जैविक खाद्य पदार्थ क्षेत्र की सीएजीआर वर्ष 2016-20 के दौरान 10 प्रतिशत रहने की उम्‍मीद

भारत के जैविक खाद्य व्‍यवसाय के वर्ष 2025 तक बढ़कर 75,000 करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच जाने की आशा

तीन दिवसीय खाद्य महोत्‍सव का उद्देश्‍य जैविक उत्‍पाद बाजार को मजबूत बनाना और महिला उद्यमियों को प्रोत्‍साहित करना है : श्रीमती हरसिमरत कौर बादल

राष्‍ट्रीय जैविक महोत्‍सव नई दिल्‍ली में आयोजित किया जाएगा

केन्‍द्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण उ़द्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि महिलाओं को सशक्‍त बनाने और जैविक उपज को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय ‘राष्‍ट्रीय जैविक महोत्‍सव’ आयोजित कर रहा है, जिसके तहत महिला उद्यमियों पर फोकस किया जाएगा। आज नई दिल्‍ली में संवाददाता सम्‍मेलन के दौरान तीन दिवसीय ‘फूड फेस्टिवल’ की घोषणा करते हए श्रीमती बादल ने कहा कि देश भर की 150 से भी अधिक महिला उद्यमी और स्‍वयं सहायता समूह (एसएचजी) फल-सब्जियों, तैयार खाद्य उत्‍पाद, मसाले, शहद, मोटे अनाज एवं सूखे मेवे (ड्राई फ्रूट) जैसे विभिन्‍न अनुभागों में अपने-अपने जैविक उत्‍पादों को प्रदर्शित करेंगे। मंत्रालय में सचिव श्रीमती पुष्‍पा सुब्रह्मण्‍यम भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।

जैविक उत्‍पादों को प्रोत्‍साहित करने के साथ-साथ जैविक उत्‍पादों के उत्‍पादन एवं प्रसंस्‍करण क्षेत्र में महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नई दिल्‍ली स्थित जवाहरलाल नेहरू स्‍टेडियम में 21-23 फरवरी, 2020 के दौरान तीन दिवसीय महोत्‍सव आयोजित करने के लिए आपस में हाथ मिलाया है।

इस महोत्‍सव-सह प्रदर्शनी का उद्धाटन खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल करेंगी और इसकी थीम ‘भारत की जैविक बाजार क्षमता को विकसित करना’ है। देश भर की महिला उद्यमी और स्‍वयं सहायता समूह (एसएचजी) फल-सब्जियों, तैयार खाद्य उत्‍पाद, मसाले, शहद, मोटे अनाज एवं सूखे मेवे (ड्राई फ्रूट), पेय पदार्थ, औष‍धीय पौधों, तेल और मूल्‍य-वर्धित उत्‍पादों जैम, जेली, मुरब्बा, चटनी जैसे विभिन्‍न अनुभागों में अपने-अपने जैविक उत्‍पादों को प्रदर्शित करेंगे। 24 राज्‍यों के उद्यमी और स्‍वयं सहायता समूह इस महोत्‍सव में भाग लेंगे।

जैव उत्‍पादों को प्रदर्शित करने के अलावा इस आयोजन के दौरान पहले से ही तय बी2बी और बी2जी बैठकों के जरिए कारोबारी संपर्क बढ़ाने और महिला उद्यमियों को सशक्‍त बनाने पर फोकस किया जाएगा।

श्रीमती बादल ने कहा कि खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय और महिला एवं  बाल विकास मंत्रालय ने हाल ही में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किए हैं, ताकि महिला उद्यमियों को सरकारी वित्‍त योजनाओं जैसे कि मुद्रा (सूक्ष्‍म इकाई विकास एवं पुनर्वित्‍त एजेंसी), स्‍टार्टअप इंडिया से जुड़ने और इसके साथ ही विश्‍व बाजार में प्रतिस्‍पर्धी बने रहने के लिए आवश्‍यक अनुपालनों को पूरा करने में मदद मिल सके।

जैविक खाद्य पदार्थों के फायदों का उल्‍लेख करते हुए श्रीमती बादल ने कहा, ‘आपके खाद्य पदार्थ को किस तरह से तैयार या विकसित किया जाता है, उसका व्‍यापक असर आपकी मानसिक एवं भावनात्‍मक सेहत तथा पर्यावरण पर पड़ सकता है। जैविक खाद्य पदार्थों में अक्सर उनके पारंपरिक रूप से विकसित उत्‍पादों की तुलना में कहीं अधिक फायदेमंद पोषक तत्व जैसे कि एंटीऑक्सिडेंट होते हैं।’

भारत के जैविक बाजार की क्षमता

नौवीं सबसे बड़ी विश्‍व की जैविक कृषि भूमि और उत्‍पादकों की सर्वाधिक संख्‍या के साथ भारत जैविक खाद्य पदार्थों के क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रहा है। भारत ने वर्ष 2017-18 में लगभग 1.70 मिलियन एमटी प्रमा‍णित जैविक उत्‍पादों का उत्‍पादन किया, जिसमें खाद्य उत्‍पादों की सभी किस्‍में जैसे कि तिलहन, गन्ना, अनाज और बाजरा, कपास, दलहन, औषधीय पौधे, चाय, फल, मसाले, सूखे मेवे, सब्जियां, कॉफी इत्‍यादि शामिल हैं।

जहां तक जैविक खाद्य पदार्थों की मांग का सवाल है, बढ़ती खर्च योग्‍य आय, स्‍वास्‍थ्‍य एवं वेलनेस के प्रति बढ़ती जागरूकता और बढ़ती स्‍वीकार्यता जैविक खाद्य पदार्थ क्षेत्र को तेजी से विकसित कर रही है। वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2021 तक की अवधि के दौरान जैविक खाद्य पदार्थ क्षेत्र की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 10 प्रतिशत रहने की आशा है।

यही नहीं, विश्‍व भर में भारतीय जैविक खाद्य उत्‍पादों की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है। वर्ष 2017-18 के दौरान भारत ने 515‍ मिलियन डॉलर मूल्‍य के जैविक उत्‍पादों का निर्यात किया। भारत से अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, स्विटजरलैंड, ऑस्‍ट्रेलिया, इजरायल, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, न्‍यूजीलैंड, जापान इत्‍यादि को  जैविक उत्‍पादों का निर्यात किया जा रहा है।

‘भारतीय जैविक क्षेत्र – विजन 2025’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत के जैविक व्‍यवसाय के वर्ष 2015 के 2700 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2025 में 75,000 करोड़ रुपये के उच्‍च स्‍तर पर पहुंच जाने की व्‍यापक संभावनाएं हैं।

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