चैत्र नवरात्र से पहले जानें, कब और कैसे करें कलश स्थापना
18 मार्च (रविवार) से चैत्र नवरात्र की शुरूआत हो रहे है इसके साथ ही देश में हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक नववर्ष की भी शुरूआत मानी जाती है और विक्रम संवत को बदला जाता है । इस वर्ष देश में 2075 वां विक्रम संवत मनाया जाएगा । नवरात्रों और नववर्ष की शुरूआत से पहले घरों में साफ-सफाई की जाती है , इसके साथ ही देश केे सारे बाजार दुल्हन की तरह सज जाते हैं। आइए जानते हैं अब नवरात्र पूजा की विधि और कलश (घट) स्थापना का समय…
चैत्र नवरात्र उत्सव की शुरूआत में सबसे पहले कलश (घट) स्थापना के साथ होती है। कलश स्थापना के दिन ही नवरात्र की पहली देवी मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना की जाती है। इस दिन सभी भक्त उपवास रखते हैं और सायंकाल में मां दुर्गा का पाठ और विधि-पूर्वक पूजा करके अपना व्रत खोलते हैं।
कलश स्थापना करने से पहले पूजा स्थान को गंगा जल से शुद्ध किया जाना चाहिए, पूजा में सभी देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। कलश में सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी एवं मुद्रा रखी जाती है और आम के पांच या सात पत्तों से कलश को सजाया जाता है, मध्य में नारियल को लाल चुनरी से लपेट कर रखा जाता है। इस कलश के नीचे जौ बोए जाते हैं, जिनकी दशमी तिथि पर कटाई की जाती है। मां दुर्गा की प्रतिमा पूजा स्थल के मध्य में स्थापित की जाती है।
व्रत का संकल्प लेने के बाद, मिट्टी की वेदी बना कर जौ बोया जाता है। इसी वेदी पर घट यानी कलश स्थापित किया जाता है। इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। पाठ पूजन के समय अखंड दीप जलाया जाता है, जो व्रत के पूर्ण होने तक जलता रहना चाहिए।
कलश स्थापना के बाद श्री गणेश और मां दुर्गा जी की आरती से नौ दिनों का व्रत प्रारंभ किया जाता है। कुछ लोग पूरे नौ दिन तो यह व्रत नहीं रख पाते हैं, परंतु आरंभ में ही यह संकल्प लिया जाता है कि व्रत सभी नौ दिन रखने हैं अथवा नौ में से कुछ ही दिन व्रत रखना है।
इन नवरात्रों में जहां एक ओर लोग 9 दिन मां की पूजा-अराधना करते हैं, तो वहीं नवरात्र के आखिर दिन राम की जयंती के रूप में भी रामनवमी मनाते हैं।
घट स्थापना मुहूर्त: प्रातः 06:45 से प्रातः 07:45 तक। (प्रातः कालीन)
घट स्थापना मुहूर्त: दिन 11:17 से दिन 12:17 तक। (मध्यान कालीन)






