क्या आप जानते हैं, भारतीय “रूपया ” के मजबूत होने के फायदे ?

 

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आपको ये तो पता होगा कि “बिना कैश के ऐश” नही की जा सकती, अजी ऐश छोड़िये, जिदंगी में बिना रुपयों-पैसों (कैश) के कुछ भी कर पाना बहुत मुशिकल है। आपने अक्सर न्यूज पेपर में रूपये की कीमत में उछाल और गिरावट की खबरें सुनी होगीं,लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि हमारे देश की मुद्रा(करेंसी) के मजबूत होने और उसमें होने वाली गिरावट का क्या मतलब होता है और वो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर कैसे असर डालती है । आइए जानते हैं भारतीय रुपए की ये कहानी और रुपए की मजबूती से आम आदमी को कौन से 4 बड़े फायदे हों सकते हैं…

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कब हुई रूपये की शुरूआत
1540 से 1545 के बीच शेरशाह सूरी ने रुपया शब्द इस्तेमाल किया था। जिसके बाद से ही भारत समेत आठ देशों की मुद्रा को रुपया के नाम ही से जाना जाता है पहले रुपया केवल धातु से बने सिक्कों को ही कहा जाता था लेकिन 1861 में पेपर करेंसी एक्ट के साथ ही 18वीं सदी के आखिरी सालों में कागजी नोट का जन्म हुआ।

 

रिजर्व बैंक के अधिकार
1934 तक रुपये को नोट के रुप में जारी करने की जिम्मेदारी सरकार की थी, जबकि 1935 से लेकर अब तक ये काम रिजर्व बैंक के पास है. हालांकि एक रुपये के नोट को जारी करने की जिम्मेदारी अब भी सरकार के पास है जबकि 2 से लेकर 1000 रुपये के नोटों को जारी करने की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक की है. हालांकि अब दो रुपये और पांच रुपये के नोट छपते नहीं हैं. चूंकि एक को छोड़ बाकी मूल्य के नोटों को रिजर्व बैंक जारी करता है, इसीलिए उनपर रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं. 1 रुपये के नोट पर भारत सरकार के वित्त सचिव दस्तख्त करते हैं।

 

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कैसे जाने रूपये की कीमत

बाजार का नियम है कि जिस चीज की मांग जितनी ज्यादा होगी, उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी. आज की तारीख में दुनिया भर के बाजार में किसी मुद्रा की अगर सबसे ज्यादा मांग है तो वो है डॉलर. नतीजा ज्यादातर देशों की मुद्रा के मुकाबले डॉलर महंगा है. ये भी मत भूलिए कि जिस देश की अर्थव्यवस्था जितनी बड़ी होगी, उसका उतना ही अच्छा असर उसकी मुद्रा पर पड़ेगा. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था 18.55 खरब डॉलर के साथ पहले स्थान पर है जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार सवा दो खरब डॉलर से कुछ ज्यादा ही है.

गौरतलब है कि अब रुपया ही नहीं, किसी भी देश की मुद्रा के पीछे सोना या चांदी जैसा कोई बहुमूल्य धातु नही रखा जाता. 1971 में ब्रिटेन वुड व्यवस्था खत्म होने के साथ ही गोल्ड स्टैंडर्ड का भी अंत हो गया. अब विभिन्न देशों की मुद्रा की तरह रुपये को फिएट करेंसी कहा जाता है.फिएट करेंसी कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त मुद्रा होती है जिसे सरकार का सहारा मिलता है. फिएट लैटिन भाषा से लिया गया शब्द है. हिंदी में इसका मतलबा आज्ञा या हुकुम होता है.

आपको बता दें कि नोट छापने और सिक्का ढालने का फैसला सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर करते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि गरीबी दूर करने के लिए खूब सारे नोट छाप लिए जाएं. बाजार में अगर नोट औऱ सिक्के काफी ज्यादा हो जाएंगे, तो महंगाई आसमान छूने लगेगी।

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बुधवार को कारोबार में भारतीय रुपए ने मजबूत शुरुआत की। जिससे आज रुपया डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की मजबूती के साथ 64.88 के स्तर पर खुला। रुपए में लगातार पांचवें दिन मजबूती देखने को मिली है। 22 मार्च को रुपया 65.11 पर, 23 मार्च को 65.01 और 26 मार्च को 64.87 पर बंद हुआ। 27 मार्च को रुपया 64.78 पर खुलकर 64.97 पर बंद हुआ। वहीं 28 मार्च को रुपया 64.90 रुपए पर खुला। रुपए के मजबूत होने से महंगाई पर कुछ हद तक लगाम लगने की संभावना बढ़ जाती है।

सस्ता होगा विदेश घूमना : रुपए के मजबूत होने से वो लोग खुश हो सकते हैं जिन्हें विदेश की सैर करना काफी भाता है। क्योंकि अब रुपए के मजबूत होने से आपको हवाई किराए के लिए पहले के मुकाबले थोड़े कम पैसे खर्च करने होंगे। फर्ज कीजिए अगर आप न्यूयॉर्क की हवाई सैर के लिए 3000 डॉलर की टिकट भारत में खरीद रहे हैं तो अब आपको कम भारतीय रुपए खर्च करने होंगे।

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विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी सस्ती : अगर आपके बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं तो रुपए का मजबूत होना आपके लिए एक अच्छी खबर है। क्योंकि अब आपको पहले के मुकाबले थोड़े कम पैसे भेजने होंगे। मान लीजिए अगर आपका बच्चा अमेरिका में पढ़ाई कर रहा है, तो अभी तक आपको डॉलर के हिसाब से ही भारतीय रुपए भेजने पड़ते थे। यानी अगर डॉलर मजबूत है तो आप ज्यादा रुपए भेजते थे, लेकिन अब आपको डॉलर के कमजोर (रुपए के मजबूत) होने से कम रुपए भेजने होंगे। तो इस तरह से विदेश में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई भारतीय अभिभावकों को राहत दे सकती है।

क्रूड ऑयल होगा सस्ता तो थमेगी महंगाई :  डॉलर के कमजोर होने से क्रूड ऑयल सस्ता हो सकता है। यानी जो देश कच्चे तेल का आयात करते हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले (डॉलर के मुकाबले) कम रुपए खर्च करने होंगे। भारत जैसे देश के लिहाज से देखा जाए तो अगर क्रूड आयल सस्ता होगा तो सीधे तौर पर महंगाई थमने की संभावना बढ़ेगी। आम उपभोक्ताओं के खाने-पीने और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति परिवहन माध्यम से की जाती है, इसलिए महंगाई थम सकती है।

डॉलर में होने वाले सभी पेमेंट सस्ते हो जाएंगे :  वहीं अगर डॉलर कमजोर होता है तो डॉलर के मुकाबले भारत जिन भी मदों में पेमेंट करता है वह भी सस्ता हो जाएगा। यानी यह भी भारत के लिए एक राहत भरी खबर है।

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