बाज़ारों में दो- दो कौड़ी कोरोना को बेचेंगे – इंद्र देव त्रिवेदी

देख चुके सारी बीमारी, अब तुझको भी देखेंगे.
सागर की गहराई में अब, कोरोना को भेजेंगे.
आज यही ऐलान कर रहे, कान खोलकर सुन लेना.
तेरी अब कोई भी हरकत, नहीं जरा भी झेलेंगे.
हार मानकर ना भागा तो, धरती के हर मानवजन.
आज ताश के पत्तों जैसा, इकदिन तुझको फेटेंगे.
खेला होवे मौत- मौत का, ये ना चलने देंगे हम.
तूने सबसे खेला काफी, अब सब तुझसे खेलेंगे.
कोरोना तू तो अदृश्य है, कैसे तुझसे निपटें हम.

जिस दिन दीख गया धरती पर, हम कोल्हू में पेरेंगे.
नामोनिशां मिटा देने को, तैयारी तेजी में है.
डाक्टर व वैज्ञानिक तुझको, दूर कहीं पर फेकेंगे.
तेरी बोली लगी हुई है, बिक जायेगा सस्ते में.
बाजारों में दो- दो कौड़ी, कोरोना को बेचेंगे.
तुम विदेश से आये तो क्या, पासपोर्ट क्या संग में है.
जी एस टी का टैक्स लगाकर, घुटनों के बल टेकेंगे.
तेरा सिस्टम बहुत अलग है, मानों छूत लगी भारी.
हम इंसानी हर समाज से, तुझको निश्चित छेकेंगे.
अपने सभी वायरस लेकर, कोरोना भग जा वरना.
घुटने के बल सभी वायरस, मरमर ज़ैसे
रेगेंगे.
सिर पर रखकर पैर भाग जा, या पाताल लोक छिप जा.
सभी अस्थियाँ पिंजर करके, इस धरती
से ठेलेंगे.

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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