों के दिल में हमेशा रहेगा।हमारे संबंध भविष्य में और घनिष्ट हों, हमारी साझेदारी और मज़बूत हो, इसके लिए हम सभी को निरंतर प्रयास करने हैं।
मैं आज आपको इस मंच से, अगले साल जनवरी में होने वाले प्रवासी भारतीय दिवस और अर्धकुंभ के लिए भी आमंत्रित करता हूं। प्रवासी भारतीय दिवस तो इस बार वाराणसी में होगा, जहां की गंगा आरती देख कर प्रधानमंत्री अबे भी मंत्रमुग्ध हो गए थे। और वाराणसी आने का निमंत्रण मैं इसलिए दे रहा हूं क्यूंकि मैं वहां का सांसद हूं। तो एक प्रकार से आप सब मेरे मेहमान हैं। दो दिन बाद विश्व के मानचित्र पर भारत अपनी नई पहचान स्थाई करने वाला है। 31 October सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती है। सरदार साहब की जन्म जयंती तो हम हर बार मानते आयें हैं लेकिन इस बार पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित होने वाला है क्यूंकि सरदार साहब की जन्म भूमि गुजरात की धरती पर सरदार साहब का दुनिया का सबसे ऊँचा statue बन रहा है। यह इतना ऊँचा है कि इसको समझने के लिए मैं कहूंगा की statue of Liberty से statue of Unity डबल ऊँचा है। सरदार साहब की प्रतिभा जितनी ऊँची थी यह प्रतिमा भी उतनी ही ऊँची बनेगी। हर हिंदुस्तानी गर्व से कह सकता है कि दुनिया का सबसे ऊँचा statue हिन्दुस्तान की धरती पर है, सरदार पटेल का है। 31 October को इसका लोकार्पण होगा। मुझे विश्वास है आप लोग जब भी भारत आएंगे आपके जापान के मित्र भारत आएंगे तो आप अवश्य उन्हें सरदार पटेल के विश्व के सबसे ऊँचे statue देखने के लिए जाने के लिए ज़रूर प्रेरित करेंगे। यही मेरा आग्रह है।
अंत में फिर आप सभी को दीपावली की बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप इतनी बड़ी संख्या में सुबह सुबह आएं इसके लिए भी हृदयपूर्वक बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं।