शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों को हटाने पर सुनवाई 23 मार्च तक टली

शाहीन बाग में प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई को 23 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि मामले में भेजे गए वार्ताकारों को सफलता नहीं मिली है।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भारी हिंसा को देखते हुए नागरिकता कानून के खिलाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों की तरफ से सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका में प्रदर्शनकारियों की तरफ से सुरक्षा देने की मांग की गई है। नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।अदालत ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई होली के बाद होगी, तब तक स्थितियां सामान्य होंगी.

शाहीन बाग में प्रदर्शन करतीं महिलाएं (फाइल फोटो-PTI)
  • शाहीन बाग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई
  • सार्वजनिक सड़क प्रोटेस्ट के लिए नहीं-SC
  • पुलिस में प्रोफेशनलिज्म की कमी- SC

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में टकराव के बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन जारी है और कालिंदी कुंज सड़क पिछले 70 दिनों से बंद है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सड़क प्रदर्शन के लिए नहीं है. अदालत ने टिप्पणी की कि अभी माहौल इस केस की सुनवाई के लिए ठीक नहीं है.

शाहीन बाग केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थों से कहा कि हमने उनकी दी रिपोर्ट देखी है. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आप पुलिस को डिमोरलाइज नही कर सकते हैं, इस समय हमारे पुलिस बल के कॉन्स्टेबल की मौत हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी हम इस मामले में विचार नहीं करना चाहते हैं. अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए वातावरण ठीक नहीं है. मामले को टालते हैं.

13 लोगों की मौत हुई है, गंभीर विषय-SC

SG तुषार मेहता ने इसका विरोध किया. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 13 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है ये बेहद गंभीर विषय है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि “सार्वजनिक जगह” प्रदर्शन की  जगह नही होती है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस अपना काम करे. कभी कभी परिस्थिति ऐसी आ जाती है कि आउट ऑफ द बॉक्स जा कर काम करना पड़ता है. जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, “जिस पल एक भड़काऊ टिप्पणी की गई, पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी, दिल्ली ही नहीं, इस मामले के लिए कोई भी राज्य हो. पुलिस को कानून के अनुसार काम करना चाहिए. ये दिक्कत पुलिस की प्रोफेशनलजिम में कमी की है.

अदालत ने कहा कि 13 जिंदगी कम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 23 मार्च को होगी.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने प्रशासन को एक्शन लेने से नहीं रोका है. अदालत ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई होली के बाद होगी, तब तक स्थितियां सामान्य होंगी.

पुलिस में प्रोफेशनलिज्म की कमी-SC

अदालत ने कहा कि समस्या ये है कि पुलिस में प्रोफेशनलिज्म की कमी है. पुलिस कानून के मुताबिक काम करने में नाकाम करती है. हमने कई बार इस बावत दिशानिर्देश जारी किए हैं. अदालत ने टिप्पणी की कि देखिए अमेरिका और ब्रिटेन में पुलिस कैसे काम करती है. वहां पर पुलिस किसी के आदेश का इंतजार नहीं करती है. जैसे ही कोई भड़काऊ बयान देता है पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए काम करती है. चाहे वो ए राजनीतिक पार्टी हो या बी. इस पर एसजी ने कहा कि अगर पुलिस काम करना शुरू कर दे तो अदालत को उसे रोकने के लिए दखल देना होगा.

प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा की मांग

इस बीच वरिष्ठ वकील वजाहत हबीबुल्लाह और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर के साथ बहादुर अब्बास नकवी ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की है. इस याचिका में शाहीन बाग में डटे प्रदर्शनकारियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा की मांग की गई है.

सड़क खोलने के लिए सुझाए गए समाधान

वार्ताकारों की रिपोर्ट से पहले शाहीन बाग में नाकाबंदी हटाने के लिए चल रहे प्रयासों में शामिल वजाहत हबीबुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें उन्होंने सड़क को खोलने के लिए समाधान सुझाए हैं. हलफनामे में कहा गया है कि आस-पास की कुछ सड़कों पर लगे बैरिकेड्स हटाने से स्थिति में तुरंत राहत मिल सकती है.

कोर्ट के आदेश पर दायर हुआ हलफनामा

तकनीकी रूप से शीर्ष कोर्ट ने मुख्य वार्ताकार के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को नियुक्त किया था, जिनकी सहायता साधना रामचंद्रन ने की. सुप्रीम कोर्ट ने वार्ताकार को हबीबुल्लाह से बात करने के लिए भी कहा, जो इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रदर्शनकारियों से बात कर रहे थे. कोर्ट के आदेश के अनुसार, हबीबुल्ला ने प्रदर्शन स्थल शाहीन बाग का दौरा किया और अपना हलफनामा दायर किया.

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