पैनी नजर संस्था ने पत्रकारों पर हो रहे हमलो को लेकर खोला मोर्चा
बरेली : पैनी नजर सामाजिक संस्था ने बरेली डीएम द्वारा महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। संस्था अध्यक्ष एडवोकेट सुनीता गंगवार ने कहा प्रदेश की कानून व्यवस्था जिस तरह से चल रही है उसे लोकतंत्र के नाम पर एक मजाक कहा जाएगा। उत्तर प्रदेश में ऐसा लगता है कि जैसे पूरे प्रदेश की सत्ता एक जगह केंद्रित हो चुकी है लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं रह गई है।
ब्लॉक प्रमुख चुनाव के नामांकन के दिन कन्नौज में एबीपी चैनल के पत्रकार नित्या मिश्रा के साथ जिस तरह से मारपीट की गई जान से मारने की पूरी कोशिश की गई और एटा के आज तक चैनल के देवेश राठौर के साथ भी जानलेवा मारपीट की गई बीजेपी कार्यकर्ताओं के द्वारा जिसमें पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रही , इस कानून व्यवस्था को जनता कौन सा नाम दें, इसे लोकतंत्र कहें लूट तंत्र का है। तानाशाह तंत्र कहें नादिरशा ही कहें हिटलर शाही का कहे या कुछ और कहें।
सत्ता को छीलने की सत्ता द्वारा जो कोशिश की गई यह प्रदेश की जनता के लिए एक ऐसी न भूलने वाली घटना है जो अपने आप में एक इतिहास बन रही है प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह से दंगा व्यवस्था में तब्दील हो चुकी है संविधान पर जिस तरह से आक्रमण किया जा रहा है उत्तर प्रदेश में वह पूरे देश के लिए एक चिंता का विषय है जब देश ही नहीं रहेगा तो क्या सत्ता रहेगी जब देश है तभी सत्ता है ।
इस विषय पर गंभीरता से सोचना होगा पत्रकार जो लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ है अगर उसे सरकार को आईना दिखाने से रोका जाता है तो समझ लेना चाहिए उस देश से लोकतंत्र खत्म हो चुका है लगातार पत्रकारों पर इस सरकार में हमले होते रहे हैं जिसने भी सरकार को सच दिखाने के लिए मुंह खोला तो उसे जान से मारने की धमकी यह हमला होना एक परंपरा बन चुकी है वही डर आज जनता में व्याप्त हो चुका है भय में जी रही उत्तर प्रदेश की जनता को भयमुक्त करने का दायित्व संवैधानिक प्रक्रिया के तहत महामहिम के हाथों में है महामहिम को प्रदेश में लगातार हो रही हिंसा पर मूकदर्शक बनकर नहीं देखना होगा जिस तरह उत्तर प्रदेश के हालात हैं उसमें इससे पहले जब भी सरकारें बनी हैं ऐसी कोई व्यवस्था हुई है सरकारे भंग होती आई हैं क्यों नहीं उत्तर प्रदेश की सरकार को भंग करने की प्रक्रिया को अपनाया नहीं जा रहा है।
महामहिम को इस विषय पर विचार करते हुए लोगों के मौलिक अधिकारों के हनन को रोकना होगा और इसी विषय पर लखीमपुर जिले में जिस तरह 1 बीटीसी महिला प्रस्तावक के वस्त्र हरण का कृत्य हुआ है वह हमें महाभारत युग की याद दिलाता है एक बार फिर से द्रोपदी का चीर हरण हो रहा है और सरकार धृतराष्ट्र बनी मुख दर्शक की तरह देख रही है बेहद निंदनीय है इतनी घटनाओं के बाद भी प्रदेश में सरकार अपने आप को सरकार कह रही है तो हमें सोचने पर मजबूर कर दिया जाता है तो फिर लोकतंत्र हमारी प्रदेश का कहां चला गया है। लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ पत्रकारिता को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए और इन हमलों से उनको बचाने हेतु नए कानूनों की आवश्यकता है और जो पत्रकार चाटुकारिता में सरकार के साथ लीन है वह सरकार की तरह काम कर रहे हैं पत्रकारिता के यह दो रूप आज देश में दिखाई दे रहे हैं लेकिन हिंसा सच्ची पत्रकारों के साथ हो रही है इसे रोका जाना चाहिए।
ज्ञापन देने पैनी नजर संस्था के प्रदेश उपाध्यक्ष मास्टर सिद्दीक अंसारी, प्रदेश कोषाध्यक्ष वहीद अहमद, प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट रामस्वरूप गंगवार, जलील अहमद, एडवोकेट मोहम्मद सईद, नारायण दास, एड नाजिर व तमाम जिला के लोग व जिला के कई मीडिया कर्मी आदि शामिल ।