नई दिल्ली में वानज्य भवन के फाउंडेशन स्टोन लेइंग समारोह में पीएम के भाषण का पाठ

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु जी, आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी जी, वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री श्री सी. आर. चौधरी जी, वाणिज्य मंत्रालय और संबंधित विभागों के अधिकारीगण और यहां उपस्थित अन्य महानुभाव,

सबसे पहले मैं आप सभी को वाणिज्य भवन का शिलान्यास होने पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज इसका कार्य शुरू हो गया है और जैसा कि मंच पर ही बताया गया है कि अगले वर्ष दिसंबर तक निर्माण का काम पूरा हो जाएगा। मुझे उम्मीद है कि समय की सीमाओं में ही वाणिज्य भवन बनेगा और जल्द से जल्द इसका लाभ लोगों को मिलने लगेगा।

साथियों, समय की बात सबसे पहले मैं इसलिए कर रहा हूं क्योंकि इस सरकार के दौरान जितने भी भवनों का शिलान्यास या उद्घाटन करने का अवसर मुझे मिला, उसमें ज्यादातर में एक बात कॉमन थी। कॉमन ये की इमारतों का निर्माण भी सरकारों के काम करने के तरीकों का प्रतिबिम्ब होता है। न्यू इंडिया की ओर बढ़ते देश और पुरानी व्यवस्थाओं के बीच का फर्क भी इसी से पता चलता है।

साथियों, मैं आपको कुछ उदाहरण देना चाहता हूं। मुझे याद है जब वर्ष 2016 में प्रवासी भारतीय केंद्र का लोकार्पण हुआ, तो उस समय ये बात भी सामने आई थी कि उस केंद्र का ऐलान अटल बिहारी वाजपायी जी के समय हुआ था। बाद में उसे मूर्त रूप में आते-आते 12 साल लग गए।

पिछले साल दिसंबर में जिस डॉक्टर आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का लोकार्पण हुआ, उसे बनाने का निर्णय भी 1992 में लिया गया था। लेकिन इसका शिलान्यास हुआ वर्ष 2015 में  मैंने कहा , कहाँ 1992 कहाँ 2015, इसका  लोकार्पण 2017 में हुआ। यानि निर्णय होने के बाद 23-24 साल लग गए, सिर्फ एक सेंटर बनने में।

साथियों, इसी साल मार्च में मैंने Central Information Commission के नए भवन को भी देश को समर्पित किया था। CIC के लिए नए भवन की मांग भी 12 साल से हो रही थी लेकिन इसके लिए भी काम NDA की अभी की सरकार ने ही शुरू करवाया और तय समय में उसे पूरा भी किया।

एक और उदाहरण है अलीपुर रोड में बनी आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक का। दो महीना पहले इसका भी लोकार्पण किया गया है। इस स्मारक के लिए भी बरसों तक चर्चा हुई, अटल जी के समय काम में तेजी भी आई , लेकिन बाद में  दस बारह साल सब ठप पड़ गया।

दिल्ली की ये चार अलग-अलग इमारतें, प्रतीक हैं कि जब सरकार silos में काम नहीं होता, जब सारे विभाग, मंत्रालय, silos से निकलकर solution के लिए, एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करते हैं, तो कितना अच्छा और कितना जल्दी  परिणाम निकलता है। हर काम को अटकाने-भटकाने-लटकाने की प्रवत्ति से देश अब आगे निकल चुका है।

मुझे खुशी है कि आज इसमें पाँचवाँ प्रतीक जुड़ने की शुरुआत हो गई है। इस वाणिज्य भवन में, एक छत के नीचे, commerce sector के हर क्षेत्र से silos को खत्म करने का कार्य और बेहतर तरीके से किया जाएगा, मेरी यही कामना है। मुझे विश्वास है की यह परिपूर्ण भी होगा|

साथियों, आज भारत समय के बहुत महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। हमारा Demographic Dividendकिसी भी देश के लिए ईर्ष्या का विषय हो सकता है। हमारी democracy को हमारे नौजवान नई ऊर्जा देते हैं। ये नौजवान 21वीं सदी के भारत का आधार हैं। उनकी आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति, सिर्फ कुछ मंत्रालयों की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हम सभी का सामूहिक दायित्व है।

भारत पिछली शताब्दी में औद्योगिक क्रांति का लाभ उठाने से चूक गया था। तब उसकी अनेक वजहें थीं। लेकिन अब उतनी ही वजहें हैं जिनकी वजह से भारत अब इस शताब्दी की औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने वालों में से एक बन सकता है।चौथी औद्योगिक क्रांति, जिसे 4th Industrial Revolution भी कहते हैं, उसका मुख्य आधार डिजिटल टेक्नोलॉजी है और निश्चित तौर पर भारत इसमें दुनिया के कई देशों से कहीं आगे है।

आज आप वाणिज्य मंत्रालयों के भी जितने लक्ष्यों को देखेंगे, जितने भी कार्यों को देखेंगे, तो उसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी की प्रमुखता ही आपको नजर आएगी।

[ source by PIB ]

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