Bareilly-UP : ‘‘संग्राम से समृद्धि की ओर‘‘ साइक्लोथॉन रैली का बरेली में हुआ भव्य स्वागत, कमिश्नरी स्थित शहीद स्तम्भ पर हुआ आयोजन

बरेली। उत्तर प्रदेश एन सी सी के 15 सदस्यीय साइक्लोथॉन दल का शहर में भव्य स्वागत किया गया। उक्त अवसर पर आयुक्त कार्यालय स्थित शहीद स्तम्भ पर विशेष आयोजन किया गया, जिसमें आजादी के लिए वीर शहीदों को स्मरण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।

उक्त कार्यक्रम लेफ्टिनेंट जनरल डी0जी0 मिश्रा (जी0ओ0सी0) उत्तर भारत एरिया बरेली के मुख्य आतिथ्य, मण्डलायुक्त सौम्या अग्रवाल के विशेष आतिथ्य, ब्रिगेडियर संदीप वर्मा (ग्रुप कमाण्डर) बरेली के संयोजन में आयोजित किया गया।

ब्रिगेडियर नरेन्द्र चिराग (ग्रुप कमाण्डर) आगरा ग्रुप की कमाण्डिंग में उत्तर प्रदेश एन0सी0सी0 के 15 सदस्यीय साइक्लोथॉन दल 01 जनवरी को मेरठ से 1900 किमी0 की साइकिल यात्रा पर निकले, यह यात्रा मेरठ-मुरादाबाद- बरेली- हरदोई-लखनऊ- सुल्तानपुर-जौनपुर-वाराणासी-प्रयागराज-फतेहपुर-कानपुर-उरई-झांसी-ग्वालियर-आगरा-मथुरा होते हुये दिल्ली में समाप्त होगी।

रोजाना औसतन 112 किमी0 की 17 दिवसीय यात्रा के अन्त में इस दल को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा गणतंत्रता दिवस समारोह की श्रृंखला में आयोजित एन सी सी की पी एम रैली के दौरान फ्लैग इन किया जाएगा।

इस दल द्वारा प्रदेश में 1857 की क्रांति के प्रमुख स्थानों पर श्रद्धांजलि अर्पित कर नगर वासियों को इस ऐतिहासिक घटना की पूरी जानकारी दी जा रही है और युवा पीढ़ी को अपने पूर्वजों के बलिदानों की याद दिलाते हुए खुद को सशक्त भारत बनाने के प्रति प्रतिबद्व किया जा रहा है।

इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपने वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदानों विशेष रुप से बरेली के खान बहादुर खान को याद किया गया। किस प्रकार अंग्रेजों से पहले भारत अनेक साम्राज्यों या छोटे राजघरानों द्वारा शासित किया जाता था। 1608 में अंग्रेज आए और अगले 100 वर्षों में उन्होंने लगभग पूरे हिंदुस्तान पर कब्जा कर लिया।

सन् 1825-50 के दौर में भारतीय मूल के सैनिकों से बनी, ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेना न सिर्फ पूरे हिन्दुस्तान में उनके आर्थिक हितों की रक्षा कर रही थी, बल्कि अंग्रेजों की ओर से अफगानिस्तान, चीन, वर्मा, पर्सिया (ईरान) और कीमिया से भी लड़ रही थी। परन्तु सैनिकों के कल्याण के बारे में कोई सोच नहीं रहा था। 1855 के आस-पास, अंग्रेजी शासन के खिलाफ रोष और बढ़ने लगा। प्रमुखतः कठोर शासन प्रणाली, खेती बाड़ी पर बढ़ता लगान, स्थानीय उधोगों को खत्म करना, और भारतीय मूल के राजघरानों पर कब्जा, इसके मुख्य कारण थें।

इसी समय सैनिकों के लिए एक नई राइफल आई, जिसमें गोली को मुंह से काटकर भरा जाता था। ऐसा माना जाता था कि गोली पर गाय और सूअर की चर्बी से लेप लगा था, जो भारतीय सैनिकों के धर्म के खिलाफ था।

ऐसी स्थिति में, फरवरी 1857 में एक पलटन ने इन कारतूसों को इस्तेमाल करने से मना कर दिया। सैनिकों को निरअस्त्र कर दिया गया। इसी मसलें पर क्षोभित होकर मंगल पांडे ने अंग्रेज अधिकारी पर हमला किया जिसके लिए उनकों फांसी दी गई। इस खबर ने रोश और बढ़ा दिया और जगह जगह पर विद्रोह होने लगे।

उत्तर प्रदेश में मेरठ, मुरादाबाद, बरेली अवध (लखनऊ), बनारस, इलाहाबाद और कानपुर इसके प्रमुख केन्द्र रहें। सैनिकों के विद्रोह को किसानों, व्यापारियों, जमींदारों और कारीगरों ने भी पूरी तरह साथ दिया।

अंग्रेजी शासन ने इन इलाकों को मद्रास और बाम्बे प्रेसीडेंसी से अफगास्तिन, नेपाल और दक्षिण एशिया से सेना एकत्रित कर अगले डेढ़ साल में अपने काबू में किया। हार और भारी नुकसान के बावजूद, इस घटना ने आगे आने वाले समय में भारत की स्वाधीनता की राह प्रशस्त की। इसी कारण, 1857 की क्रांति को सही मायने में भारतीय आजादी का प्रथम युद्व कहा जाता है।

इस अवसर पर बिग्रेडियर नरेन्द्र चिराग ने कहा कि इस साइक्लोथॉन का मक्सद 1857 के संग्राम में शहीद हुये और बलिदानों के बारे में आज की युवा पीढ़ी को अवगत कराना था। उन्होंने इस बात का भी व्यौरा दिया कि ये साइक्लोथॉन किन-किन क्षेत्रों से होकर जायेगी। ये सभी वे क्षेत्र है जहाँ 1857 की चिंगारी भडकी थी।

बिग्रेडियर चिराग ने बताया कि हम अपनी आजादी को हम गंम्भीरता से नहीं ले रहे है, देश को मजबूत रखने के लिए हम सब को एक जुट रहना पडेगा। हमारा देश एक ऐसे दौर से गुजर रहा है, जिसमें हम खंडित होते चले जा रहे है, हमारा मकसद लोगों की समझाना है कि जब हम संगठित थे तो हम आजाद हो गये और आगे बढ़े। देश को यदि मजबूत बनाना है तो हम सब लोगों को एक जुट रहकर आगे बढ़ना होगा। समर से समृद्धि की ओर यानी की (युद्ध) से प्रगति की ओर।

दिनांक 03 जनवरी को साइक्लोथॉन के कैडिट जे0एल0ए0 बरेली कैन्ट से शाहजहाँपुर के लिया रवाना होगी।

कार्यक्रम में संस्थानों के प्रमुख नागरिक, एएनओ, सीटीओ, पीआई स्टाफ, सिविल स्टाफ, कैडेट सहित गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।

गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स न्यूज़