दक्षिण के अयोध्या पर तमिलनाडु की राजनीति गरम
तमिलनाडु में ‘दक्षिण के अयोध्या’ कहे जाने वाले मंदिर का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा; दीप जलाने के मुद्दे पर गरमाई राजनीति
मदुरै, तमिलनाडु: तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले मदुरै स्थित अरुलमिगु सुब्रह्मणयम स्वामी मंदिर से जुड़ा एक धार्मिक-राजनीतिक मुद्दा गरमा गया है, जो अब शीर्ष अदालत तक पहुंच गया है। इस विवाद ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है, जिसे तमिलनाडु भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अन्ना मलाई ने ‘दक्षिण के अयोध्या’ की संज्ञा दी है।
विवाद का मूल: दीप स्तंभ पर दीये जलाना
यह विवाद मंदिर के प्रबंधन और संचालन से संबंधित है, जिसका केंद्र मंदिर के बाहर स्थित एक पत्थर के दीप स्तंभ पर कार्तिक महीने में दीये जलाने की पुरानी परंपरा है।
- मंदिर का महत्व: पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर भगवान मुरुगन के छह प्रमुख मंदिरों में से पहला स्थान है। संगम साहित्य (300 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी) में भी यहां भगवान मुरुगन की पूजा का उल्लेख मिलता है।
- राज्य सरकार का विरोध: राज्य सरकार (स्टालिन सरकार) हिंदुओं को दीप स्तंभ पर दीये जलाने की अनुमति नहीं दे रही है। इसका कारण पहाड़ी की चोटी पर स्थित एक दरगाह का हवाला दिया जा रहा है।
- ऐतिहासिक संदर्भ: 1931 में प्रिवी कौंसिल के फैसले में दरगाह और सीढ़ियों को छोड़कर पूरी पहाड़ी को मंदिर का हिस्सा बताया जा चुका है। हैरानी की बात यह है कि दरगाह कमेटी भी दीये जलाने पर सहमति दे चुकी है।
कानूनी और राजनीतिक टकराव
यह मुद्दा एक दिसंबर को तब गरमाया जब हाईकोर्ट ने दीप स्तंभ को मंदिर का भाग मानते हुए हिंदुओं को दीये जलाने की अनुमति दे दी।
- सुप्रीम कोर्ट में चुनौती: हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना की प्रक्रिया शुरू होने के बाद राज्य सरकार इस फैसले को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची, लेकिन फिलहाल उसे राहत नहीं मिली है।
- राजनीतिक दांव: तमिलनाडु में लगभग छह प्रतिशत मुस्लिम वोटबैंक को देखते हुए, DMK को डर है कि 100 साल बाद दीये जलाने की अनुमति देने से मुसलमान नाराज हो सकते हैं और अभिनेता विजय की नई पार्टी का विकल्प उनके लिए खुला हो जाएगा।
- BJP का रुख: भाजपा और हिंदू संगठन इस प्राचीन तमिल सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से जुड़े मुद्दे को हिंदू अस्मिता और सम्मान के साथ जोड़कर आक्रामक हो गए हैं।
- विरोध और हिरासत: हाईकोर्ट के आदेश के बाद दीप जलाने के लिए गए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन और उनके 50 समर्थकों को हिरासत में ले लिया गया।
- सदन में मांग: सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के साथ ही राज्यसभा में DMK नेता त्रिची शिवा ने स्थगन प्रस्ताव देते हुए इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की।
दोनों पक्षों का स्टैंड: DMK इसे राज्य की सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश बता रही है, जबकि भाजपा इसे हिंदुओं के पुराने हक को हासिल करने की लड़ाई बता रही है।
फिलहाल सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले पर टिकी हैं।
खबरें और भी:-

