कांवड़ यात्रा मार्गों पर चमकी स्वच्छ भारत की रोशनी

इस वर्ष सावन में कांवड़ यात्रा न केवल श्रद्धा का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा है, बल्कि स्वच्छता और सुरक्षा के क्षेत्र में भी एक नई मिसाल कायम कर रहा है। देश भर में लाखों भक्तों की आस्था के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रशासनिक प्रयासों द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि यह यात्रा स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण में संपन्न हो।

दिल्ली नगर निगम (MCD) ने कांवड़ यात्रा के दौरान एक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया, जिसमें प्रमुख यात्रा मार्गों, घाटों और विश्राम स्थलों पर अतिरिक्त सफाई कर्मी तैनात किए गए। चौबीसों घंटे झाड़ू लगाना, कचरा संग्रहण, और अस्थायी शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की गई।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध और गीले-सूखे कचरे को अलग करने पर विशेष ध्यान दिया गया। साथ ही, श्रद्धालुओं को जागरूक करने के लिए बैनर, पर्चे और जागरूकता अभियान भी चलाए गए। व्यस्त मार्गों पर धूल नियंत्रण के लिए नियमित जल छिड़काव की व्यवस्था भी की गई है।

देश की राजधानी दिल्ली में पहली बार महिला कांवड़ियों के लिए दो विशेष पिंक कांवड़ शिविर लगाए गए हैं। इन शिविरों की खास बात यह है कि न सिर्फ उनका टेंट गुलाबी रंग का है, बल्कि इनमें सेवा देने वाली स्वयं सेविकाएं भी महिलाएं ही हैं।

हालांकि अभी महिला कांवड़ियों की संख्या सीमित है, लेकिन जो भी महिला कांवड़ यात्री यहां रुकीं, उन्होंने इस कदम को सराहनीय बताया। शिविर में स्वच्छ शौचालय, स्नानागार और सुंदर साज-सज्जा की व्यवस्था ने यह सिद्ध किया कि महिलाओं के लिए श्रद्धा के साथ गरिमा और सुविधा भी उतनी ही जरूरी है। साथ ही 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को ईको-फ्रेंडली पहल के तहत स्टील के गंगा जल कंटेनर और जूट बैग देने की व्यवस्था भी प्रशासन की ओर से की गई है।

इस बार स्वच्छता व्यवस्था को लेकर हरिद्वार नगर निगम ने भी नया कीर्तिमान स्थापित किया है। करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच सफाई व्यवस्था के लड़खड़ाने की संभावना को देखते हुए निगम ने लाइनर बैग प्लस ड्रोन निगरानी मॉडल को लागू किया है जो देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। अब तक ढाई करोड़ से अधिक श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच चुके हैं।

हर रोज लाखों की संख्या में भक्त हर की पैड़ी और आसपास के घाटों पर पहुंचकर गंगा स्नान कर रहे हैं। इस अपार जनसैलाब के चलते सड़कों और घाटों पर कूड़े का ढेर लगना आम बात है, लेकिन इस बार निगम ने कंपोस्टेबल लाइनर बैग का वितरण कर श्रद्धालुओं और दुकानदारों को कचरा निर्धारित स्थान पर डालने के लिए प्रभावी ढंग से जागरूक किया गया।

निगम कर्मियों ने रात में विशेष अभियान चला कर कचरा संग्रहण की व्यवस्था भी की है ताकि दिनभर का कचरा भीड़ कम होने पर उठाया जा सके। इसके अतिरिक्त हरिद्वार नगर निगम ने पहली बार ड्रोन निगरानी सिस्टम शुरु किया है। ड्रोन से लगातार संवेदनशील और अधिक भीड़ वाले क्षेत्रों की निगरानी की जा रही है। जैसे ही किसी क्षेत्र में कचरे का ढेर दिखाई देता है, वहां तत्काल सफाई कर्मियों की टीम भेजी जा रही है।

इससे कूड़ा इकट्ठा कर तुरंत निस्तारित भी किया जा रहा है। भारी बारिश की संभावना को देखते हुए निगम ने जल भराव संभावित क्षेत्रों में सीवर सक्शन वाहन भी तैनात किए हैं।

इन पर दो पालियों में कर्मचारी मुस्तैद हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत पानी निकासी हो सके। हरिद्वार नगर निगम का यह स्मार्ट और सस्टेनेबल मॉडल आने वाले समय में कांवड़ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन कर उभर रहा है। इस पहल से श्रद्धालु भी संतुष्ट हैं और शहर की स्वच्छ छवि बनी हुई है।

उत्तर प्रदेश में नगर पालिकाओं द्वारा भक्तों के स्वागत हेतु शहर को भक्ति और रोशनी के साथ स्वच्छता के मानकों से सुसज्जित किया गया है। कांवड़ मार्गों पर सेल्फी प्वाईंट्स, श्रद्धालुओं के लिए स्नानघर, शौचालय, रेस्टरूम, के अलावा स्वच्छता के मानकों को ध्यान में रखकर यात्रा मार्गों का आकर्षक इलेक्ट्रिक लाइटें लगाई गईं, चौक-चौराहों पर और रेलवे ओवरब्रिज जैसे प्रमुख स्थलों पर रंगीन झालरों आदि से सौंदर्यीकरण किया गया है।

यात्रा मार्गों पर जीरो वेस्ट भंडारे का आयोजन भी किया जा रहा है। श्रद्धालुओं के स्वागत में उपयोग किए गए फूलों को कंपोस्ट कर खाद बनाने की व्यवस्था भी नगर पालिका द्वारा शुरु की गई हैं। इन सभी पहलों का उद्देश्य कांवड़ियों को स्वच्छ, सुरक्षित और सुंदर यात्रा मार्ग देना है।

इस वर्ष की कांवड़ यात्रा स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्यों को जनमानस से जोड़ने में सफल हो रही है। महिला सशक्तिकरण, स्वच्छता, और स्मार्ट साज-सज्जा के साथ यह यात्रा संदेश देती है कि जब शहरी स्थानीय निकाय और समाज साथ चलें, तो आस्था और व्यवस्था दोनों का सुंदर समन्वय संभव है।

ब्यूरो चीफ, रिजुल अग्रवाल

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