ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, फ्लैट खरीदारों की दूर करें परेशानी, वरना होगी CBI जांच.
नई दिल्ली। फ्लैट खरीदारों की परेशानियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए, GNIDA) को फटकार लगाई शीर्ष अदालत ने जीएनआईडीए से फ्लैट खरीदारों की शिकायतों के निवारण के लिए प्रस्ताव पेश करने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कर्ज में डूबी कंपनी अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की दिवालिया कार्यवाही से संबंधित 12 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
दरअसल राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण एनसीएलटी के खिलाफ घर खरीदारों की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें एनसीएलटी ने अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के अधिग्रहण के लिए अल्फा कार्प डेवलपमेंट के समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी।
CBI जांच का दे सकते हैं आदेश सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जीएनआईडीए के रुख पर नाराजगी जताते हुए कहा, आप गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं। पीठ ने कहा कि अगर जीएनआईडीए घर खरीदारों की शिकायतों के निवारण के लिए कोई योजना नहीं पेश करता है तो शीर्ष अदालत ‘गड़बड़ी’ की सीबीआई जांच का आदेश दे सकती है।
पांच लाख का लगाया जुर्माना समय पर जवाब दाखिल करने में विफल रहने पर उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने का भी फैसला सुनाया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, आप 10 दिनों में एक योजना लेकर आएं, अन्यथा हम सीबीआई जांच का आदेश देंगे। आपको सुनिश्चित करना होगा कि घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा की जाए। आप भी समस्या का हिस्सा हैं। आपने यह गड़बड़ी पैदा होने दी।
कब्जे में लेकर खरीदारों को फ्लैट देने का सुझाव पीठ ने जीएनआईडीए को पूरी जमीन अपने कब्जे में लेने, घर खरीदारों को फ्लैट देने का सुझाव दिया। पीठ ने जीएनआईडीए से विस्तृत हलफनामा मांगते हुए उससे भूमि के आवंटन की तारीख और प्राइवेट कंपनी के पक्ष में लीज डीड के निष्पादन की तारीख सहित जानकारी देने को कहा।
पीठ ने जीएनआईडीए से पूछा कि जब डेवलपर्स ने परियोजनाओं की शर्तों का उल्लंघन किया तो भूमि का आवंटन रद क्यों नहीं किया गया।
अल्फा कार्प ने 900 करोड़ का निवेश करने को कहा इससे पहले, अल्फा कार्प ने कहा था कि वह ग्रेटर नोएडा में दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से हासिल की गई अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की तीन रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए लगभग 900 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। आवासीय परियोजनाएं 2010 और 2012 के बीच शुरू की गईं, लेकिन निर्धारित समय अवधि में पूरी नहीं हुईं।