कोविड-19 संक्रमण महामारी में पुलिसकर्मियों द्वारा(अतुलनीय )अपने जीवन को संकट में डाल कर सुपुर्द विभिन्न कर्तव्यों का मनोयोग से निष्पादन किया गया।
वैश्विक महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान, ‘फ्रंटलाइन वर्कर्स’, समाजसेवी व्यक्तियों, विभिन्न सामाजिक संगठनो, राजनैतिक दलों व्यापारी व व्यवसायिक संगठनों आदि ने अपनी क्षमता के अनुरूप कोविड-19 संक्रमण को रोकने तथा संक्रमित व्यक्तियों के उपचार हेतु आगे आकर तन मन धन से सहयोग किया व हिस्सा लिया। ऐसी भयंकर महामारी के दौरान पुलिस द्वारा निभाई गई सराहनीय भूमिका किसी से भी नहीं छिपी है। पुलिसकर्मियों द्वारा अपने जीवन को संकट में डाल कर सुपुर्द विभिन्न कर्तव्यों का मनोयोग से निष्पादन किया गया।
कोविड-19 की पहली लहर में वाराणसी में पांव पसारते कोरोना संक्रमण ने पुलिस और पीएसी के बड़ी संख्या में जवानों को भी अपना संक्रमण का शिकार बनाया। पुलिस और पीएसी के जवान आमजन की सुरक्षा में उनके बीच रहकर आवश्यक ड्यूटी संपादित करते हैं तथा पीएसी के अधिकतर जवान अपने घरों एवं परिवारो से दूर, वाहिनी की बैरकों में रहते हैं तथा ‘कॉमन मैस’ तथा ‘कॉमन टॉयलेट’ ही प्रयोग करते हैं, जिससे उनको संक्रमण का खतरा सदैव बना रहता है। पीएसी जवान आरक्षी अजीत सिंह को जब सर्दी जुखाम की शिकायत महसूस हुई तो उसने सर्वप्रथम निजी तौर पर जाकर कोविड-19 का टेस्ट कराया और ‘पॉजिटिव’ पाए जाने पर उसने इस बारे में पीएसी के अधिकारीगण को अवगत कराया। जैसे ही यह बात नवनियुक्त सेनानायक डॉ राजीव नारायण मिश्र आईपीएस के संज्ञान में आई तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाराणसी से संपर्क किया और पीएसी के इस जवान के संपर्क में आए सभी जवानों तथा वाहिनी की शेष कंपनियों के जवानों का, वाहनी के अंदर ही कैंप लगवाकर कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से विगत वर्ष दिनांक 12 जुलाई तथा 15 जुलाई को ‘रैपिड एंटीजन टेस्ट’ तथा आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया गया । परिणाम स्वरूप 34वी वाहिनी पीएसी, भुल्लनपुर के 30 जवान और उनके 16 परिवारीजन कोविड-19 से संक्रमित पाए गए । यद्यपि कुछ जवानों और उनके परिवारीजनों को कोई जाहिरा लक्षण अथवा तकलीफ नहीं थी और वे ‘एसिंप्टोमेटिक’ थे, किंतु कुछ जवानों को लक्षण भी प्रगट हो रहे थे।
इन बड़ी संख्या में जवानों/परिवार के सदस्यों को ‘आइसोलेशन’ में रखकर उपचार कराए जाने हेतु उस समय तत्समय अस्पताल उपलब्ध होना भी एक बड़ी चुनौती दृष्टिगोचर हो रही थी व शासन द्वारा ‘होम आइसोलेशन’ अनुमन्य नहीं किया गया था । अनुमन्यता की स्थिति में भी विभिन्न जनपदों के मूल निवासी, इन कर्मियों को उनके घरों पर भेजना अनुचित था। सभी परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए सेनानायक 34वी वाहिनी पीएसी श्री राजीव नारायण मिश्र आईपीएस, ने इसमें आगे आकर, अपने जवानों के उपचार की संपूर्ण व्यवस्था वाहिनी के चिकित्सालय में ही कराने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। वाहिनी का चिकित्सालय मात्र एक ‘ओपीडी’ संचालित अस्पताल होने के कारण इसमें आवश्यक चिकित्सकीय प्रबंध किया जाना एक दुष्कर कार्य था, किंतु श्री मिश्र द्वारा वाहिनी मैं संचालित ओपीडी को, चिकित्सक डॉक्टर अंबुज गुप्ता से समन्वय कर, बिना समय लगाए रातों-रात, स्थान की अधिकतम क्षमता अनुरूप 30 बेड तथा अन्य संबंधित चिकित्सा चिकित्सा उपकरणों की व्यवस्था की। तत्काल वाहिनी स्तर पर ही पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीमीटर, थर्मल टेंपरेचर , अन्य संबंधित सामग्री तथा आवश्यक औषधियों जुटाई गई । सभी संक्रमित लोगों को तत्काल ‘आइसोलेशन’ में रखकर उपचार प्रारंभ कर दिया गया और नियमित रूप से उनकी दिन प्रतिदिन की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए पौष्टिक खानपान से लेकर कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुरूप उपचार व अन्य सुविधाएं प्रदान की गई । प्रत्येक दिवस पौष्टिक आहार ‘मैन्यू’ में भोजन के साथ साथ फल, जूस, आयुष काढा, च्यवनप्राश, गर्म जल आदि को भी सम्मिलित किया गया।
सभी मरीजों से प्रतिदिन सेनानायक श्री राजीव नारायण मिश्र तथा डॉक्टर अंबुज गुप्ता द्वारा लगातार व्यक्तिगत संवाद बनाए रखा गया तथा उनकी कुशलक्षेम व उनकी दिन प्रतिदिन की सभी आवश्यकताओं को पूरा किया गया । यही नहीं आवश्यकतानुसार आईपीएस अधिकारी श्री राजीव नारायण मिश्र तथा चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अंबुज गुप्ता पीपीई किट पहनकर अपनी सुरक्षा करते हुए, अपने जवानों का हाल भी लेते रहे। सभी संक्रमित करोना योद्धाओं को, सेनानायक श्री मिश्र ने एक ‘व्हाट्सएप ग्रुप’ के माध्यम से जोड़ रखा था जिसमें संबंधित चिकित्सक महोदय के अलावा अन्य अधिकारी गण भी जुड़े हुए थे जिसके माध्यम से प्रत्येक समय उनकी कुशलता तथा आवश्यकता की जानकारी कर उसका निराकरण किया जा रहा था और प्रत्येक दिवस सेनानायक श्री मिश्र द्वारा संक्रमित कर्मियों एवं उनके परिवारी जन का मनोबल बढ़ाने तथा तनाव कम करने से संबंधित विभिन्न संदेशों तथा वीडियो को ‘ग्रुप’ में ‘पोस्ट’ किया जाता रहा तथा ‘ग्रुप वीडियो कॉलिंग’ के माध्यम से संक्रमित जवानों को अवसाद से बचाने हेतु वार्ता की जाती रही।
वाहिनी परिसर में एक खुशी की लहर दौड़ी जब वाहिनी के सभी कोरोना योद्धा अपने परिवारीजनों के साथ स्वस्थ होकर ‘आइसोलेशन’ से बाहर आए। कोविड-19 ‘डिस्चार्ज पॉलिसी’ के अनुरूप इन सभी लोगों को अगले सात दिवस तक “होम क्वॉरेंटाइन’ किया गया, जिससे इन्हें व अन्य किसी को संक्रमण का कोई खतरा न हो। इस प्रकार 34 वी वाहिनी का चिकित्सालय उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा स्वयमेव संचालित पहला कोविड-19 (एल-1व एल-2 स्तर) का चिकित्सालय बना। मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाराणसी द्वारा भी श्री राजीव नारायण मिश्र सेनानायक, 34वी वाहिनी भुल्लनपुर को उनके प्रयासों एवं कर्मियों व उनके परिवारीजनों के स्वस्थ हो जाने पर बधाई दी। दुबारा अन्य 16 कर्मी संक्रमित हो जाने पर उनका उपचार वाहिनी के चिकित्सालय में किया गया और शत प्रतिशत कर्मी स्वस्थ हुए। यही नहीं, जिला प्रशासन ने वाहिनी के चिकित्सालय को कोविड-19 हेतु सूचीबद्ध चिकित्सालयों में शामिल कर लिया।
इसी प्रकार कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान भी श्री मिश्र द्वारा संक्रमित हुए सभी 22 पीएसी कर्मियों के सम्यक उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की तथा सभी कर्मी स्वस्थ हुए। 34वी वाहिनी कोरोना मुक्त वाहिनीं की श्रेणी में है। कोविड-19 की पहली लहर के दौरान श्री मिश्र के इस सराहनीय सफल प्रयास को दृष्टिगत प्रदेश की सभी पीएसी वाहिनियों में चिकित्सालय को कोविड-19 (L-1व L-2) अस्पताल के रूप में विकसित किया गया और दूसरी लहर के दौरान भी प्रदेश की सभी पीएसी वाहिनियों तथा जिलों की पुलिस लाइंस में भी इसी के अनुरूप व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई। इस प्रकार 34वी वाहिनी पीएसी की ‘ओपीडी डिस्पेंसरी’ उत्तर प्रदेश पुलिस का पहला कोविड-19 अस्पताल बना जिसमें भर्ती सभी 100% कर्मी स्वस्थ हुए।
ज्ञातव्य है कि वर्तमान में कोविड-19 का संक्रमण पुनः फैलना प्रारंभ हो रहा है और निकट भविष्य में तीसरी लहर आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इसके बचाव हेतु कोरोनारोधी टीकाकरण ही एक मात्र उपाय है। भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 18 वर्ष से 45 वर्ष एवं 45 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों का निःशुल्क टीकाकरण किया जा रहा है। विदित है कि पीएसी कर्मियों को व्यस्तता, इंटरनेट सुविधा, ‘कोविन ऐप’ के संबंध में संपूर्ण जानकारी ना होने आदि विभिन्न कारणों को दृष्टिगत अपने परिवारीजनो को पंजीयन कराने एवं टीकाकरण कराने में कठिनाई एवं असुविधा दृष्टिगोचर हो रही थी।
अतएवं सेनानायक श्री राजीव नारायण मिश्र ने एक सराहनीय पहल करते हुए, वाहिनी परिसर में कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने, प्रभावी नियन्त्रण करने, ‘फ्रंट लाइन वर्कर’ परिवारों के समस्त सदस्यों की सुरक्षा हेतु तथा टीकाकरण कराने में सुविधा एवं सुगमता प्रदान करने के उद्देश्य से परिसर मे आवासित सभी परिवारीजनो के स्वैच्छिक चरणबद्ध टीकाकरण अभियान प्रारंभ किया गया। इस उद्देश्य को सुनिश्चित करने के लिए सभी परिवारीजनों का पंजीयन किया गया तथा ‘कोविन ऐप’ पर ‘वैक्सीनेशन’ का ‘शेड्यूल’ निर्धारित कर सभी लाभार्थियों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, शासकीय वाहन से निर्दिष्ट ‘वैक्सीनेशन सेंटर’ पर उपस्थित कराकर शत प्रतिशत सकुशल टीकाकरण का कार्य संपादित कराया गया। कोविड-19 संक्रमण चक्र को तोड़ने हेतु प्रारंभ की गई इस पहल की पीएसी कर्मियों एवं उनके परिवारों ने प्रशंसा कर स्वागत किया तथा पीएसी मुख्यालय द्वारा भी इस कृत्य की सराहना करते हुए प्रदेश की अन्य वाहिनियो में भी इस प्रकार का अभियान चला कर ‘फ्रंटलाइन वर्कर्स’ के परिवारी जनों का टीकाकरण कराए जाने हेतु निर्देशित किया गया है। श्री मिश्र अपने इन प्रयासों का श्रेय टीम को देते वे कहते हैं कि ये सकारात्मक परिणाम, सम्मिलित टीम के योगदान का ही फल है।
बरेली से संपादक गोपाल चंद्र अग्रवाल की रिपोर्ट !