सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती CBI ने देशमुख को जमानत देने संबंधी आदेश को
सीबीआई ने दावा किया कि उच्च न्यायालय इस बात को समझने में विफल रहा कि एजेंसी द्वारा दायर आरोप पत्र केवल आरोपी से सरकारी गवाह बने सचिन वाजे के बयान पर निर्भर नहीं है, बल्कि अन्य भौतिक साक्ष्यों पर भी आधारित है.
मुंबई : केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को जमानत देने संबंधी बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. बंबई उच्च न्यायालय ने 12 दिसंबर को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अनिल देशमुख (73) को भ्रष्टाचार के एक मामले में जमानत दे दी थी. हालांकि यह आदेश 10 दिनों के बाद प्रभावी होगा क्योंकि सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में इसे चुनौती देने के लिए समय मांगा था.
उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में, जांच एजेंसी ने दावा किया है कि देशमुख को जमानत देते समय उच्च न्यायालय ने ‘‘गंभीर त्रुटि” की है. इसमें कहा गया है, ‘‘उच्च न्यायालय इस बात पर गौर करने में विफल रहा कि आर्थिक अपराधों को अलग श्रेणी के अपराधों के रूप में माना जाना आवश्यक है और ऐसे अपराधों में एक नियमित मामले के रूप में जमानत प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है.
सीबीआई ने दावा किया कि उच्च न्यायालय इस बात को समझने में विफल रहा कि एजेंसी द्वारा दायर आरोप पत्र केवल आरोपी से सरकारी गवाह बने सचिन वाजे के बयान पर निर्भर नहीं है, बल्कि अन्य भौतिक साक्ष्यों पर भी आधारित है.