विदेश की नौकरी छोड़, तीन भाइयो ने शुरू की खेती

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हर युवाओ की ख्वाहिश डॉक्टर, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की डिग्री हांसिल कर अच्छी जॉब, अच्छी सेलरी ओर लग्जरियस लाइफ की होती है। खेती -किसानी इनकी लिस्ट में शायद ही होती है। इस दौर में एक ऐसे भी शख्स नही, एक नही एक ही घर के तीन भाई है। जो विदेशो की अच्छी पैकेज को छोड़। तीनो भाई ने जैविक खेती और गाय पालन को अपनाया है। जिसे युवा दरकिनार कर देते है ।उसने अपना करियर ही चुना खेती।

 

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समस्तीपुर:- जिले मुख्यालय से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर सरायरंजन प्रखण्ड के मैंनिक गांव में तीन भाई ऐसे है, जो विदेशी नौकरी छोड़ कृषि को अपना करियर चुना है। इस समय युवा अपने करियर के लिए चिंतित है। जो अपने नौकरी के लिए सरकार को कोसती नजर आ रही है। सरकार पकौड़े तलने की बात करती है, लेकिन ये तीनो भाई अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग जगहों पर पर अच्छे अच्छे पदों पर नौकरी कर रहे थे। अच्छे खासे रकम मिलते थे एक भाई जिसका नाम कौशलेन्द्र झा है वो एमबीए कर शंघाई चीन में नौकरी कर 10 लाख की सैलरी की नौकरी करता था। उसके दूसरे नरेंद्र झा भाई डिजाइनिंग में  सहायक प्रोफेसर के रूप में 3 लाख रुपये की नौकरी कर रहा था, ओर तीसरे भाई हुंडई कम्पनी में मैनेजर के पद पर कार्य कर रहा था।
सभी भाई ने एमबीए कर नौकरी कर रहा था पर इन्हों ने कृषि को चुना ओर स्वाबलम्बी बनने की सोचा किया।

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कौशलेन्द्र कहता है की सरकार की योजना स्वरोजगार को बढ़ावा देना चाहिए। हम यहाँ प्रकृति की बस्तुएं (अजैविक)से  कृषि कर रहे है। हम चार एकड़ की भूमि पर कृषि कार्य कर रहे है, जिसमे  गाजर, टमाटर,मूली धनियां वैगन केला मकई को सभी उच्च कोटि के बीज निर्मित कर अच्छी फसल लगाना है। खेत में मछली पालन के लिए भी जगह बनवा रहे है, और खेतो में अन्य किसानों को भी खेती करने जानकारी दी जा रही है। हम कई जगह विदेशो में दुबई, चीन में नौकरी किए है। पर हम राजीव दीक्षित को अपना आदर्श मानते है। वे स्वदेशी बस्तुएं पर भरोसा करते थे, बढ़ावा देते रहे और स्वाबलम्बी बनना चाहिए।

वही बात उसके दूसरे भाई नरेन्द्र झा कहते है कि हम भी राजीव दीक्षित से ही प्रेरित है हम खेती के साथ साथ गाय पालन भी कर रहे है। जिससे आगे चलकर हम खुद के मशीनों से पनीर, दही या दूध से बने सभी बस्तुएं बनाए गए है। जिससे अनेको लोगो को रोजगार मुहैया करायेगे।

वही उसके छोटे भाई  जितेंद्र झा भी हुंडई कम्पनी में नौकरी छोड़ खेती कर रहे है। ये भी कहते है कि हम सभी भाई राजीब दिक्सित से प्रेरित हुए। खुद अन्य  युबाओ को भी सवलम्बी होना चाहिए।

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