स्वतंत्रता सेनानी विष्णु नारायण बरेली कॉलेज में शिक्षक के साथ ही क्रिकेटर भी थे – निर्भय सक्सेना

बरेली । स्वतंत्रता सेनानी विष्णु नारायण सक्सेना बरेली कॉलेज में अंग्रेजी के शिक्षक के साथ ही क्रिकेटर, कवि भी थे। समाचार पत्रों में उनके लेख तो प्रकाशित होते ही थे। उनका काव्य संग्रह भी पुस्तक के रूप में निकल था। अपने समय के प्रतिष्ठित जमींदार श्री प्रेम नारायण सक्सेना के कनिष्ठ पुत्र डा विष्णु नारायण सक्सेना उर्फ विष्णु बाबू अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे।

उनका जन्म 29 नवम्बर 1923 को हुआ। परिवार में साहित्य एवं संगीत का संस्कार के चलते विष्णु बाबू की रुचि भी बचपन से अनेक वाद्य यंत्रों में निपुणता के साथ साथ ही हिंदी, उर्दू, संस्कृत और आंग्लभाषा पर समग्र एवं सक्षम पकड़ के रूप में प्रकट हुई। हिंदी कविता लेखन और सुशील उपनाम से वह रचना कर्म आजीवन करते रहे। क्रिकेट के होनहार खिलाड़ी रहे और कालांतर में रोहिलखंड क्रिकेट एसोसियेशन, बरेली के मुखिया भी रहे। क्रिकेट के प्रचार और प्रसार में उनकी महत्ती भूमिका रही।

कालेज की पढ़ाई पूरी करते ही आबकारी विभाग में निरीक्षक के पद पर नियुक्त हो गए परंतु यह नौकरी स्वभावनुकूल न होने के कारण अधिक दिनों तक बांध के नहीं रख सकी। नौकरी से त्यागपत्र देकर आंग्ल भाषा में स्नातकोत्तर एवं पी एच डी की डिग्री प्राप्त की और आगरा विश्वविद्यालय में कुछ समय बिताने के पश्चात बरेली कालेज में प्राध्यापक हुए और कई वर्षोपरांत सेवानिवृत हुए।

विष्णु बाबू ने अपने यौवन काल में देश के स्वाधीनता संग्राम में भी हिस्सा लिया और आजीवन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में आदर एवं सम्मान के अधिकारी रहे। 4 जुलाई 1997 को नगर निगम के सामने भारत यात्रा पर आए बीजेपी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी जी ने स्वतंत्रता सेनानी विष्णु जी को शाल ओढाकर सम्मानित किया था। उनका निधन 24 जुलाई 2000 में हुआ था।

हिंदी काव्य में सिद्धहस्तता विष्णु जी को सदैव ही एक अलग पहचान देती रही और यही वो विधा थी जिसमें उन्हें असीम सुख मिलता था। हिंदी कवि के रूप में उनकी ख्याति प्रदेशव्यापी थी और उस समय के कवि सम्मेलनों में उनकी उपस्थिति एक स्थाई भाव थी। कवि मन कभी भी बहुत व्यवस्थित नहीं रहा और रचना कर्म तो बस स्वांत सुखायः ही रहा । सो उसी के अनुरूप विष्णु बाबू ने अपने जीते जी अपनी रचनाओं को पुस्तक के रूप में सहेजने का कोई प्रयास भी नहीं किया। उनकी पुत्री अल्पना जी के अनुसार विष्णु जी का रचना संग्रह उनके मरणोपरांत उनकी पत्नी सरला सक्सेना, जो की स्वयं भी साहित्य में सिद्धहस्त थीं, ने प्रकाशित किया जो आज “गीत अतीत” के नाम से इस समाज की धरोहर है।

बाबू विष्णु नारायण सक्सेना जैसी बहुमुखी प्रतिभायें जीवनोपरांत भी अपनी रचनाओं में, लोकश्रुतियों में, एवं जन मानस में जीवंत एवम विध्यमान रहती हैं। निर्भय सक्सेना, पत्रकार मोबाइल 9411005249

 

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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